भर्ती और नियुक्ति के बाद नियम बनाकर शिक्षिका को किया बर्खाश्त, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
लैलूंगा के तत्कालीन सीएमओ सीपी श्रीवास्तव ने जारी किया था आदेश
अमित शर्मा
जनकर्म न्यूज
रायगढ़। शिक्षक भर्ती के विज्ञापन और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के बाद लैलूंगा सीएमओ ने नियमों का हवाला देकर एक शिक्षिका को एकतरफा बर्खाश्तगी आदेश थमा दिया था। साल 2014 के इस रोचक मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए तत्कालीन सीएमओ सीपी श्रीवास्तव के आदेश को निरस्त किया है और नपं से दस्तावेज गायब होने और कोर्ट में बिना एफिडेविट के दस्तावेज जमा करने पर जांच कराकर पुलिस में भी प्रकरण दर्ज करने निर्देश दिए हैं।
विवादों में रहने वाले नगरीय प्रशासन विभाग के सामुदायिक संगठक और लैलूंगा में सालों तक प्रभारी सीएमओ बने रहे सीपी श्रीवास्तव की मुसीबत हाईकोर्ट के एक आदेश ने बढ़ा दी है। दरअसल साल 2014 में सीएमओ सीपी श्रीवास्तव ने लैलूंगा में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया संपन्न कराने के बाद महिला टीचर अनिता शर्मा को बर्खाश्त कर दिया था। टीईटी व बीएड पास नहीं होने की बात कहकर सीएमओ ने टीचर की नियुक्ति के 6 महीने बाद बर्खाश्तगी आदेश जारी किया था। जिस पर महिला टीचर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनके वकील अवध त्रिपाठी ने महिला टीचर का पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि शिक्षक भर्ती के विज्ञापन में इस बात का कहीं जिक्र नहीं था और महिला टीचर की तरह कुछ अन्य टीचर की भी बिना बीएड की नियुक्ति हुई है। ऐसे में सीएमओ ने दुर्भावना वश महिला टीचर को बर्खाश्त किया है। कोर्ट में नपं लैलूंगा सीएमओ को अपना पक्ष रखने के अनेक अवसर दिए गए लेकिन भर्ती नियम से संबंधित फाइल गायब होने का बहाना बनाकर सीएमओ इसे टालते रहे। इस दौरान कोर्ट में बिना शपथ पत्र के भी कुछ दस्तावेज जमा कर दिए गए। इस संबंध में सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी ने महिला टीचर का दावा सही पाया और तत्कालीन सीएमओ सीपी श्रीवास्तव के आदेश को निरस्त कर महिला को 10 सालों का वेतन भी एरियर्स समेत जारी करने कहा है। कोर्ट में विरोधाभाषी बयान देने और कुछ दस्तावेजों को बिना शपथ पत्र के पेश करने की कोशिश पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है और कहा कि इस संबंध में आवश्यक जांच के बाद पुलिस में प्रकरण दर्ज करने कहा है।
साक्षात्कार प्रक्रिया में भी कोर्ट ने उठाए सवाल
शिक्षक भर्ती की इस प्रक्रिया में मौखिक साक्षात्कार के लिए आवंटित अंक लिखित परीक्षा के समान ही थे। साक्षात्कार में जिस तरह से अभ्यर्थियों को अंक दिए गए हैं। उससे पारदर्शिता की कमी का पता चलता है। लिखित परीक्षा में 50 में से 47 अंक प्राप्त करने वाले को साक्षात्कार में केवल 20 अंक दिए। जबकि बड़ी संख्या में साक्षात्कार में अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा जितने ही अंक मिले। लिखित में 34 व 36 अंक प्राप्त करने वाले को साक्षात्कार में 45-45 अंक दिए गए।
बर्खाश्तगी आदेश पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने बर्खाश्तगी के आदेश को दुर्भावनार्पूण बताकर सख्त टिप्पणी की है। आदेश के अनुसार महिला टीचर का नियुक्ति आदेश आयुक्त नगरीय प्रशासन द्वारा जारी किया गया था और बाद में बिना कोई जांच किए नवंबर 2014 में लैलूंगा सीएमओ द्वारा उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई। बर्खाश्तगी से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया। टीईटी और बीएड अनिवार्यता की शर्त वाला कोई पूर्ववती विज्ञापन भी सीएमओ कोर्ट में पेश नहीं कर सके। हाईकोर्ट द्वारा बार बार अवसर देने के बाद भी सीएमओ ने कहा कि दस्तावेज गायब हैं। फिर भी गलत प्रयास किए गए और उन्होंने बिना किसी शपथपत्र के कवरिंग मेमो के तहत कुछ दस्तावेज दाखिल कर पूरे मामले को छिपाने की कोशिश की।
—————————————