धूल और उधड़ी परत बयां कर रही है निगम प्रशासन की करस्तानी,बिना निरीक्षण ठेकेदार को भुगतान
रायगढ़ (जनकर्म न्यूज़)। रायगढ़ शहर के विभिन्न वार्डो में बनाये गए सड़क तथा बस स्टैंड में सीसी रोड़ को बने एक साल भी पूरा नहीं हुआ है और इसकी उपरी परत अब उखड़ने लगी है।आलम यह है कि खराब गुणवत्ता के कारण सड़क के उपर गिट्टी दिखने लगा है, जगह जगह गढ्ढे बन गए है। जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है निर्माण किस गुणवत्ता के साथ किया गया है। इधर नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी बिना गुणवत्ता जांच की ही ठेका लेनी वाली कंपिनयों को भुगतान कर दिया जाता है। खराब निर्माण के कारण 10 साल चलने वाली सड़क को 5 साल में दोबार खर्च करने की स्थिति में है।
गौरतलब हो कि साल भर पहले डेढ़ सारंगढ़ बस स्टैंड में लगभग 97 लाख रुपए के दो सड़क का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा शहर केविभिन्न क्षेत्र के वार्ड के मोहल्ले में लोगो की मांग के अनुरूप सीसी रोड बनाया गया है। ताकि शहर वर्षो पुरानी मांग जर्जर सड़क से निजात पा सके। इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर पूर्व विधायक ने भी भरकम प्रयासकिया जिसके चलते
शासन स्तर पर सड़क निर्माण के लिए भारी भरकम राशि वालों एवं मोहल्ले के लिए स्वीकृत की गई।
इधर सड़क निर्माण के लिए राशि स्वीकृत होते ही नगर निगम प्रशासन अपने ढर्रे में ही चलते हुए भ्रष्टाचार को मानो एक तरह से खुली छूट दे दिया, स्थिति यह निर्मित हो गई कि शहर से लेकर गली मोहल्ले में बनने वाली सड़क एवं ट्रांसपोर्ट नगर की सड़क निर्माण के कुछ माह बाद से उधड़ने लगी है। ट्रांसपोर्ट नगर की सड़क में आने वाले
बारिश के दिनों में किचड़ और पानी भरने से बस संचालक सहित यात्रियों को परेशानी बढ़ सकती है।
वार्ड वासियो की आपत्ति के बावजूद भी निगम प्रशासन नही देती है ध्यान
सड़क निर्माण सही ढंग से नहीं होने की बात नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी व ठेकेदार तथा उनके कर्मचारियों को वार्ड वासियों द्वारा कई दफा मौखिक तौर पर शिकायत की जाती है। लेकिन ठेकेदार के कर्मचारी इस पर अधिकारी तथा ठेकेदार की आदेश का पालन करना बताते हुए मार्मिक तरीके से पल्ला झाड़ देते हैं। देखा जाए तो नियमों के हिसाब से सड़क निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली मेटीरियल की जांच प्रतिदिन होना है, निर्माण के दौरान नगर निगम के अधिकारी इंजीनियर टाइम कीपर की मौजूदगी रहना है, लेकिन यह स्थिति नजर नहीं आती है जिसके चलते ठेकेदारों को खुली छूट मिल जाती है और सड़क की गुणवत्ता अधार पर रह जाती है।
कोर कटिंग व गुणवत्ता की जांच भी सब सही
निर्माण के दौरान सड़क की गुणवत्ता व मटेरियल का मात्रा की जांच की जाती है। नगर निगम के इंजीनियर सैपलिंग लेकर जांच के लिए इसे भेजते है। वहीं सड़क पूरा होने के बाद कोर कटिंग कर सड़क का टिकाऊपन व निर्माण का पता चलता है,अधिकारी कर्मचारी के कारण जांच सही ढ़ंग से नहीं होता। इसके तय समय से बाद दोबारा मरम्मत कराना पड़ता है। स्थिति यह रहती है कि सड़क 6 महीने में ही अपनी हालात को बयां कर देती है लेकिन निगम के कागजी कार्रवाई में सड़कों का हाल पूरी तरह से चकाचक नजर आता है। इसकी पुष्टि निगम के दस्तावेज भी करते हैं, जिसके चलते ठेकेदारों को भुगतान आसानी से हो जाता है।
यह हालात भ्रष्टाचार की पोल को खोलता है।
सड़कों की बारंबार निर्माण से बढ़ रही ऊंचाई, घर दबने की हालत के
नगर निगम क्षेत्र में अधिकांश वार्डों में सीसी रोड़ निर्माण कराया जा रहा है। जिसकी मोटाई 5 से 6 इंच रहती है। तक होती है। सीसी रोड़ निर्माण की अवधि 5 साल होती है। लेकिन खराब निर्माण के कारण 1 साल से पहले खराब हो जाती है। किसके चलते लोगों का घर सड़क ऊंचाई लेवल से काफी नीचे गिर जाता है यह स्थिति लोगो के घरों में पानी प्रवेश तथा बाढ़ जैसे हालत को उतपन्न करते है। इन परिस्थितियों का खम्याजा केवल निगम अधिकारियों की उदासीनता तथा भ्रष्टाचार कार्यप्रणाली के चलते आम जनता को उठाना पड़ता है।
गैरजिम्मेदार अधिकारी तथा ठेकेदार पर कार्रवाई होने से सुधरेगा गुणवत्ता
नए शासन बनने के बाद शहर के विभिन्न छोटे-छोटे सड़कों का निर्माण लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हो जाएगा। हालाकि नगर निमग में ठेकेदारों की संख्या कम है लेकिन खराब निर्माण करने वालों पर कार्रवाई होने से छोटे-छोटे सड़क की जांच की जाएगी। गुणवत्ता सही पाए जाने पर ही उनका भुगतान होगा। इसके अलावा अपने दायित्व को लेकर लापरवाही बरसाने वाले निगम के बड़े अधिकारी से लेकर इंजीनियरों पर कार्रवाई होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगना तय है।