खर्राघाट मांगलिक भवन की हालत बद से बदतर, गंदगी से लोग परेशान
यहां पीने के पानी की भी नहीं सुविधा, बुलाना पड़ता है टैंकर
रायगढ़। बेलादुला खर्राघाट मांगलिक भवन की हालत बद से बदतर हो गई है। यहां पीने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है। शादी या अन्य समरोह में इस भवन को किराए पर लेने वाले लोगों को या तो टैंकर बुलाना पड़ता है या आसपास के घरों से निवेदन कर नल या बोर का पानी मांगना पड़ता है। इतना ही नहीं इस भवन के अंदर और बाहर गंदगी इतनी है कि लोगों यहां आने से परहेज कर रहे हैं। इधर हजारों रुपए किराया लेने के बाद भी नगर निगम व्यवस्था में सुधार नहीं कर रहा है।
दरअसल सावित्री जिंदल पुल के पास नदी किनारे बढिय़ा लोकेशन में नगर निगम ने मांगलिक भवन बना कर आसपास के आधा दर्जन से अधिक वार्डों को राहत तो प्रदान किया है, लेकिन इसके रख-रखाव में शहर सरकार फिसड्डी साबित हो रही है। शादी-विवाह से लेकर दशकर्म, छ_ी, बर्डथे कार्यक्रम में लोग इस भवन को किराए पर तो लेते हैं, पर यहां बजबजाती गंदगी से लोग काफी परेशान हैं। चूंकि घर में पर्याप्त जगह नहीं होने व निजी धर्मशाला के भारी भरकम किराया चुका पाने में असमर्थ लोग मजबूरन इस भवन को लेते हैं, लेकिन गंदगी के कारण उन्हें कार्यक्रम में आए मेहमानों की सुननी भी पड़ रही है। पहले ऐसा भी दौर था कि यह भवन हर दिन बुक रहता था। दूर-दराज के लोग भी इसे किराए पर लेते थे। अगर किसी को भवन किराए पर चाहिए तो वह दो माह पहले आवेदन देकर बुकिंग कराता था, क्योंकि वेटिंग लिस्ट लंबी रहती थी। वहीं वर्तमान में अब लोग यहां आना पसंद नहीं कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि यहां पीने के पानी की सुविधा नहीं है। भवन किराए पर लेने वाले लोग या तो पानी का टैंकर मंगाते हैं या आसपास के किसी घर से पाइप के माध्यम से पानी की मांग करते हैं। जबकि यह काम नगर निगम का है। क्योंकि लोग बकायदा रुपए देकर भवन को किराया ले रहे हैं, लेकिन सालों बाद भी निगम द्वारा पानी के लिए कोई पहल नहीं की गई। इसके अलावा दूसरी बड़ी समस्या यहां गंदगी की है। कार्यक्रम के दौरान लोग खाद्य सामग्री, कचरों भवन परिसर में ही फेंक देते हैं। जिसे सफाई करने वाला कोई नहीं है। इसके बाद अगर कोई दूसरा व्यक्ति किराए पर लेता है तो उसे गंदगी में ही कार्यक्रम को निपटाना पड़ता है। ऐसा कई माह से चला आ रहा है। अब गंदगी इतनी हो गई है कि किसी भी तरफ से लोग गुजरे तो बदबू से उन्हें नाक-मुंह सिकोडऩा पड़ जाता है। इतना ही नहीं भवन के बाहर भी दोना-पत्तल, खाद्य सामग्री, प्लास्टिक डिस्पोजल के कचरे पड़े रहते हैं। जिससे अब लोग इस भवन से दूरी बनाने लगे हैं।
रंग-रोगन पर भी नहीं ध्यान
खास बात यह है कि भवन बनने के बाद यहां दोबारा कभी रंग-रोगन ही नहीं हुआ है। लोग दूल्हा-दुल्हन के लिए स्टेज तैयार तो करते हैं पर दीवारों पर जाले, उधड़े हुए कलर, सीलन इसकी शोभा बिगाड़ कर रख देते हैं। लोग कहते हैं कि वो एक दिन के लिए भवन किराए पर ले रहे हैं तो इसके लिए वो दीवारों पर रंग-रोगन क्यों कराएं यह काम तो नगर निगम का है।
फर्स पर बजबजाती रहती है गंदगी
जिस कमरे पर खाना बनाया जाता है उस कमरे का फर्स तेल के चीठ और कालिख से पूरा काला हो गया है। फर्स पर मोटी परत जम गई है। जिससे वहां गंदी बदबू आती है और फर्स चिपचिपा रहता है। वहीं फर्स पर पानी पड़ जाने से यह बजबजाने लगती है। ऐसे में अब लोग इस कमरे का उपयोग न कर बाहर खाना बनाते हैं। वहां भी लोगों द्वारा गंदगी करने से खाना बनाने वाले परहेज करते हैं। मजबूरीवश यहां किसी तरह कार्यक्रम सम्पन्न हो पा रहा है।
नाली जाम, पानी निकासी की नहीं सुविधा
इस भवन को बनाने से पहले पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की गई है। भवन के पीछे तरफ एक पतली सी नाली बनाई गई है जोकि कई माह से जाम है। इसलिए गंदा पानी यत्र-तत्र बहते हुए नदी के पहले सडक़ पर जाता है। कचरे से पतली नाली पूरी जाम हो चुकी है, जिसमें कीड़ों का वास है। बचे-कुचे खानों को भी लोग इसी नाली में फेंक देते हैं, जिससे दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। मंगल भवन में किराए पर लेने वालों के लिए कई अतिरिक्त कमरे भी बनाए गए हैं, लेकिन एक हॉल और बरामदा के अलावा लोग कोई कमरे उपयोग ही नहीं कर पाते। क्योंकि अधिकांश कमरों से पंखों को असामाजिक तत्वों ने पार कर दिया तो गंदगी से शौचालयों का बुरा हाल है। स्थिति यह हो गई है कि लोग शौच करने के लिए नदी की ओर रूख करते हैं। नगर निगम भवन बना कर इसका ठीक तरह मेंटेनेंस नहीं कर पा रही है।
वर्सन
मंगल भवन में पानी की सुविधा नहीं है और गंदगी का भी आलम है। इसके अलावा यहां रंग-रोगन की भी आवश्यकता है। यहां की व्यवस्था में सुधार के लिए मैनें निगम में कई बार कहा है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके अलावा यहां एक चपरासी तक नहीं है, जिससे भवन की चाबी के लिए लोगों को भटकना पड़ता है।
सोमेश साहू, पार्षद, वार्ड क्रमांक 21