उद्योगों के सीएसआर मद और अमृत सरोवर योजना अधर पर विरासत की पहचान तालाबों का अस्तित्व खतरे में
नगर निगम के रिकार्ड में 48 वार्ड में 44 तालाब सभी अतिक्रमण और बदहाली की झेल रहे है मार
तालाब बना नाला और डबरी, गर्मी से पहले ही सूखाग्रस्त, तालाबों के आस्तित्व पर अतिक्रमण का खतरा

रायगढ़। शासन द्वारा एक ओर जहां अलग अलग योजनाओं के अंतर्गत तालाबों को संवारा जा रहा है,तो दूसरी ओर शहर में कुछ ऐसे भी तालाब है, जिस पर अतिक्रमणकारियों की गिद्ध नजर से तालाबों का अस्तित्व खतरें में हैं। आलम यह है कि इन्हें धरोहर मानते हुए तालाबो के संरक्षण व संवर्धन के लिए तत्कालीन दौर में उद्योगों के सीएसआर मद से संवारने का निर्णय लिया था, चूंकि यह सफल नही हुआ, यही हाल अमृत सरोवर योजना का भी रहा और प्रशासनिक इच्छा शक्ति से मृत अवस्था मे शहरी क्षेत्र के तालाब हैं।
गौरतलब हो कि नगर निगम रिकार्ड के मुताबिक शहर के 48 वार्ड में 44 तालाब है। इन तलाब के इर्दगिर्द अतिक्रमण इस कदर हावी है की लोग अपना रहवास बनाने के साथ कब्जा करते हुए औने-पौनें दर में प्लांटनेशन कर बेच रहे है। ऐंसा नही की अतिक्रमणकारियों की काली करतुत की जानकारी जिला प्रशासन एवं निगम अमला को नही है, फिर भी इनकी चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रहा हैं।
नगर निगम क्षेंत्र में ढिमरापुर- जगतपुर, राजा महल के पास स्थित बाघ तालाब समेत का अन्य हाल बेहाल है, यही हाल शहर के अन्य लगभग सभी तालाबों की स्थिति हैं। जो कई एकड रकबे में फैले तालाब अब डबरी के स्वरूप मे नजर आ रहें हैं। प्रधासन व आमजन, सरोवर धरोहर योजना को ठेंगा देखाते हुए पुरात्तव नक्शें में अमिट धरोहर को मिटा कर अपना सम्राज्य स्थापित करने में लगे हुए हैं।
वही इन्हें सहेजने के लिए प्रशासन हर वर्ष विभिन्न योजनाओं के साथ उद्धार करने की कवायद करती है परंतु मजबूत इच्छाशक्ति नहीं होने के कारण शासन प्रशासन की सभी योजनाएं कागजों तक ही सीमित रहती हैं यहां यह बताना लाजिमी होगा कि तत्कालीन कलेक्टर द्वारा जिले के उद्योगों को सीएसआर मद से तालाब जीर्णोद्धार का दायित्व सौंपा था। परंतु इसे चंद उद्योग द्वारा अमल किया और सवारने थे।इससे शहर के दो तालाब की स्थिति आज बेहतर बन पाई है लेकिन बाकी उद्योग ने आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। वही कलेक्टर का तबादला होते ही इस पर गाहे बगाहे नेता व निगम की सदन में कार्य योजना बनी किन्तु यह केवल खानापूर्ति तक सीमित रहा इसकी वजह केवल प्रशासनिक उदासीनता है इसी कारण सरोवर की स्थिति दयनीय है। जो आने वाले समय मे नक्शे से गायब हो सकते है यह कहना गलत नहीं होगा।
आस्तित्व पर अतिक्रमण का खतरा
वर्ष 2014-15 के रिकार्ड में निगम में नए रिकार्ड के शहर में 48 वार्डो में 44 से अधिक तालाब है,परंतु इनमें से कई तालाबों का नक् शा फिलहाल में पुरी तरह से बदल चुका हैं। देखा जाए तो इन तालाबों में अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमाते हुए लम्बा चौड़ा रिहायशी मकान बना कर निवासरत हैं । तालाबों मेंं अतिक्रमण के कारण इसके आस्तित्व खतरें में नजर आ रहा हैं, वही आनें वाले समय में इन तालाबों का नक् शा से निशान गायब होना अभी से तय नजर आ हैं ।
