आरक्षण चक्र ने बिगाड़ा खेल तो अब पार्षद बनने आधा दर्जन नेता दूसरे वार्डो में खोज रहे राजनीतिक जमीन
डेंजर जोन में आए नेता अब दूसरे वार्डो से चुनाव लड़ने करेंगे दावेदारी
रायगढ़।
आरक्षण चक्र खुलने के बाद राजनीति के दिग्गज भाजपा कांग्रेस नेताओं की कुर्सियां भी हिलोरा मार रही है। इस चक्र के फेर में दिग्गज नेताओं की कुर्सियां भी फस गई है। कई कद्दावर नेता अपने वार्ड को छोड़कर दूसरे वार्ड में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ महिला सीट होने का लाभ लेते हुए अपनी पत्नी को चुनावी टिकट दिलाकर राजनीतिक विरासत को बरकरार रखने की जुगत में है।
देखा जाए तो शासन के निर्देश पर अनुसार 19 दिसंबर को कलेक्ट्रेट में लॉटरी के माध्यम से आरक्षण प्रक्रिया को पूरे 48 वार्ड के लिए संचालित किया गया। इस आरक्षण में 48 वार्ड में इस बार 16 महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका मिला है यह अलग-अलग वर्ष से जुड़े हैं। आने वाले समय में 16 महिलाएं सक्रिय राजनीति में निगम के गलियारों में नजर आएंगे। इन सभी के बीच आरक्षण चक्र में दिग्गज नेताओं की कुर्सियां फस गई है। जिसमें वे राजनीतिक नैया पार करने के लिए आसपास के सुरक्षित वार्डों की सीट खोजने के लिए मजबूर हो गए हैं तो कुछ नेता सुरक्षित सीट भी ढूंढ चुके हैं। कई वार्डो में तो दिग्गजों की लंबी फेहरिस्त तक नजर आ रही है। इधर भाजपा से कौशलेश मिश्रा सुभाष पांडे, अशोक यादव , सीनू राव का सीट आरक्षण चक्र में फंस गया है तो दूसरी बार कांग्रेस से संजय देवांगन सहित अन्य कई नेता भी इसी जद में है। 2019 के चुनाव में वर्तमान सभापति जयंत ठेठवार तथा सलीम नियारिया सेफ जोन में है।।
संजय की नजर वार्ड नंबर 7 में भी
कांग्रेस पार्टी से संजय देवांगन कद्दावर नेता के रूप अपनी पहचान बनाएं है। आरक्षण चक्र से वार्ड नंबर 6 भी हिल गया। यह वार्ड इस सामान्य महिला हो गया। इससे उनकी कुर्सी भी डगमगा गई है। दरअसल संजय की धर्मपत्नी पेशे से सरकारी शिक्षक है, उनका चुनावी मैदान में आना असंभव है। इस परिस्थिति में संजय इस बार वार्ड नंबर सात से चुनाव लड़ने की मंशा के साथ तैयारी अंदरूनी तौर पर कर दिए है। यहां पूर्व सेमौजूद कांग्रेस नेताओ में हलचल मच गई है।इसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में होने लगीं है। सीनू वार्ड 15 में कर सकते है तीसरी पारी की शुरूआत
सीनू वार्ड 15 में कर सकते है नई पारी की शुरूआत
नगर निगम में भाजपा में कद्दावर नेता सीनू राव का नाम भी शुमार है। सीनू राव बुलंद आवाज के साथ अपने वार्डो में होने वाले विकास कार्यो को लेकर आक्रमक रहते है ,निगम के सदन तथा अन्य प्लेटफार्म में भी वह मुखरता से इसे रखते आए है। जिससे वे सुर्खियों मे रहते है। तीन बार से पार्षद रहे सीनू राव का वार्ड आरक्षण बदलते ही वे अब लंबी छलांग लगाते हुए 39 नंबर से वार्ड 15 में राजनीति की एक और पारी खेलने की तैयारी में नजर आ रहे है। दरअसल 39 नंबर वार्ड और 15 नंबर का बड़ा भू भाग आपस मे जुड़ा है जैसे रेलवे बंगला पारा है। हालांकि यहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस से विकास ठेठवार एमआईसी सदस्य है वे भी दो बार से पार्षद निर्वाचित हुए है।इसमे एक बार उनकी माता जी रही है।
