जिला अस्पताल में पुलिस विभाग के लिए नही है कोई छत, खुले आसमान तो कभी बरामद में हो रही कानूनी कार्रवाई
अस्पताल जीर्णोद्धार में अस्थाई पुलिस चौकी तोडफोड़ में प्रभावित, प्रबंधन नही कर पाया वैकल्पिक व्यवस्था
रायगढ़। शहर में नए मैरीन ड्राइव तोड़फोड़ के बाद विस्थापन को लेकर सियासी घमासान के बीच बवंडर मचा हुआ है। इसमें स्वास्थ्य विभाग भी जिला अस्पताल के जीर्णोद्धार के लिए पुराने भवन को तोड़ा जा रहा है। जिसमें एक सरकारी विभाग के कर्मियों को ही विस्थापन की प्रक्रिया देने में दरकिनार कर दिया है। आलम यह है कि स्वास्थ्य विभाग के कार्यो में सहयोग एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए 24 घंटे तैनात रहने वाले पुलिस विभाग को तोड़फोड़ से प्रभावित होना पड़ गया। जिसके चलते वे अब खुले आसमान तो कभी बरामदे में अपने कार्यों को पूर्ण करने में जुटी हुई नजर आ रही है।
दरअसल 3 साल पहले जिला अस्पताल के जीर्णोद्धार का प्रपोजल तैयार कर स्वीकृति दी गई। जिसमें पहले क़िस्त की राशि भी सम्बोधित विभाग के खाते में आ गई थी। जबकि कार्य को आरंभ होने में लंबा समय लग गया। चूंकि भवन को जर्जर बताकर विभिन्न विभागों को दुसरे भवन में शिफ्ट कर दिया गया। वे निर्बाध होकर व्यवस्था में संचालित भी होने लगा। वहीं, बीते कुछ माह पहले निर्माण कार्य को आरंभ किया गया है। इसमें पुराने भवन के छत को तोड़ाज रहा है कई दीवार भी तोड़ दिया गया है।यह जीर्णोद्धार का एक प्रक्रिया है।इधर जिला अस्पताल के अधीन पुलिस सहायता केंद्र था वह भी इसके जद में आ गया। बीते कुछ दिन से तोड़फोड़ कार्य के मद्देनजर खाली करने का फरमान भी निर्माण कार्य मे लगें जिम्मेदार लोगों ने पुलिस सहायता केंद्र में बैठे पुलिसकर्मियों से लेकर नगर सेना के मेजर तक एवं जिला अस्पताल प्रबंधन को अवगत कराया गया। ततपश्चात अब तोड़फोड़ के कार्यो को तेजी से पूरा किया जाने लगा था। वहीं बारिश ने इस पर ब्रेक लगाया है।इन सभी के बीच संबंधित पुलिस विभाग के सहायता केंद्र चौकी को भी विस्थापन कर नियमानुसार स्थान देना था ताकि पुलिस विभाग एमएलसी, पोस्टमार्टम एवं अन्य कार्यो को पूरा कर सके। इसके अलावा यहां 24 घंटे सुरक्षा के लिए दर्जन भर से अधिक नगर सेना के जवानों को लगाया गया है। वे उक्त चौकी को कंट्रोल रूम की तरह उपयोग कर रहे थे और वही से रोटेशन के हिसाब से अलग- अलग पालियों में आकर अपनी डियूटी देते है। वर्तमान में विडंबना यह है उनके लिए न तो बैठने की व्यवस्था न ही डियूटी को संचालित करने कोई कंट्रोल रूम है। इसी तरह पुलिस विभाग के कर्मचारी जब विभिन्न प्रकरणों में अस्पताल आते है तो उन्हें भी खुले आसमान एवं कभी बरामदे में कार्य करना पड़ रहा है। इससे एक विभाग दूसरे विभाग के बीच खींचतान की स्थिति नजर आ रही हैं। जबकि यहां डियूटी देने आए कर्मी विभागीय बंधन में बंधे होने का हवाला देकर अव्यवस्था पर तंज कस रहे है। आमजन भी पुलिस पर तीखा तंज कस रहे है और कहने से नही चूक रहे है जिस नए मैरीन ड्राइव को छावनी में तब्दील पुलिस विभाग की मौजूदगी तोड़ा गया अब वे आ गए खुले आसमान के नीचे डियूटी दे रहे है।
24 घंटे सुरक्षा देने वाले पुलिसकर्मी अब बारिश से बचने भटकने को मजबूर
देखा जाए तो जिला अस्पताल में 200 के करीब ओपीडी है। जबकि महिला व शिशु रोग को लेकर एमसीएच अस्पताल है। ऐसे में यहां दर्जन भर से अधिक सुरक्षा बल तैनात है। सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक भी है। चूंकि नैतिकता एवं मानवीय संवेदना के तहत 24 घंटे डियूटी देने वाले पुलिस जवानों को समुचित व्यवस्था मिलना निहायत ही जरूरी है। लेकिन जिला अस्पताल में यह नदारद है। इससे बारिश से बचने पुलिस कर्मी इधर उधर भटकने को मजबूर हैं।
शहीद नंद कुमार पटेल ने दी थी चौकी की सौगात अब चल रहा है उसमें केलो नीर
तत्कालीन दौर में जिला अस्पताल में पूर्व मुख्य द्वार यानी वर्तमान में रेडक्रास के बगल में पुलिस सहायता केंद्र पुलिस चौकी की स्थापना कानून व्यवस्था के मद्देनजर किया गया था। यह अस्पताल आसपास के पड़ोसी जिले में सबसे बड़ा अस्पताल होने से मरीज बड़ी संख्या में आते थे। ऐसे में बताया गया कि तत्कालीन शहीद नंद कुमार पटेल ने चौकी का उद्घाटन किया था। समय की मांग और जरूरत के लिहाज से उस भवन में केलो नीर का संचालन किया जा रहा है यह केलो नीर बनने के बाद अधिकांश सालो तक बेउपयोगी रहा है। वहीं चौकी को कभी इस स्थान तो कभी उस स्थान में शिफ्ट करने का खेल अस्पताल प्रबंधन द्वारा किया जाने लगा है।