न भर्ती न ही दवाई, रेफर सेंटर बना जिले का ईएसआईसी हॉस्पिटल
100 बेड के ईएसआईसी हॉस्पिटल में एक बिस्तर की भी नहीं उपलब्ध
रायगढ़। परसदा स्थित 100 बेड के ईएसआईसी हॉस्पिटल में एक बिस्तर तक उपलब्ध नहीं है। जिससे यहां आईपीडी सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। यहां न तो मरीजों को भर्ती लिया जा रहा है और न ही यहां दवाई का स्टाक है। जिससे यहां आने वाले मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है।
कर्मचारी व मजदूर वर्ग के लोगों को ईएसआईसी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पहले यहां सिर्फ कुछ डिस्पेंसरी ही थीं, जहां सामान्य चेकअप ही हो पाता था। ऐसे वर्ग के लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए परसदा में केन्द्र सरकार ने 74 करोड़ रुपए की लागत से जिले का पहला 100 बेड वाला सर्वसुविधायुक्त ईएसआईसी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। अस्पताल का निर्माण होने में ही सालों लग गए। अभी भी बिल्डिंग में सिविल, इलेक्ट्रिकल, फर्नीचर, ऑक्सीजन गैस पाइप लाइन जैसे अहम काम बाकी हैं। शासन के दबाव पर आधी-अधूरी तैयारी के साथ अस्पताल का संचालन शुरू तो कर दिया गया है, लेकिन यहां ईएसआईसी के डिस्पेंसरी जैसी भी सुविधा नहीं मिल रही है। जब कोई मरीज यहां इलाज के लिए आता है तो तभी उसका ओपीडी कटता है जब संबंधित विभाग के डॉक्टर उपलब्ध हों। अगर डॉक्टर उपलब्ध भी रहे तो मरीजों को सिर्फ ओपीडी परामर्श ही दिया जाता है। इसके बाद उन्हें दवाई लिख कर दे दिया जाता है। चूंकि अस्पताल में दवा का स्टाक नहीं तो मरीजों को बाहर से दवा खरीदना पड़ता है। इसके अलावा अगर किसी विभाग के डॉक्टर न हो तो मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। इतना ही नहीं अगर कोई गंभीर अवस्था में हो उसके भी इलाज की यहां सुविधा नहीं है। क्योंकि यहां आईपीडी की सेवाएं शुरू ही नहीं हो पाई है। ऐसे स्थिति में भी मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है। इस प्रकार यह अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर बन कर रह गया है। कहने को तो यह 100 बिस्तर का अस्पताल है, लेकिन यहां कमरे तो बन कर तैयार हैं पर आज पर्यंत तक एक बेड भी नहीं लग पाए हैं। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि रेगुलर डॉक्टर ही यहां नहीं है तो बेड खरीद कर क्या करेंगे। वहीं बिना उपयोगकर्ता के अगर बेड की खरीदी कर ली जाती है तो शासन को इसका जवाब देना होगा इसलिए अब तक बेड की खरीदी भी नहीं की गई है।
*दवा खरीदने के लिए कमेटी जरूरी*
इस संबंध में ईएसआईसी हॉस्पिटल के अधीक्षक सुशील कुमार मुर्मू का कहना है कि यहां दवाई का कोई स्टाक नहीं है। अगर जरूरत पड़ती है तो कोरबा के ईएसआईसी हॉस्पिटल के आवश्यकता अनुसार दवा मंगाते हैं। दवाई खरीदने के लिए कमेटी का होना जरूरी होता है और कमेटी रेगुलर डॉक्टरों के साथ बनती है। यही कारण है कि मरीजों को मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय रेफर करना पड़ रहा है।
*1000 ऑटो भाड़ा करते आते हैं और हताश होकर लौटते हैं मरीज*
दरअसल ईएसआईसी हॉस्पिटल रायगढ़ से करीब 15 किमी दूर परसदा में स्थित है। इस रूट में न तो सिटी बस चलती है और न ही यात्री बसों का आना-जाना होता है। ऐसे में चेकअप कराने के लिए मरीजों को ऑटो या टैक्सी किराए पर लेना पड़ता है। इसके लिए उन्हें 800 से 1000 रुपए वाहन भाड़ा देना पड़ता है। इतना खर्च करने के बाद जब मरीज अस्पताल पहुंचते हैं ते उन्हें परामर्श देकर वापस भेज दिया जाता है या दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में मरीज यहां से हताश होकर लौटते हैं। जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से परेशान होना पड़ता है।