रायगढ़ (जनकर्म न्यूज़)। जिले की जीवन रेखा केलो नदी पर बना केलो डेम से लगभग 15 हजार एकड़ में सिंचाई के लिए जलापूर्ति करने की योजना है। केलो वृहद सिंचाई परियोजना के नाम से केलो डेम का निर्माण 598 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया था, इसकी कुल सिंचाई क्षमता 57 हजार 25 एकड़ है। आलम यह है कि न तो नहर पूरा हुआ है और न ही किसानों के खेतों में पानी आई है। जबकि नहर के लिए जमीन अधिग्रहित होने के बाद भी मुआवजा किसानों को नही दिया गया। इससे केलो परियोजना जिस उद्देश्य से बनाया गया वह केवल खोखला बनकर रहना प्रतीत हो रहा हैं।
गौरतलब हो कि दिलीप सिंह जूदेव वृहद सिंचाई परियोजना से रायगढ़ जिले के 167 गांव तथा जांजगीर- चाम्पा जिले के 8 गांव इस प्रकार कुल 175 गांव में सिंचाई के लिए जलापूर्ति कर खेतो में हरियाली लाने का मंशा शासन ने रखा था परियोजना को जमीन में लाते हुए बांध बनाया गया। जिसमें मुख्य नहर की 26 किलोमीटर तथा सहायक नहर 14 किलोमीटर है। इससे रायगढ़ शहर में पेयजल की आपूर्ति के लिए 4.44 मिलियन घन मीटर तथा औद्योगिक प्रयोजन के लिए 4.44 मिलियन घन मीटर पानी भी सुरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। केलो डेम के डूबान के गांव लाखा और दनौट में प्रभावितों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। पुनर्वास के लिए बनाई गई कालोनी में सड़क पक्की नाली पुलिया का निर्माण कराए जाने के साथ ही अन्य उपयोगी संरचनाओं का निर्माण कराया गया है। इन सबके इतर जब किसानों के खेतों में पानी एवं नहर की स्थितियों को देखा जाए तो यह पूरा परियोजना पूरी तरह से खटाई में नजर आता है। अबतक हजारो किसानों को मुआवजा तक नही मिला हैं। यही वजह है कि जलापूर्ति भी नही हो पा रहा है।
260 भू- अर्जन प्रकरण लंबित 1300 किसान इसके जद में
दिलीप सिंह जूदेव वृहत सिंचाई परियोजना ( केलो बांध ) में 260 भू-अर्जन के प्रकरण लंबित हैं जिनमें किसानों को मुआवजा तक नहीं मिल सका। इस बीच भाजपा के दो और कांग्रेस का एक कार्यकाल खत्म हो चुका है और वापस भाजपा सत्ता में आ गई हैं। इधर 1300 किसान ऐसे हैं केलो परियोजना विभाग ने समय पर नहरों का निर्माण पूरा नहीं किया और सरकार से फंड की डिमांड करते रहे। मनमाने तरीके से प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया गया। वहीं किसानों को मुआवजा बांटने के लिए करीब 28 करोड़ रुपए की जरूरत है। जबकि किसानों की आपत्तियों को निराकरण नहीं कर सके। मुआवजा के बाद पुनर्वास भी बाकी है। रेखीय परियोजनाओं में मुआवजे का आधा अधिकतम 5 लाख रुपए तय हैं।
100 करोड़ रुपये नहर के लिए प्रवधान बजट मे
भाजपा शासन में बांध की नींव आधारशिला रखा गया था अब वापस भाजपा सत्ता में आते ही केलो बांध की सुध ली है। वही अधूरे निर्माण, नहर तथा मुआवजा प्रकरण को समाप्त करने के लिए शासन ने इसके निर्माण की उच्च स्तर से नियमित समीक्षा कर 100 करोड़ रुपये स्वीकृत किए है। देखा जाए तो इस राशि से नहर व अन्य शेष कार्य तय समय में किया जाता है तो पूरा होना तय भी है । वहीं अधिकारियों की इच्छा शक्ति कमी के चलते जिस स्तर पर बांध का निर्माण होना चाहिए था वह नहीं हो पाया था,अब जब भारी भरकम राशि स्वीकृत है तो इसके बाद किस दिशा में काम होता है यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा।
ऐसे समझें दिलीप सिंह जूदेव केलो बांध परियोजना को
इस परियोजना की शुरुआत 2009 में हुई थी। इसे दिलीप सिंह जूदेव केलो वृहत सिंचाई परियोजना का नामकरण किया गया। तत्कालीन समय मे लागत 891 करोड़ रुपए है। इसमें केलो डैम के निर्माण के साथ ही मुख्य नहर, शाखा और वितरक नहरों का निर्माण शामिल है। केलो डैम की क्षमता 61.95 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इस परियोजना के पूरे होने से 175 गांवों के 22 हजार 810 हेक्टेयर को सिंचाई सुविधा मिलेगी। रायगढ़ जिले के 167 गांवों की 21 हजार 596 हेक्टेयर और सक्ति जिले के 8 गांवों की 1 हजार 214 हेक्टेयर जमीन शामिल है। वर्तमान में कुल लागत काफी बढ़ गई हैं जिसमें दुगना होना बताया गया है और परियोजना अधूरा है।