रायगढ़ । गर्मी बढ़ी तो जिले के जलाशयों में जलस्तर तेजी से घटने लगा है। सूरज के बढ़ते पारे के कारण केडार जलाशय व किंकारी डेम के जलस्तर में ज्यादा गिरावट आई है जबकि शहर की जीवन रेखा सहित उद्योग के लिए महत्वपूर्ण केलो बांध का जलभराव आधे में यानी 50 प्रतिशत ही पानी शेष हैं जबकि इसी हफ्ते में 52 फीसदी पानी बांध मे था। इसकी वजह केवल तेजी से बढ़ती गर्मी है जिसके चलते जलाशयों का कंठ सूखने लगा है।
विदित हो कि अप्रैल महीने में गर्मी का सितम सिर चढ़कर बोल रहा है हालाकि इस बार सूरज का पारा हर साल की अपेक्षा कम था, छिटपुट बारिश और द्रोणिका इसकी वजह रही है। इधर मई माह आते तक सुरज देवता प्रचंड ताप के साथ लोगो को झुलसा रही है। रही सही कसर नवतपा पूरी करते हुए झुलसाने वाली गर्मी लू के थपेड़े से जनजीवन प्रभावित हैं। इसका सीधा असर जल जंगल जमीन तीनो में पड़ रहा है। नदी तालाब और जलाशय सुखने के हालात में है। अधिकांश गांव के तालाब सुख चुके है। जीवन रेखा केलो नदी में भी जलस्तर काफी तेजी से घट रहा है।
आज स्थिति में जिले की दिलीप सिंह जूदेव वृहत सिंचाई परियोजना केलो बांध में 50 प्रतिशत पानी रह गया है,जबकि अभी मई का माह तथा जून की गर्मी शेष है। वहीं इसी हफ्ते में बांध में 52 प्रतिशत पानी था। इधर
केलो से शहर में पेयजल सप्लाई के लिए भी पानी की आपूर्ति होती है लेकिन वर्तमान जलभराव को केलो परियोजना के अफसर संतोष जनक मान रहे हैं। वहीं दूसरे मध्यम स्तर के जलाशयों की तुलना करें तो किंकारी जलाशय का कंठ सूखने की कगार में है। इसमें 11 प्रतिशत पानी ही शेष रह गया है और केडार में भी 31 प्रतिशत पानी ही शेष है। जिले में आमतौर पर मानसून की एंट्री जून के आखिर में हो जाती है लेकिन यदि इस बार मानसून देर से आया और बारिश ने इंतजार कराया तो आने वाले दिनों में जलसंकट मंडरा सकता है।
बरमकेला तमनार और शहर में भी गिरा भूजल स्तर
गर्मी के साथ ही जिले के ग्रामीण इलाकों में वाटर लेवल भी सामान्य से 20 से 30 मीटर तक नीचे चला गया है। इनमें सबसे अधिक प्रभावित बरमकेला व तमनार ब्लॉक का हिस्सा है। इस हिस्से के ज्यादातर गांवों में हैंडपंप ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। अब पानी की किल्लत इन लोगों की परेशानी बढ़ा रही है।
पुटका व खम्हार पाकुट की क्षमता कम
पुटका व खम्हार पाकुट डेम में जलभराव का प्रतिशत बेहतर दिख रहा है, लेकिन इनकी क्षमता भी कम हैं। ऐसे में इन जलाशयों से बड़े पैमाने पर पानी की उपलब्धता हो भी नहीं सकती। जून का महीना सामने है और भीषण गर्मी सूरज देवता आग उगल रहा है। इन्हीं जलाशयों से पूरे जिले में जलापूर्ति होगी। इस स्थिति में निस्तारी के साथ पेयजल की समस्या भी बढ़ सकती है। समय पर बारिश नहीं हुई तो दिक्कत होगी।
अंजनी स्टील, 1 .81 मिलियन क्यूबिक़ लीटर पानी की सालाना आपूर्ति ( बॉक्स को हाईलाइट करे)
केलो परियोजना के अधिकारियों के मुताबिक केलो बांध वर्तमान दिनों तक अंजनी स्टील को ही जलापूर्ति अनुबंध के तहत दी जाती है। वही अंजनी स्टील को अनुबंध के मुताबिक सालाना 1.81 मिलियन क्यूबिक़ लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही हैं जबकि बांध से अन्य कई उद्योग पानी लेने के लिए आवेदन दिए है।जिनके प्रकरण को शासन स्तर में विचरण में रखा गया है। इधर जानकारी को मानना है कि किलो बढ़ और किलो नदी से कई उद्योग पानी बैगेर अनुबंध के ही ले रहे हैं।
वर्जन
वर्तमान में केलो बांध में जल स्तर 50 फीसद है। यह संतोषजनक है। जरूरत के मुताबिक पानी छोड़ा जा रहा है। अंजनी स्टील से अनुबंध है। जिसे प्रति वर्ष 1.81 मिलियन क्यूबिक़ लीटर पानी आपूर्ति की जा रही है।
प्रकाश राव फुलेकर , केलो बांध अधिकारी