Tuesday, December 24, 2024
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रेत घाट बंद होने से सप्लाई ठप, शहर से लेकर गांव में सरकारी और निजी निर्माण कार्य मे लगा ग्रहण

रेत की किल्लत ने आपूर्ति की प्रभावित, अवैध डंप रेत की मनमानी कीमत वसूल रहे है रेत कारोबारी

रायगढ़। जिले में रेत खदानों की स्वीकृति लटकने से सरकारी और निजी अधोसंरचना निर्माण कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गया। आलम यह है प्रशासनिक उदासीनता के चलते तथा इससे जुड़े कारोबारी मनमानी कीमत पर रेत सप्लाई कर रहे है। जिस पर प्रशासन का लगाम नही है। ऐसे में मार्च अप्रैल में मिलने वाली रेत की 12 सौ से बढ़कर अब 28 सौ से तीन हजार रुपये की कीमत में बिक रहे है। वही निजी व सरकारी काम लिए ठेकेदार इस कीमत पर मजबूर होकर रेत ले रहे है। इसका असर मध्यम वर्ग तथा पीएम आवास मकान बनाने वाले तबके पर खुले तौर पर पड़ रहा है।

गौरतलब हो कि कुछ वर्ष पहले जिले के रेत खदान एवं नदी घाट ग्राम पंचायत के अधीन था जिसमें व्यपाक स्तर में खनन की राशि का बंदरबाट हो जाता था, जिसे राज्य शासन द्वारा रेत घाट कोयला की तर्ज पर नीलामी की थी। जिसमें जिले के 39 खदान था, 9 को पर्यावरण विभाग ने हरी झंडी दे दी थी लेकिन बाकी में कई अड़चन के चलते अधर में लटका हुआ था। ऐसे ने स्वीकृति बैगेर रेत की भारी मात्रा में तस्करी हो रही थी। जिसमें शासन ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर एसपी को जिम्मेदारी के साथ जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई का आदेश दिया था। वही वर्तमान में जिले के सबसे बड़े रेत घाट तारापुर, जरकेला, कसडोल से रेत की सप्लाई हो रही थी, लेकिन यह भी अब स्वीकृति के लिए लटका है यही हाल अन्य घाट का भी बना है। इधर बारिश में रेत उपलब्ध नही हो पा रहा है,
इस स्थिति के चलते रेत की किल्लत निजी व सरकारी क्षेत्र में होने लगी हैं। रेत की ट्रेक्टर ट्राली पहले 1000 से 12 सौ में मिल रहा था वो अब 2800 से 3000 हजार के पार पहुच गया है।
फिलहाल रायगढ़ जिले में वर्तमान में एक भी जीवित रेत घाट नहीं है। सबकी अवधि समाप्त होए एक लंबा अरसा बीत गया है, एक समय था जब रायगढ़ जिले में 15 रेत घाट संचालित होते थे, लेकिन अब एक भी वैध रेत खदान नहीं है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि निर्माण कार्यों में ब्रेक लगने लगा है।

अवैध खनन कर बारिश से पूर्व कर लिए थे मुनाफा कमाने रेत डंप

रायगढ़ जिले में वैध रेत खदान नही होने से इससे जुड़े माफिया चांदी काट रहे है। स्थिति ये है कि नियम कानून को ताक में रखते हुए अवैधानिक रूप से कुछ रेत माफिया शासन प्रशासन के नाक के नीचे से खनन कर बारिश से पूर्व सप्लाई के लिए चैन मशीन से डंप करने का खेल बदस्तूर जारी रखे थे, डंप की स्थिति नेशनल हाइवे से सटे मांड नदी के इर्दगिर्द आसानी से देखा जा सकता है। वहीं, मानो इन रेत माफिया को शासन प्रशासन से एक तरह से खुली छूट मिला हो। वही अब बारिश में मुनाफा कमाने दुगना कीमत कर रेत सप्लाई कर रहे है।