राजनीति वनवास के बाद दयाराम भी एक्टिव
दया राम राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी है जो किसी भी चौसर में फिट बैठ जाते है आदिवासी नेताओं उनकी चर्चा प्रदेश स्तर में है। लोकसभा निर्वाचन में भी उनका नाम कांग्रेस की सूची में शामिल थी। वे वर्ष 2019 के निकाय चुनाव में चुनावी आरक्षण और समीकरण के चलते ब्रेक पर थे हांलाकि उन्होंने कांग्रेस के युवा नेता आरिफ की जीत में सारथी बने और विजय रथ में पहुंचाने में सफल हुए ।प्रतिफल के तौर उन्हें एल्डरमेन बनाया गया। इस बार दया अपने परंपरागत सीट 5 नंबर वार्ड से चुनाव की नई पारी शुरुआत करने के संकेत दिए है। वे भी 3 बार के पार्षद रह चुके है।
कौशलेष अपने पुराने वार्ड 28 से करेंगे दावेदारी
राजनीति में चाणक्य की भूमिका निभाने वाले कौशलेष मिश्रा चित परिचित नाम है। निकाय चुनाव में वे अजेय योद्धा है। इसके अलावा एक मात्र ऐसे नेता है हो हर पंचवर्षीय में सीट बदलकर चुनाव मैदान में रहते है। जनता जनार्दन का आशीर्वाद भी उन पर बरसता है। इस बार फिर से चुनावी आरक्षण चक्र में उनका गृह वार्ड नंबर 22 फंस गया। जहां पिछड़ा वर्ग महिला मुक्त सीट हो गया है। वर्तमान में यहां से उनकी धर्म पत्नी शैल मिश्रा चुनाव जीतकर पार्षद बने है। इससे पहले स्वयं वे यहां से पार्षद थे। वर्तमान समीकरण के हिसाब से वे 28 नंबर वार्ड से चुनाव की तैयारी कर रहे है । उक्त वार्ड में 2004 के निकाय चुनाव में भाजपा का झंडा बुलंद कर जीत हासिल किए थे। देखा जाए तो कौशलेष मिश्रा 1994 के बाद से लगातार विजयी है।फिलहाल 28 नंबर में आने में प्रबल संकेत से ही राजनीतिक हलचल मची हुई है।फिलहाल यहां कांग्रेस से राकेश तालुकदार पार्षद है जबकि वे पूर्वम भाजपा में थे टिकट नही मिलने पर निर्दलीय जीत हासिल किए थे और फिर कांग्रेस का दामन थाम लिए।फिलहाल कौशलेष की चर्चा जोरों पर चल रही है।
अशोक और सुभाष दोनों की सीट फंसी आरक्षण चक्र में
बैकुंठपुर से राम भांटा क्षेत्र को जोड़ने वाले दो दिग्गज नेता सुभाष पांडेय और अशोक यादव अपने-अपने क्षेत्र में गहरी पैठ बनाए हुए हैं। ऐसे में इस बार चुनावी आरक्षण चक्र इन दोनों नेताओं के कुर्सी को दिला दिए हैं । जिससे अब दोनों नेताओं में हलचल मची हुई है। दरअसल वर्तमान पार्षद सुभाष पांडे का वार्ड पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है। जबकि इसी तरह अशोक यादव का वार्ड महिला के लिए सुरक्षित है।अशोक के पास चयन के रूप में पत्नी है वे उनके लिए टिकट मांगकर चुनाव लड़वा सकते है। इसके प्रबल संकेत भी मिल रहे है। वही वे 16 नंबर की ओर कुच भी कर सकते है फिलहाल इस पर हवा हवाई चर्चा है। इन सभी के बीच भाजपा नेता सुभाष पांडे के लिए आसपास में सुरक्षित सामान्य सीट नहीं होने से एक बार फिर से उनके राजनीति में ब्रेक लगने का अनुमान लगाया जा रहा है।