Tuesday, October 14, 2025
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ट्रांसपोर्ट नगर में कंडम हालत तो थाने में सड़ रही है सिटी बस

ट्रांसपोर्ट नगर कंडम तो थाने में सड़क रही है सिटी बस, मरम्मत के लिए गई बस भी नही लौटी

सड़कों से सिटी बस चलने के बजाए गायब, यात्री निजी बसों में अधिक किराए देकर सफर करने मजबूर

रायगढ़। शहरी सार्वजनिक यातायात सोसाइटी के तहत तत्कालीन भाजपा सरकार ने रायगढ़ वासियों को बड़ी सौगात देते हुए महानगरों के तर्ज पर सिटी बस का संचालन करने की योजना लाई थी। जिसमें शुरुआत से लेकर एक दशक का दौर गुजरने को है बावजूद इसके बसों का संचालन करने स्थानीय प्रशासन जनप्रतिनिधि नाकाम साबित हुए हैं। विडंबना यह है कि बसे चलने के बजाए विभिन्न स्थानों में कंडम होकर खड़ी है तो दुर्घटना के बाद किसी थाने में कबाड़ में तब्दील हो रही है। योजना का लाभ मिलने के बजाए यात्रियों को अतिरिक्त राशि देकर आवागमन निजी बसों में मजबूरी वश करना पड़ रहा है।

महानगरो की तर्ज पर रायगढ़ वासियों को सरकारी परिवहन का सब्ज़बाग दिखाया गया। तत्कालीन सरकार ने इसे पूरा भी। शासन स्तर से सिटी बस योजना की शुरुआत के लिए साल 2014-2015 में नगर निगम द्वारा 20 सीटी बसों की खरीदी गई । ताकि यहां के लोगों को इसका लाभ मिल सके। शुरुआती दौर में बस को चलाने के लिए निगम प्रशासन आपरेटर नही खोज पाई ,जिससे यह योजना खटाई में चली गई।लंबे जद्दोजहद के बाद तत्कालीन कलेक्टर के हस्तक्षेप से निजी बस संचालित करने वाले आपरेटर को इसकी जिम्मेदारी के लिए मनाया गया तब कही जाकर यह बस सड़को में आ पाया, चूंकि शुरुआती दौर में कुछ बस का रूट फाइनल हुआ था। रूट के आभाव में आधे ज्यादा बस खड़ी रह गई। तो किसी मार्ग में सवारी न होने के चलते ऑपरेटर उसे पर सहमति नहीं बना पाए। वर्तमान परिस्थितियों में भी यही हालात बने हुए हैं। प्रमुख मार्गों पर सिटी बस के नहीं चलने से यात्रियों को आवागमन में निजी बसों का सहारा लेना पड़ रहा है। दरअसल कई रूट जैसे जामंगांव, तमनार, पुसौर छाल, संबलपुरी मार्ग जैसे रूट पर सवारी नगण्य है। जिसके चलते सिटी बस का परिचालन ठप रहा, वही निजी बस संचालक मनमर्जी किराए भी ले रहे है। इसका असर यात्रियों के जेब पर पड़ते हुए उन्हें आर्थिक क्षति उठाना पड़ रहा है।

दुर्घटनाओं के बाद थाने से निकलवाना तक नही समझे जिम्मेदार

सड़कों पर किसी भी प्रकार के वाहनो के चलने से दुर्घटनाओं का सबब भी गाहे बगाहे बनता है। इसका दंश सिटी बस भी उठाया है। दुर्घटनाओं के चलते दो बसे 2 बसें घरघोड़ा और जूटमिल थाना क्षेत्र में जब्त होकर खड़ी है।
मामले का निपटरा नहीं होने से यह बस भी कोई काम नहीं आ रही। बताया जाता है कि बसों में बीमा भी नही है। वही बस खड़े खड़े जर्जर हो चुकी हैं। दूसरी ओर सरकारी संपत्ति होने के चलते बसों को न तो बस ऑपरेटर और नहीं जिम्मेदार प्रशासन छुड़ाने का कोई प्रयास की है।

मरम्मत में गई बस फंड के आभाव में अब तक नही लौटी

बताया जा रहा है कि बीते 3 माह पहले कुछ बसे जो विभिन्न रूट पर चल रही थी वह तकनीकी समस्या के चलते खराब हो गई थी जिसे मरम्मत के लिए बिलासपुर भेजा गया है। इसमे 7 बसे मरम्मत के लिए संबंधित कंपनी के शो रूम में भेजा गया। बताया जा रहा है कि 5 बस सुधरकर
आ चुकी है जबकि दो बस अभी भी नहीं आई है।

मेडिकल कॉलेज तक नहीं जा रही बसें

रायगढ़ में सिटी बसें मेडिकल कॉलेज तक चलाया जाए इसकी मांग रही है, पर अब तक सिटी बसें यहां नहीं चल सकी है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाने वाले ग्रामीणों और अन्य लोगों को अधिक किराया भाड़ा देकर वहां पहुंचना पड़ रहा है। इसके लिए आटो का ही उपयोग किया जा रहा है।

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