*एनएच 49 में भारी वाहन ने सडक़ पर बैठे मवेशियों को रौंदा, 6 की मौत*
*हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी सडक़ों पर मवेशियों को लेकर नगर निगम, जिला प्रशासन नहीं कर रहा कोई प्रयास*
*रायगढ़।* बुधवार की रात एनएच 49 में नेतनागर गांव के पास सडक़ पर बैठे मवेशियों को अज्ञात भारी वाहन ने रौंद दिया। जिससे 6 मवेशियों की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश नजर आ रहा है। इधर हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी सडक़ों पर मवेशियों को लेकर नगर निगम व जिला प्रशासन कोई प्रयास नहीं कर रहा है।
दरअसल बुधवार की रात एनएच 49 में नेतनागर गांव के बस स्टैंड के पास सडक़ पर करीब एक दर्जन मवेशी बैठे थे। तभी अज्ञात भारी वाहन के चालक ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुए उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। जिससे 6 मवेशियों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि 3 मवेशी घायल हो गए। गुरुवार की सुबह मामले की सूचना मिलने पर जूटमिल पुलिस मौके पर पहुंची और पशु चिकित्सक बुलवार कर घायल मवेशियों का इलाज कराया। वहीं ग्रामीणों की मदद से मृत मवेशियों को दफनाया गया। इस मामले में अब तक किसी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं कराया है, वहीं वाहन चालक का भी पता नहीं चल पाया है। इधर सडक़ों पर मवेशी नहीं हटने और हादसों में कई मवेशियों और इंसानों की मौत को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों में मवेशियों के कारण सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। हाईकोर्ट ने प्रदेश के नगर पालिका, निगम आयुक्तों और ग्राम पंचायतों को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि सडक़ों और राजमार्गों में आने वाले पशुओं को रोकें और संभावित दुर्घटना रोकने सख्त कदम उठाया जाए। आवारा मवेशियों के कारण आए दिन हो रही दुर्घटनाओं से बड़ी संख्या में मवेशियों और इंसानों दोनों की मौतें भी हो रही हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश की सडक़ों पर मवेशियों के जमघट से होने वाली होने वाली परेशानियों को लेकर वर्ष 2019 में जनहित याचिकाएं लगाई गई थी। तब से लेकर अब तक हाईकोर्ट ने कई बार दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने मार्च 2024 में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एनएचएआई से जवाब मांगा था। अभी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बरसात शुरू होते ही सडक़ों पर मवेशी नजर आने लगे हैं। यह शहर ही नहीं, पूरे प्रदेश की समस्या है। अब यह गंभीर हो चुकी है। इसे संयुक्त प्रयास से ही समाधान किया जा सकता है। इसके बाद भी स्थानीय नगर निगम व जिला प्रशासन गंभीर नहीं हो रहे हैं। जिससे हाईकोर्ट के निर्देश की धज्जियां उड़ रही है।