जिंदल के सीमेंट प्लांट के विस्तार में जाएगी कोसमपाली और सराईपाली गांव में पीडब्ल्यूडी की बनाई सड़क
क्षमता विस्तार के लिए जेएसपीएल ने तबादले में मांगी जमीन
जनकर्म न्यूज । रायगढ़। अपने सीमेंट प्लांट की क्षमता विस्तार के लिए जेएसपीएल ने तबादले में जमीन की मांग की है। कोसमपाली में कंपनी ने जो जमीन की मांग की है, उस पर पीडब्ल्यूडी की सडक बनी हुई है। वहीं सराईपाली गांव की जमीन भी मांगी गई है। लोगों के विरोध से बचने के लिए और ग्राम पंचायत को बिना बताए सिर्फ दो दिन का समय देकर इश्तहार प्रकाशन किया गया है। अब सोमवार को तहसीलदार इस पर सुनवाई करेंगे।
जिले में अब उद्योगों के हित के लिए तबादले में जमीन देने का नया खेल शुरू हो गया है। राजस्व विभाग के इस नए पैतरें को लोग समझ ना सके इसके लिए पूरे संगठित रूप से काम किया जा रहा है। तबादले में जमीन देने से नाराज बरमुडा के ग्रामीणों का विरोध अभी थमा भी नहीं था कि अब नवीन जिंदल की स्वामित्व वाली कंपनी भी जिंदल पैंथर सीमेंट प्लांट के विस्तार के लिए वही शार्टकट अपना रही है। रायगढ तहसीलदार द्वारा 11 जुलाई को जो ईश्तहार प्रकाशन किया गया है। उसके अनुसार कोसमपाली, धनागर, बरमुड़ा और सराईपाली में जिंदल पैंथर सीमेंट प्लांट का उद्योग स्थापित किया जाना है। जिंदल के इस प्रोजेक्ट में कोसमपाली में पीडब्ल्यूडी की बनाई गई सडक भी जा रही है।
इसमें करीब 8 खसरा नंबर में 3.008 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होनी है। उक्त सडक मद की भूमि के बदले जिंदल ग्रुप अपने स्वामित्व की दूसरी जमीन देना चाह रहा है। इसी तरह सराईपाली में भी सडक मद की भूमि सीमेंट प्लांट में जा रही है। हल्का नंबर53/25 खसरा नंबर 100 में करीब 0.219 हेक्टेयर की सडक मद की इस सरकारी जमीन के बदले जिंदल बरमुडा गांव में इतनी ही जमीन देना चाहता है। ये दोनों ईश्तहार एक साथ प्रकाशित कर तहसीलदार ने दावा आपति मंगाने नाम की सरकारी खानापूर्ति की है।
2 दिन के शार्ट नोटिस में मंगाई दावा आपत्ति
तहसीलदार रायगढ द्वारा जारी यह ईश्तहार 11 जुलाई शुक्रवार को राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित करवाया गया। इसके अनुसार प्रकरण में सोमवार 14 जुलाई को सुनवाई होनी है। ईश्तहार प्रकाशन के लिए भी ऐसा दिन चुना गया कि लोगों को जानकारी ना लग सके और विरोध करने का वक्त भी ना मिले। शनिवार और रविवार के अवकाश के कारण प्रभावित ग्रामीण चाहकर भी कोई दावा आपत्ति जमा नहीं कर सकेंगे और सोमवार को कंपनी इसका फायदा उठा सकेगी।
कंपनी व भू माफियाओं के आगे बेबस अफसर
सुशासन की सरकार में भी आम आदमी को राजस्व या नजूल विभाग का कोई काम पडे तो अफसरों द्वारा तरह तरह के सरकारी नियम कानून बताकर प्रकरणों को जान बूझकर रंग लटकाया जाता है लेकिन जहां किसी कंपनी या बिल्डर बन चुके भू माफियाओं का काम आता है तो इतनी आसानी से इसके लिए शार्टकट ढूंढकर काम को अंजाम दिया जाता है कि लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। इस मामले में भी ऐसी ही शार्टकट निकाला गया है।




