Monday, December 1, 2025
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शहर की 37 सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव गोलमोल लंबाई का जिक्र चौड़ाई का नहीं – नेता प्रतिपक्ष सलीम

शहर की 37 सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव गोलमोल लंबाई का जिक्र चौड़ाई का नहीं – नेता प्रतिपक्ष सलीम

शहर विकास के लिए लाए जाने वाली कार्ययोजना के लिए अधिनियम का नहीं किया गया पालन

प्रस्ताव पर चर्चा की मांग को अनसुना करना शहर विकास की सही मायनों मंशा नहीं

रायगढ़। बीते दिवस नगर पालिक निगम की साधारण सभा की बैठक में शहर के विभिन्न विकासोन्मुखी कार्य के साथ शहर की 37 सड़कों के चौड़ीकरण का भी प्रस्ताव लाया गया है। प्रस्ताव में सड़क के लंबाई का तो जिक्र किया गया है लेकिन चौड़ीकरण को लेकर कोई जिक्र नहीं किया है। इससे जाहिर है इसे अंधेरे में रखकर प्रगतिनगर की तर्ज पर तोड़फोड़ की मंशा निगम प्रशासन रखती है।
नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने कहा की बीते दिवस नगर पालिक निगम की साधारण सम्मेलन में विकास कार्य को लेकर प्रस्ताव रखा गया था जिसमे शहर की 37 सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव क्रमांक 04 के तहत अनुमोदित किया गया है। इसमें सड़कों की लंबाई का जिक्र किया गया है लेकिन उन सड़कों की चौड़ीकरण किस तरह और कितनी होगी इसका प्रस्ताव में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। प्रस्ताव में सड़कों के चौड़ाई का वर्णन न होने से भ्रम की स्थिति है जो आगे चलकर विवाद एवं संघर्ष का कारण बनेगा।
नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने कहा कि हमारा मानना है कि शहर विकास हेतु सड़कों का चौड़ीकरण होना आवश्यक जिससे आवागमन के साथ अन्य व्यवस्थाओं का भी सुधारीकरण हो। लेकिन प्रस्ताव के अनुसार चौड़ीकरण के मापदंडों के अभाव में विवाद और संघर्ष के साथ मजलूमों के शोषण की कीमत पर ऐसा विकास कतई स्वीकार नहीं है। प्रस्ताव में प्रभावितों का स्पष्ट आंकलन हो कलेक्टर के गाइड लाइन के तहत मुआवजे की गणना भी सम्मिलित की जाए।
यदि निगम सरकार शहर 37 सड़कों के चौड़ीकरण प्रगति नगर कयाघाट की तर्ज पर किए जाने की मंशा रखती है तो विकास की आड़ में दुर्भावना का हम पुरजोर विरोध करेंगे। मुआवजे एवं पुनर्वास का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। और शहर की आम जनता को विश्वास में लेकर सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जाए। सड़क चौड़ीकरण का मापदंड तय होना चाहिए और कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार मुआवजे की भी स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। अन्यथा कांग्रेस इस दुर्भावना पूर्ण कार्रवाई के लिए सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ने कटिबद्ध है।


क्या कहता है अधिनियम
नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत विकास कार्य से पूर्व छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 291 में स्पष्ट व्याख्या है कि क्रियान्वयन का संकल्प पारित कराने के पूर्व इस प्रावधान के अधीन आम नागरिकों से सुझाव दावा आपत्ति मंगानी चाहिए, आपत्ति प्रस्तुत करने की तिथि 30 दिन से कम नहीं होनी चाहिए। यह आपत्ति सुझाव आयुक्त को लिखित में देनी होती है। प्रावधानों के अनुसार प्राप्त दावा आपत्तियों को आयुक्त को अपनी अनुशंसा से साथ महापौर/ परिषद के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। जहां से आगे की कार्रवाई सुनिश्चित होती है। जबकि शहर विकास के लिए सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव लाने के पूर्व नगर पालिक निगम की अधिनियम के प्रावधानों का कहीं कोई पालन ही नहीं किया गया है और सीधे सम्मलेन की बैठक में प्रस्ताव लाया गया है जिसमें न तो कोई मुआवजे का उल्लेख है और न ही कितनी चौड़ाई होगी इस बात का कोई उल्लेख है।

विपक्ष की सदन में चर्चा के मांग को किया अनसुना

सदन में इस प्रस्ताव को लाने पर विपक्षी दल कांग्रेस ने नेताओं ने इस पर चर्चा की मांग को लेकर चिल्लाते रहे लेकिन सत्ता पक्ष के द्वारा बहुमत के आधार पर प्रस्ताव को पास करा दिया गया। नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने कहा कि इनकी मंशा ही नहीं है की शहर का व्यवस्थित तरीके से विकास हो। कांग्रेसी पार्षदों के द्वारा लाए गए 6 प्रमुख प्रस्तावों पर चर्चा की मांग करते रहे लेकिन सदन में विपक्षी दल कांग्रेसी पार्षदों की आवाज को दबाते हुए सिर्फ बहुमत के आधार पर पास कराया गया।

नेता प्रतिपक्ष सलीम नियारिया

आखिर इतनी हड़बड़ी किस बात की
नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये सभी प्रस्ताव एक साल में हो नहीं सकते हैं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत विकास कार्यों को कराया जाना है। आखिर इन प्रस्ताव को पास कराने की सत्ता पक्ष को क्या हड़बड़ी थी। जिस तरह से विपक्षी दल के चर्चा की मांग को अनसुना करते हुए सभी नियम विरुद्ध लाए गए प्रस्तावों को बिना चर्चा कराए पास कराया गया है इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की बू आ रही है। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि इनकी मंशा सही तरीके से शहर विकास की है ही नहीं, अन्यथा चर्चा कराने की मांग को अनसुना नहीं किया जाता।

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