Monday, October 13, 2025
Google search engine
Homeछत्तीसगढ़रोजगार और मजदूरी न्यूनतम, पापी पेट की खातिर लोग मतगणना के बाद...

रोजगार और मजदूरी न्यूनतम, पापी पेट की खातिर लोग मतगणना के बाद कर रहे है पलायन

रायगढ़ रेलवे स्टेशन में गृहस्थ अभाव में प्रतिदिन हजारों ग्रामीण छोड़ रहे घर-बार
रायगढ़ ।
रायगढ़ जिले के विधानसभा के अधिकांश गांवों से पलायन बड़ी तादाद में होता है। इसकी मुख्य वजह ग्रामीणों को सालभर काम नहीं मिल पाना है। मनरेगा के तहत पंचायतों में काम तो होते हैं, मगर सप्ताहभर या पंद्रह दिन से ज्यादा लोगों को काम नहीं मिल पाता। इसके कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं। आलम यह है कि पापी पेट की खातिर मतगणना के बाद प्रतिदिन रेलवे स्टेशन में सैकड़ो की तादाद में पयालन करने वाले लोग नजर आ रहे है।
रेलवे स्टेशन में शहर से लगे एक ग्रांव के युवक से बात किया गया तो उसने बताया कि जयपुर काम के लिए जा रहा है। परिजन पहले से वहां है। बाहर काम के लिए जाने के बाद पूछा गया तो उसने बताया यहां मजूदरी कम मिलता है। काम भी समय पर नहीं मिलता है। बाहर जाने से लगातार काम मिलता है और मजूदरी यहां से कई गुना अधिक होता है। परिजन पहले ही वहां जा चुके और अब वे खुद जा रहे है। बरसात से पहले काम कर खेती किसान के लौट कर आएंगे। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र जांजगीर चांपा के बाद पलायन बड़ी समस्या है। हर साल यहां से एक लाख से अधिक लोग अलग-अलग राज्यों में पलायन करते हैं। क्षेत्र की यह स्थायी समस्या है। यहां का कोई भी विधानसभा क्षेत्र पलायन की समस्या से अछूता नहीं है। सभी विधानसभा के अधिकांश गांवों से पलायन बड़ी तादाद में होता है। इसकी मुख्य वजह ग्रामीणों को सालभर काम नहीं मिल पाना है। मनरेगा के तहत पंचायतों में काम तो होते हैं, मगर सप्ताहभर या पंद्रह दिन से ज्यादा लोगों को काम नहीं मिल पाता। इसके कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं। लोकसभा क्षेत्र के सभी आठ विधानसभा क्षेत्र में पलायन हर साल धान कटाई के बाद होता है। लेबर ठेकेदार गांव-गांव आकर मजदूरों से संपर्क करते हैं और उन्हें एडवांस देकर पलायन के लिए तैयार करते हैं। बहरहाल लोग अब मतगणना के बाद घर गृहस्थ और पापी पेट के लिए बड़ी संख्या में घर बार छोड़ कर देश के दूसरे राज्य पलायन कर रोजगार के लिए जा रहे है।

कार्रवाई के डर से कोई बना रहे घूमने जाने का बहाना

रोजाना लोग काम की तलाश में बाहर जा रहे है, इसने पूछने पर घूमने जाने की बात कही जाती है। एक ग्रामीण से पूछे जाने पर उसने जम्मू घूमने जाने के बारे में जानकारी दिया। जबकि पूरा परिवार बोरी में समान, बर्तन के साथ रवाना हो रहा था। जब उसने काम के लिए जाने के पूछने पर कहा गया। काम करके घूमते हुए वापस आएंगे। इसके पीछे की वजह यह भी रहता कि शासन प्रशासन उन्हें रोकने कार्रवाई तक करती है।

रोजगार के अवसर कम , पलायन रोकना बनेगा चुनौती

छत्तीसगढ़ से रायगढ़ ब्लाक के अंतर्गत आने वाले 50 से अधिक ग्राम के ग्रामीणों द्वारा पंजाब हरियाणा के इट भट्टे एवं तेलंगाना केरल में बोरिंग गाड़ियों में मजदूरी का काम करने महज अत्यधिक मेहनताना मिलने के एवज में जाते है। कई बार बंधक बनाए जाने की बात भी सामने आती है। वही दो रुपये का मानदेय बढ़ने से रायगढ़ जिले के मजदूरों को मजदूरी की तालाश में पलायन को रोकना किसी चुनौती से कम नही होगा।

जम्मू पंजाब हरियाणा, दिल्ली केरल और आंध्र प्रदेश पहली पसंद

रायगढ़ जिले के पयालन करने वाले लोगो की जब कुंडली खंगाली गई तो ज्ञात हुआ कि गांव के लोग बड़ी संख्या में पंजाब, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, आंध्रप्रदेश सहित अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। बताया जा रहा है कि इन राज्यों में न्यूनतम मजदूरी छत्तीसगढ़ की तुलना में बराबर है लेकिन काम प्रतिदिन मिलता है जबकि रायगढ़ तथा छत्तीसगढ़ में यह परिस्थिति नदारद है।

परिजनों के पलायन से बच्चे बनते है शालात्यागी

जिले के लैलूंगा ,तमनार ,पुसौर ,कापू एवं अन्य आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण अंचल विकासखंडों से पलायन होता है। अगर देखा जाए तो इस क्षेत्र के आसपास सूखा प्रभावित है और रोजगार के काम अब भी नहीं है साथ ही रोजगार के लिए के कोई ठोस योजना नहीं होने से यहाँ के ग्रामीण किसानों के समक्ष पलायन की मजबूरी आ जाती है जो पापी पेट की खातिर स्वाभाविक है। इन परिवारों के साथ बाहर गए बच्चे जुलाई माह तक वापस आ गए तो ठीक है, नहीं तो यही बच्चे शालात्यागी बनते हैं, जिन्हें शिक्षा प्रशासन लाख जतन के बाद भी ढूंढ नहीं पाते और शालात्यागी बच्चों के आंकड़े बढ़ते जाते हैं।

spot_img
spot_img

JANKARM DAILY EPAPER

Recent Artical