Monday, December 1, 2025
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पूर्व महापौर जेठूराम के भाजपा में टिकट मिलने की शर्तों पर शामिल होने की अटकलें तेज

पूर्व महापौर जेठूराम भाजपा में टिकट मिलने की शर्तों पर शामिल होने की अटकलें तेज

राजनीति दल भी उनके गतिविधियों पर रखे है नजर, निर्दलीय भी आजमा सकते है किश्मत

रायगढ़।
त्रि-स्तरीय चुनाव की कवायद मतदाता सूची के माध्यम से हरी झंडी मिल चुकी है। चुनाव के दौर में जाने के लिए नेताओं ने भी कमर कस लिए है। इस बीच बीते दिन कांग्रेस पार्टी से उपेक्षित होकर त्याग पत्र देने वाले नेता शहर के प्रथम तथा पूर्व महापौर जेठूराम ने खलबली मचाकर रख दिये है। अब राजनीतिक गलियारों में उनके भाजपा में प्रवेश होने की अटकलें तेज हो गई है। कथित तौर पर टिकट की शर्तों के साथ वे चुनावी मैदान में बीजेपी में नजर आ सकते है।

रायगढ़ शहर की राजनीति में पूर्व महापौर जेठूराम का अपनी एक अलग मुकाम हैं। आरक्षित सीट से आने तथा समाज मे पकड़ मजबूत होने के चलते वे चुनाव को काफी हद तक प्रभावित करते है। चूंकि लंबे दौर से कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी का खेल चला आ रहा है। गुटबाजी के चलते इस जुगलबंदी का शिकार कद्दावर नेताओ के मध्य कड़वाहट के बोल राजनीतिक जुबान में है। युवा वर्ग भी इसी गुटबाजी के चलते हासिए में धेकेल दिए गए है। मोह उनका अब दूसरे राजनीतिक दल की ओर झुकने लगा है। हालांकि भविष्य की राजनीति में पैठ को मजबूत करने की जुगत से वे हर कदम कद्दावर से लेकर युवा नेताओं सोच समझकर बढ़ा रहे है।इसमे पूर्व महापौर जेठूराम मनहर भी है। हाल ही में उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर राजनीति में उथल पुथल कर दिए है। कांग्रेस ने गुटबाजी को खुलकर सामने लाकर रख दिया, यह उस वक्त हुआ जब नगरीय निकाय चुनाव का एलान होने के लिए चंद दिन है। इन सभी के बीच राजनीतिक गलियारों में जेठूराम कोलेकर भाजपा में आने के संकेत शुरुआत से मिल रही थी। ऐसे में धीरे धीरे यह परिस्थिति खुलकर सामने आने विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आ रहा है। भाजपा नेताओं से उनकी नजदीकी तथा उनके साथ रहना आम परिस्थितियों को
दर्शा कर कई कहानी को बयां कर रहा है।
फिलहाल जेठूराम इससे इंकार तो नही कर रहे है लेकिन हामी भी नही जता रहे है,ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि वे हर एक पत्ता दांव पेंच सोच समझकर भविष्य को देखकर तय कर रहे है।

नही बनी सहमति तो क्या होगा उनका आखरी दांव

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेताओं की टीम जमीनी स्तर कई तरह से जेठूराम के वर्चस्व तथा प्रभाव का आंकलन कर रही है। दरअसल जेठूराम महापौर चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने उन्हें दो बार और मौका दी हैं। मगर वे पार्टी को निराश किए। इन परिस्थितियों के बीच अगर जेठूराम मनहर का दांव पेंच धरी रह गई तो, तब की स्थिति में क्या वे निर्दलीय लड़ेंगे ? यह भविष्य के गर्भ में है। जो आने वाले एक दो दिन मे भाजपा के किसी बड़े कार्यक्रम में तय हो सकता है।

समय आने पर मालूम होगा सबको- जेठूराम

पूर्व महापौर जेठूराम ने जनकर्म से चर्चा में बताएं कि
त्याग पत्र देने के बाद पारिवारिक और व्यक्तिगत कार्य मे कुछ दिन व्यस्त रहा हूं। राजनीतिक पार्टी में जाने या न जाने की चर्चा का रास्ता खुला है। उन्होंने भाजपा में जाने की अटकलें को खारिज नही किए है। दो टूक बातों में समय आने पर स्पष्ट पारदर्शिता के राजनीति में फिर से नजर आने की बात दोहराए हैं।

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