Tuesday, December 24, 2024
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जमीन चीर, नदी-नालों का दोहन कर उद्योग हक से ले रहे पानी और टैक्स देने में कर रहे आनाकानी

जिले के 11 उद्योगों का करोड़ों रुपए बकाया, इनके सामने जिला प्रशासन भी नतमस्तक

रायगढ़। जमीन का सीना चीर कर, नदी-नालों का दोहन कर जिले के उद्योग हक से पानी ले रहे हैं। वहीं जब टैक्स पटाने की बारी आती है तो उद्योग प्रबंधन आनाकानी कर रहे हैं। इस तरह जिले के अधिकांश उद्योगों का करोड़ों रुपए बकाया है, जिसमें 11 उद्योग टॉप 11 में शामिल हैं। इनसे टैक्स वसूलने में जल संसाधन विभाग के हाथ छोटे पड़ रहे हैं तो वहीं इन उद्योगों के सामने जिला प्रशासन भी नतमस्तक है।
जिले के उद्योग प्रतिदिन लाखों लीटर भूजल व सतही जल का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन टैक्स पटाने में उद्योग प्रबंधन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे उद्योगों पर जल संसाधन विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। इतना ही नहीं उद्योग प्रबंधन उद्योगों के डस्ट, फ्लाईऐश को इन्हीं नदी-नालों में ही छोड़ रहे हैं। जिससे जल प्रदूषण भी हो रहा है। वर्तमान में जिले के करीब दो दर्जन उद्योगों का करोड़ों रुपए टैक्स बकाया है, जिसे उद्योग प्रबंधनों ने कई सालों से नहीं पटाया है। वहीं 11 उद्योग ऐसे हैं जिनकी बकाया राशि टॉप पर है। सिर्फ इंड सिनर्जी कोटमार की बात करें तो उसका 51 करोड़ का बकाया सालों से है। जिसका केस उच्च न्यायालय में चल रहा है और मामला विचाराधीन है। इसी तरह सिंघल एनर्जी को भी मार्च 2014 से भूजल की पेनाल्टी का नोटिस जारी किया गया है, फिर भी उक्त उद्योग टैक्स नहीं पटा रहा है। इतना ही नहीं श्याम इस्पात को भी नोटिस जारी हुआ है और सालासर का मामला भी कोर्ट में चल रहा है। इस तरह उद्योग जमीन से और नदी नालों से हक से पानी लेकर अपना उद्योग संचालित कर रहे हैं, लेकिन सरकार को कर अदा करने की उनकी मंशा ही नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा जिले के दो दर्जन उद्योग ऐसे हैं जो शासन से बिना एग्रीमेंट के ही भूजल का उपयोग कर उसका दोहन कर रहे हैं। हालांकि जल संसाधन विभाग ऐसे उद्योगों पर तीन गुना अधिक टैक्स लगाती है पर अभी भी इनमें से अधिकांश उद्योगों का करोड़ों रुपए बकाया है। जिससे शासन को राजस्व की हानि हो रही है। ऐसे उद्योगों पर कार्रवाई करने के बजाय प्रशासन भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।
*प्रशासन कर सकती है कार्रवाई पर अब तक हुई नहीं!*
टैक्स जमा नहीं करने वाले कई उद्योगों को बार-बार नोटिस जारी करने के बाद भी उनके द्वारा जवाब नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा कई उद्योगों के खिलाफ आरसीसी प्रकरण बना कर उसे एसडीएम ऑफिस में भी पेश किया गया है। अब जिला प्रशासन चाहे तो जो उद्योग जल टैक्स नहीं पटा रहे हैं उनकी संपत्ति कुर्की की जा सकती है। इस तरह की कार्रवाई अब तक उद्योगों पर नहीं हुई है, जिससे उनके हौसले बुलंद हैं।
*जिले के इन 11 उद्योगों का इतना रुपए है बकाया*
0 इंड सिनर्जी लिमिटेड कोटमार का 51 करोड़ रुपए बकाया।
0 सालासर स्टील एंड पॉवर लिमिटेड गेरवानी का 21 करोड़ 25 लाख रुपए बकाया।
0 मेसर्स नवदुर्गा फ्यूल्स लिमिटेड सराईपाली का 7 करोड़ 29 लाख रुपए बकाया।
0 सिंघल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड तराईमाल का 1 करोड़ एक लाख रुपए बकाया।
0 श्री श्याम इस्पात प्राइवेट लिमिटेड तराईमाल का 1 करोड़ 43 लाख रुपए बकाया।
0 आरआर एनर्जी लिमिटेड गढ़उमरिया का 1 करोड़ 41 लाख रुपए बकाया।
0 इंड पॉवर महापल्ली का 1 करोड़ 48 लाख रुपए बकाया।
0 रायगढ़ आयरन प्राइवेट लिमिटेड पूंजीपथरा का 83 लाख रुपए बकाया।
0 मेसर्स शिवशक्ति स्टील प्राइवेट लिमिटेड चक्रधरपुर का 74 लाख रुपए बकाया।
0 मेसर्स रूपानाधाम स्टील प्राइवेट लिमिटेड सराईपाली का 66 लाख रुपए बकाया।
0 महामाया रोलिंग मिल प्राइवेट लिमिटेड देलारी का 33 लाख रुपए बकाया।

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