Monday, December 23, 2024
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Homeछत्तीसगढ़चोला मंडलम ने क्लेम देने में की आनाकानी, अब देना होगा हर्जाना

चोला मंडलम ने क्लेम देने में की आनाकानी, अब देना होगा हर्जाना

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने सुनाया फैसला

रायगढ़। एक घटना में बाइक जल कर खाक हो जाने पर फाइनेंस कंपनी चोला मंडल ने युवक को इंश्योरेंस के क्लेम राशि देने में आनाकानी की। ऐसे में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने उक्त कंपनी को 45 दिन के भीतर क्लेम की राशि सहित मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय देने निर्देशित किया है।

परिवादी की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता अजीत पटेल ने की है। जबकि सुनवाई अध्यक्ष छमेश्वर लाल पटेल, सदस्य राजेन्द्र कुमार पांडेय व राजश्री अग्रवाल की तीन सदस्यीय टीम ने की है। दरअसल पीडि़त दिलीप लकड़ा पिता गुरूवारो लकड़ा (29) ग्राम जगड़ा सिसरिंगा धरमजयगढ़ का रहने वाला है। उसकी बाइक एचएफ डिलक्स की पॉलिसी व बीमा अवधि 16 जनवरी 2021 से 15 जनवरी 2022 तक प्रभावी था। वहीं उक्त बाइक का आईडीवी 56 हजार 900 रुपए बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित किया गया है। दिलीप 2 जून 2021 को अपनी बाइक लेकर गांव के नाले में नहाने गया था। उसी समय गांव के ही विनोद पन्ना नामक युवक ने विवाद कर उसकी बाइक को जला दिया। इस मामले में पुलिस चौकी रैरुमाखुर्द में आरोपी के खिलाफ अपराध भी दर्ज है। घटना के बाद दिलीप ने चोला मंडल एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के रायगढ़ शाखा में सूचना देते हुए आवश्यक दस्तावेज के साथ क्लेम फार्म भरकर कार्यालय में जमा किया। वहीं कार्यालय से क्लेम नंबर दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई के लिए चोला मंडल के रायपुर शाखा भेजा गया। जहां क्लेम राशि 56 हजार 900 रुपए देने से बचने के लिए उक्त कंपनी ने समय अवधि में सूचना नहीं दिए जाने का बहाना बनाते हुए राशि का भुगतान करने से इंकार कर दिया। दिलीप द्वारा कंपनी के रायगढ़ शाखा में क्लेम के संबंध में जानकारी मांगे जाने पर संतुष्टीपूर्वक जवाब नहीं दिया गया। ऐसे में दिलीप ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से 21 जुलाई 2022 को कंपनी को नोटिस भेजा, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद पीडि़त ने आयोग का दरवाजा खटखटाया। जिससे आयोग ने चोला मंडल के रायगढ़ शाखा और रायपुर के प्रबंधक को 45 दिन के भीतर क्लेम की राशि 56 हजार 900 रुपए देने आदेशित किया है। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति 10 हजार व वाद व्यय 5 हजार रुपए भी देने निर्देश दिया है। अगर कंपनी पीडि़त को 45 दिन के भीतर भुगतान नहीं करती तो 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से कंपनी को ब्याज देना होगा।

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