Monday, December 1, 2025
Google search engine
HomeBlogउसरौट रेत खदान शुरू, चालू वर्ष में 40 हजार घन मीटर उत्खनन...

उसरौट रेत खदान शुरू, चालू वर्ष में 40 हजार घन मीटर उत्खनन लक्ष्य पहले ही दिन घाट में रही आपाधापी

उसरौट रेत खदान शुरू, चालू वर्ष में 40 हजार घन मीटर उत्खनन लक्ष्य पहले ही दिन घाट में रही आपाधापी

रेत खदान शुरू होने के बाद ठेकेदार और माफियाओं की गठजोड़ से कीमत पुरवर्ती 25 सौ रुपये ट्राली

मांड नदी में मौजूद जिले का सबसे बड़ा रेत घाट उसरौट, अन्य को नही मिली स्वीकृति


रायगढ़।
जिले के सबसे बड़े रेत घाट मांड नदी पर मौजूद उसरौट में इस वर्ष 440 हजार घन मीटर उत्खनन का लक्ष्य रखा गया है। बारिश के मौसम पर नदी घाट से रेत उत्खनन पर लगी रोक 16 अक्टूबर को हटते ही रेत परिवहन के लिए आपाधापी की स्थिति रही। इधर रोक हटने से पहले ही रेत माफिया सक्रिय नजर आ रहे थे, उनकी सक्रियता आज पहले ही दिन नजर आई। जिसके चलते दाम कम होने के बजाए पूर्व की तरह 25 सौ रुपये की दर से प्रति ट्रेक्टर ट्राली बिक्री करते रहे।


शासन द्वारा पर्यावरण तथा अन्य पहलुओं के चलते बारिश के मौसम में तीन माह में लिए रेत उत्खनन पर पाबंदी लगा दी थी जो अब बुधवार से चालू हो गई । जबकि जिले के विभिन्न अंचलो से रोक तथा प्रतिबंधित होने के बावजूद लगातार रेत की आपूर्ति महंगे दामों में अवैध तरीके के हो रहा है। देखा जाए तो दो साल पहले तक कि स्थिति में जिले में 30 से अधिक रेत खदान थे, इसमें अलग अलग तहसील से आने वाले रेत घाट है। जबकि 9 ही वैध थे। बाकी से अवैध तरीके से खनन कर ब्रिकी रेत की उद्योग व घरों में सप्लाई हो रही है। तत्कालीन सरकार के दौरान कई नए रेत घाट चिन्हित की गई। इसमें दस घाट पांचवीं अनुसूची क्षेत्र से है। इस बार उन्हें स्वीकृति नए सरकार में मिलने की उम्मीद थी लेकिन यह घाट इस बार भी आरंभ होने के लिए स्वीकृत नही हो पाए है। जबकि एक मात्र मांड नदी में मौजूद घाट उसरौट से 40 हजार घन मीटर रेत खनन होने की बात विभाग के अधिकारियों द्वारा कही जा रही है। फिलहाल रेत घाट आरंभ होते ही आम लोगो को पीएम आवास व अन्य में रेत की बढ़ी कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद थी चूंकि पहले दिन यह हालात नजर नही आया और रेत पूर्व की कीमत 25 सौ रुपये बड़ी ट्राली के हिसाब से बिक रही है।

3 नए घाट चिन्हित होने के बाद भी पर्यावरणीय स्वीकृति में लटकी

पूर्व में जिले में छोटे-बड़े 39 रेत खदान का संचालन हो रहा था, जिसमें 9 वैध संचालित बाकी 23 की भी नीलामी पूर्व में हो चुकी है।लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति नही मिल पाई। इस बीच 3 नए खदान की स्वीकृति मिल चुकी हैं जिसमें उसरौट, टायांग,पामगढ़ रेत घाट खदान शामिल है। लेकिन यह भी स्वीकृति के आभाव के लटक गया है।
इस वजह से इन खदानों व घाट से बड़े स्तर में अवैधानिक रूप से खनन कर रेत निकाला गया था, इसका असर शासन के राजस्व पर पड़ रहा है।

घरघोड़ा लैलूंगा धर्मजयगढ़ के पांचवी अनुसूची के घाट स्वीकृति अधर पर

रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़, घरघोड़ा, तमनार और लैलूंगा में रेत खदानों को एनओसी नहीं मिल सकी है। यह पांचवी अनुसूची के तहत खदान के दायरे में आ गई है। इस पर हाईकोर्ट का आदेश भी है। जबकि इसे दो साल से शुरू करने की कवायद की जा रही है वहीं आदिवासी ब्लाक के रेत घाटों का संचालन ग्राम पंचायत के अधीन कर दिया गया। जो रेत खदानें आवंटित की जा चुकी थी, उनको भी नए सिरे से स्वीकृति लेनी पड़ रही है। ऐसे में रेत की आपूर्ति जिले में एक ही खदान से होना है इससे आने वाले दिनों में अवैध तथा इसकी पूर्ति में कई वैधानिक अड़चनों का क्रम आना तय है।

वर्जन

इस बार भी एक ही रेत घाट की स्वीकृति मिली है। उसरौट से 40 हजार घन मीटर रेत उत्खनन होना है।

आशीष गढ़पाले,खनिज विभाग

spot_img
spot_img

JANKARM DAILY EPAPER

Recent Artical