Tuesday, December 24, 2024
Google search engine
spot_img
Homeछत्तीसगढ़लोकसभा का 16 वां चुनाव, 10 बार भाजपा ने जमाया है कब्जा,...

लोकसभा का 16 वां चुनाव, 10 बार भाजपा ने जमाया है कब्जा, किला रहा सुरक्षित


छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने से पहले 1952 से 1999 तक रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश में आता था। 1962 से लेकर 2024 तक इस लोकसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हुए है। रायगढ़ सीट पर सबसे पहला चुनाव वर्ष 1962 में हुआ। चुनाव में कांग्रेस के चंद्रचूड़ सिंह देव का मुकाबला आरआरपी के राजा विजय भूषण सिंह से था, जिसमें कांग्रेस को हार मिली। 5 साल बाद 1967 में कांग्रेस ने चेहरा बदला और रजनीगंधा देवी सिंह पर दांव लगाया गया। उन्होंने जनसंघ के नरहरि प्रसाद को हराया। बावजूद उन्हें दोबारा मौका नहीं मिला। कांग्रेस ने 1971 के चुनाव में नए प्रत्याशी उम्मेद सिंह को भी पहली ही बार में जीत मिली। सारंगढ़ राजघराने की पुष्पा देवी सिंह को मौका मिला। उन्होंने कांग्रेस की झोली में रायगढ़ लोकसभा सीट डाल दी। लगातार दो बार भाजपा को परास्त किया। तीसरी बार भी कांग्रेस ने पुष्पा देवी सिंह पर ही विश्वास कायम रखा। भाजपा के नंदकुमार साय को मिली शिकस्त के बाद भी 1996 में टिकट दिया। इस बार वे जीतने में कामयाब हो गए।  फिर कांग्रेस ने यहां अजीत जोगी चुनाव लड़कर जीत हासिल की। केंद्र में अटल बिहारी वॉजपेयी की सरकार गिरी तो एक साल बाद ही दोबारा चुनाव हुए। इस दफा भाजपा व कांग्रेस दोनों ने चेहरा बदल दिया। भाजपा ने विष्णुदेव साय व कांग्रेस ने दोबारा पुष्पा देवी सिंह को मौका दिया, पर वे विष्णुदेव साय को हराने में कामयाब नहीं हो पाई। 2004 में पत्थलगांव के  तत्कालीन विधायक रामपुकार सिंह, 2009 में लैलूंगा तत्कालीन  विधायक हृदय राम राठिया, 2014 में आरती सिंह को हार मिली और अब 2019 में गोमती साय ने तत्कालीन विधायक लालजीत सिंह राठिया को हराया। इस बार 2024 मे राधेश्याम ने राजघराने के डा मेनका सिंह को हराया है।
इस दौरान सबसे अधिक कांग्रेस ने 10 बार प्रत्याशी बदले, पर इसमें उसे तीन बार ही जीत मिली। वहीं,कांग्रेस ने तीन दफा तो अपने सीटिंग विधायक को चुनाव मैदान में भी उतारा बावजूद इसके भाजपा से इस सीट को छीनने में कांग्रेस कामयाबी नहीं मिली।



1952 से अब तक बने ये सांसद

विजयभूषण सिंहदेव 1962 राम राज परिषद
रजनी देवी 1967 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उमेद सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
नरहरि प्रसाद साय 1977 में भाजपा
पुष्पा देवी 1980,1984,1991 में कांग्रेस
नन्द कुमार साय 1989, 1996,2004,2009 भाजपा
अजीत जोगी 1998 कांग्रेस
विष्णु देव साय 1999 से 2014 तक
गोमती साय 2019 से 2023 तक
राधेश्याम राठिया 2024 से शुरुआत करेंगे कार्यकाल



कांग्रेस रही विखंडित और नेतृत्व विहीनता, भाजपाईयों की मेहनत असरदार

कांग्रेस की हार की वजह प्रथम स्तर में संगठन का कमजोर होना है। जबकि इसी चुनाव के दौरान अलग अलग क्षेत्र से कांग्रेस के सिपाहियों का बड़े नेताओं के सभा में बड़ी संख्या में कांग्रेस का साथ छोड़ना है।इसके अलावा बूथ लेवल तक कांग्रेस स्थानीय संगठन ही नदारद रहा। स्थानीय कांग्रेस पदाधिकारी अपने ही नेताओं से गुटबाजी में अवरोध डालते रहे। जबकि इसके विपरीत भाजपा के जीत के लिए मोदी की गारंटी के साथ सीएम का गृह संसदीय क्षेत्र होना भी महत्वपूर्ण रहा। भाजपा पूरी ताकत के साथ बूथ स्तर में एक एक कार्यकर्ताओं के जरिए प्रचार में जुटी रही। इसके अलावा जिला स्तरीय संगठन तथा पार्टी के स्टार प्रचारकों का दौरा भी जमकर क्षेत्र में सभा के तौर पर रहा है। रही सही कसर स्वयं सीएम विष्णु देव ने कमान संभाल कर प्रचार किए आमसभा में  डबल इंजन सरकार गारंटी पर जनता को प्रभावित किए। पार्टी स्तर में वित्त मंत्री ओपी का भी जनाधार और उनके नीति से भाजपा को बड़ी जीत मिली है।



राजधानी रायपुर में भारत रत्न पूर्व पीएम को दिए वचन को निभा रही है जनता

अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में पूरे देश समेत छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का दबदबा था। राम मंदिर आंदोलन के बाद देश की राजनीतिक परिस्थितियां बदलनी शुरू हुईं और भाजपा विजय रथ पर सवार होने के लिए रास्ते पर चल पड़ी। प्रदेश में ये बदलाव राज्य निर्माण के वादे और अटलजी की मांग से जुड़ा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1998-99 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान  रायपुर के सप्रे शाला मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए एक वादा करते हुए एक वचन मांगा था। वचन ये कि छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में डालो और बदले में अलग राज्य ले लो। जिसे रायगढ़ समेत प्रदेश की  जनता अब तक निभा रही है। राज्य गठन के बाद से ही रायगढ़ अभेद किला भाजपा के लिए गढ़ बना है।

spot_img

Recent Artical