मोनेट को पहले था आंवटित,कोलगेट कांड के बाद हिंडाल्को को मिला गारे-पेलमा 4/4-भूमिगत माइंस
रायगढ़ (जनकर्म न्यूज़) कोलगेट कांड के बाद नए सिरे से कोयला खदान नीलामी मे आवंटित किया गया। जिसमे हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को जिसमें गारे 4/4 भूमिगत तथा 4/5 ओपन कास्ट खदान मिला था। चूंकि खनन कास्टिंग अधिक आने पर हिंडाल्को व गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कारपोरेशन ने कोयला मंत्रालय को रायगढ़ जिले के दो कोल ब्लाक लौटा दिए हैं। जबकि यह भूमिगत कोयला खदान को पहले मोनेट को आबंटित था।
गौरतलब हो कि वर्ष 2020 से कोयला मंत्रालय कोयला कमर्शियल माइनिंग योजना के तहत उद्योगों को कोल ब्लाक आबंटित कर रही है। अब तक नवें दौर की नीलामी प्रक्रियाधीन है। अब तक 91 कोल ब्लाक आबंटित किए जा चुके हैं। हालांकि आबंटन के अनुपात में विकसित होने वाले खदानों की संख्या बेहद कम है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित गारे-पेलमा 4/4 को केंद्र की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने मोनेट नामक कंपनी को आबंटित किया था। खदान से उत्पादन भी शुरू हो चुका था। केंद्र में एनडीए की सरकार आने के बाद कोलगेट घोटाला उजागर हुआ। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 214 कोल ब्लाक निरस्त किए गए, उसमें यह ब्लाक भी शामिल रहा। कमर्शियल माइनिंग से नीलामी प्रक्रिया में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को यह कोल ब्लाक आबंटित किया गया। साथ ही गारे- पेलमा 4-5 खुली खदान भी इस कंपनी के हिस्से में गई। चूंकि भूमिगत कोयला खदान पहले से संचालित था, इसलिए वर्ष 2023 में कंपनी ने यहां से एक साल तक ऊपरी परत (पिक रेटेड) से कोयला उत्खनन किया। अब कंपनी का कहना है कि इस वर्ष 2024 में भूमिगत खदान के अंदर से कोयला की परत निकालने में तकनीकी दिक्कत आ रही, साथ ही लागत भी बढ़ गई। इस वजह से कोयला मंत्रालय को कंपनी ने भूमिगत खदान को सरेंडर कर दिया है। खुली खदान अभी कंपनी ने अपने पास रखा है। माना जा रहा है कि इसे आगे भी संचालित करने का इरादा कंपनी रखती है। उधर गुजरात इलेक्ट्रिसिटी कारपोरेशन ने खदान को विकसित करने में ही रुचि ही नहीं दिखाई। इस कंपनी ने भी कोयला उत्खनन करने से पहले हाथ खड़े कर दिए। रायगढ़ के ही गारे-पेलमा वन कारपोरेशन को आबंटित थी। भविष्य में कोयला परिवहन में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों को देखते हुए गुजरात ने गारे पेलमा- वन को सरेंडर कर दिया है।
मदनपुर साऊथ व मोरगा भी सरेंडर
विदित हो कि इससे पहले आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित कोरबा जिले के मदनपुर साउथ कोल ब्लाक व छत्तीसगढ राज्य विद्युत कंपनी मोरगा कोल ब्लाक को सरेंडर कर चुकी है। कोयला मंत्रालय ने इन खदानों का टर्मिनेशन आर्डर भी जारी कर दिया है। कुछ महीनों के अंतराल में ही छत्तीसगढ़ के चार कोल ब्लाक कंपनियों ने वापस लौटा दिया है। कोयला मंत्रालय के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। माना जा रहा है कि कोयला कमर्शियल माइनिंग में पुन: इसे भविष्य में शामिल किया जाएगा और नए सिरे से इसके लिए आबंटन प्रक्रिया होगी।
घाटे के भूमिगत खदान संचालित होंगे एमडीओ मोड में
कोलगेट घोटाले के बाद निरस्त किए गए ज्यादातर विकसित हो चुके भूमिगत कोयला खदानों को अब निजी कंपनियां संचालित करने के पक्ष में नही हैं। इसकी प्रमुख वजह है कि लिकेंज का कोयला जो कोल इंडिया सेमिल रहा, उसके अनुपात में डेढ़ गुना अधिक उत्पादन लागत में आ रही। ऐसे में कोयला मंत्रालय के सामने अब इन खदानों कोमाइन डेवलपर एंड आपरेटर माडल (एमडीओ) में देने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा। अब तक जितने भी इस तरह के बंद खदानों को एमडीओ मोड पर दिया गया है, वहां अब सफलता पूर्वक कोयला निकाला जा रहा।
हिंडाल्को 4/4 घाटे की परिस्थितियों को ऐसे समझे
तमनार 4/4 गारे पेलमा आवंटन रद्द होने के बाद इसे नए सिरे से हिंडाल्को ने अपने कब्जे में करने में सफल हुई। इसके साथ ही उसे 4/5 ओपन कास्ट खदान भी मिला।
जानकारों के मुताबिक हिंडाल्को को खनन कास्टिंग 3 हजार रुपये टन था, 100 रुपये प्रति टन रायल्टी थी , इस तरह खर्च और बाकी लागत को मिलाकर करीब 52 सौ रुपये का कास्टिंग आ रहा था। जिसके चलते ये खदान को हिंडाल्को वापस सरकार को हैंड ओव्हर कर दिया जबकि 4/5 ओपन को अपने पास रखा है। अब ये 4/4 गारे पेलमा का खदान महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि देश भर के फिर उद्योगपति इसमें दिलचस्पी दिखा रहे है। जल्द ही इसकी नीलामी होगी।