3 नए घाट भी चिन्हित पर पर्यावरणीय स्वीकृति में लटकी

जिले में छोटे-बड़े 39 रेत खदान का संचालन हो रहा है जिसमें 9 वैध संचालित बाकी 23 की भी नीलामी पूर्व में हो चुकी है लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति नही मिल पाई । इस वजह से इन खदानों व घाट से बड़े स्तर में अवैधानिक रूप से खनन कर रेत निकाला गया। इसका असर शासन के राजस्व पर पड़ रहा है। वही इस बीच 3 नए खदान की स्वीकृति मिल चुकी हैं जिसमें उसरौट, टायांग,पामगढ़ रेत घाट खदान शामिल है। लेकिन यह भी स्वीकृति के आभाव के लटक गया है।

आम आदमी और ठेकेदार परेशान रेत की बढ़ी कीमत से परेशान

रेत खनन व परिवहन में लगे वाहनो को के पहिए थम गए। रेत नदी से नही निकलने से जिन ठेकेदार के पास रेत है वे रेत को पहले ही वस्तु स्थिति को समझते हुए डंप कर दिए थे। अब वहीं रेत को मनामनी कीमत में बिक्री कर रहे है।
इसका असर अब निर्माण कार्य में पड़ने लगा है। जिसमें निजी और सरकारी क्षेत्र में चल रहे अधोसंरचना निर्माण कार्य मे रेत की किल्लत होने लगी है। अगर कही से रेत उपलब्ध भी हो रही है तो उसकी कीमत दुगना हो गया है।
इससे निर्माण कार्य का बजट भी बिगड़ गया है।

बाजार पर पड़ने लगा असर, लोगो के घरों का सपना पर ग्रहण

रेत का उत्पादन नही होने से निजी और शासकीय निर्माण बंद होने का सीधा असर राजमिस्त्री और मजदूरों पर भी पड़ रहा है। मकान मालिक कीमत कम होने के इंतजार में काम ही बंद कर दिए है। इससे वर्षा काल मे मजदूर मिस्त्री वर्ग बेरोजगारी का दंश भी झेलने की स्थिति में है।जिससे बाजार की व्यवस्था पर भी असर पड़ने की पूरी संभावना है। इधर निर्माण कार्य बंद होने से इससे जुड़े सैकड़ों मजदूर परिवारों को भी सीधा नुकसान उठाना पड़ा रहा है । इससे बाजार की व्यवस्था और अर्थव्यवस्था भी असर होने के आसार है।

पांचवी अनुसूची के घाट पर स्वीकृति अधर पर

विदित हो कि रेत घाट को लेकर परेशानी तब और बढ़ गई जब आदिवासी ब्लॉक के रेत घाटों का संचालन ग्राम पंचायत के अधीन कर दिया गया। जो रेत खदानें आवंटित की जा चुकी थी, उनको भी नए सिरे से स्वीकृति लेनी पड़ रही है। वहीं,आदिवासी ब्लॉकों में भी रेतघाट नहीं हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले ब्लॉकों में रेत खदानों का संचालन ग्राम पंचायतों को देने का आदेश दिया था। रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़, घरघोड़ा, तमनार और लैलूंगा में रेत खदानों को एनओसी नहीं मिल सकी है। अनुमति मिलने के बाद करीब आठ और रेत घाट चालू होने के आसार है। लेक़िन वर्तमान में नजर नही आ रहा है।

रेत की कीमत पर एक नजर
रेत बड़ी ट्राली कीमत 2600 -2800 रुपये( 120 फीट)
रेत छूती ट्राली कीमत 2400-2600 रुपये ( 90 फीट)
रेत ट्राली छोटा 1600-1800 रुपये (60 फीट)
रेत बड़ा डंफर 15000 -16000 रुपये

नोट- रेत की कीमत स्थानीय रेत परिवहन ठेकेदार के बताए अनुसार

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