तालाब बना नाला और डबरी, गर्मी से पहले ही सूखाग्रस्त
निगम क्षेत्र अंतर्गत कई रियासत कालीन तालाब पर भू माफियाओं की पैनी नजर एवं तलाब के आसपास निवासरत लोगों द्वारा अपने आशियाने को बढ़ाते हुए कब्जा जमा चुके है तो कुछ लोग पैर पसार रहे है अतिक्रमणकारियों के इस करतूत से तालाब का स्वरूप तो छोटा हो रहा है साथ ही डबरी के समान नजर आ रहा हैं । कब्जाधरियों द्वारा घर से निकलने वाला गंदा पानी को सीधे तालाब में छोड़ा जा रहा है। तो गर्मी में अधिकांश तालाब सूखे की स्थिति से जूझ रहे है।
इन तालाबो में की गई खर्च, फिर भी आस्तित्व खतरे में
शहर में नगर निगम तथा जिला प्रशासन द्वारा अपने स्तर में तालाबो की साफ सफाई का कार्य व जीर्णोद्धार तथा जलकुंभी को निकालती है। इसमे लाखो करोड़ो रुपये खर्च किया जाता है लेकिन यह कुछ माह में उक्त ख़र्च की राशि की पोल खोलकर रख देता है। वहीं,बाघ तालाब ,कैदी मुड़ा दोनो तालाब ,गंगाराम तालाब ,अतरमुड़ा, गंगाराम तालाब, जगतपुर, बुझबधान ,टायर तालाब,कलेक्टर दफ्तर के पीछे, महिला बाल विकास के पीछे , रोज गार्डन पीडब्ल्यूडी कालोनी के बगल तालाब समेत अन्य ऐसे तालाब है जो आदि काल से रियासत काल तक अपना अस्तित्व को बचा रखें थे पंरतु वर्तमान में इनकी स्थिति बेहाल हैं।
कुछ तालाबों का हुआ काम तो कुछ तंगी के बहाना में दम तोड़ दिए
तालाबों का जीर्णोद्धार कुछ उद्योगों ने रुचि दिखाते हुए अपना दायित्व को पूरा किया लेकिन कुछ उद्योग ने फंड रोना तो घाटा का हवाला देकर को दरकिनार कर दिए। इसमें जयसिंह और गणेश तालाब का जीर्णोद्धार उद्योग द्वारा किया गया जिससे यह तालाब व्यवस्थित है। शहर की विरासत को सहेजे कर्बला तालाब में विवाद होने के कारण इसे सीएसआर से दूर रखा गया। इसके साफई के लिए साल दर साल करोड़ो रूपये खर्च निगम कर चुकी है। वर्तमान में कई उद्योग मंदी के मार के बीच बंद हो गए है। तो कुछ ने इससे पल्ला ही झाड़ लिए ।
सीएसआर मद में शामिल तालाब जीर्णोद्धार सूची
जयसिंह तालाब- कोरबा वेस्ट
गणेश तालाब- जिंदल स्टील एंड पावर
भुजबधान तालाब- जेएसपीएल
राजीव नगर वार्ड 1 – मा शाकम्बरी
जगतपुर -बीएस स्पंज
बड़े रामपुर एमएसपी
गंगाराम तालाब- जेएसडब्ल्यू
पुछापारा -नलवा स्टील
पालीटेक्निक कालेज पीछे -वीसा पावर
बाल समुंद -जेएसपीएल
कौहाकुंडा – जेएसपीएल
जनपद आफिस सामने- एमएसपी
कलेक्टर आफिस पीछे- शारदा मिनरल्स
कैदीमुड़ा -जेएसडब्ल्यू
फटहामुड़ा -नलवा स्टील
सराईभदरा -वीसा पॉवर
राजीव नगर दर्रामुड़ा- गोदावरी पावर
मिट्ठुमुड़ा 2 -जेएसडब्ल्यू
सोनूमुड़ा तालाब- वीसा पावर
अतरमुड़ा उपर तालाब -जयसवाल निको
ढिमरापुर – माँ काली एलायंस
नोट- निगम रिकार्ड के मुताबिक कुछ उद्योग जगत द्वारा कार्य किए परंतु कुछ उद्योगों ने आर्थिक तंगी का हवाला देकर कार्य नही किए।




