Monday, December 1, 2025
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कचरे के ढ़ेर में बैठी औद्योगिक नगरी रायगढ़ और अंबिकापुर उसी कचरे से कर रहा कमाई

कचरे के ढ़ेर में बैठी औद्योगिक नगरी रायगढ़ और अंबिकापुर उसी कचरे से कर रहा कमाई


गौठान बने कचरा डंपिंग प्वाइंट, जीरो डंपिंग एरिया का नामो निशान नहीं


रायगढ़। जिस औद्योगिक नगरी रायगढ़ में डीएमएफ और सीएसआर से लगातार लाखों करोड़ों रूपए के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, वहंा कचरा प्रबंधन को लेकर गजब की सुस्ती व उदासीनता नजर आ रही है। आलम यह है कि इतने साधन-संसाधन व अर्थ होने के बाद शहर पूरी तरह से कचरे ढ़ेर में बैठा हुआ है। नगर निगम प्रबंधन अब तक शहर में कचरा प्रबंधन पर कारगर रूप से काम नहीं कर पाया है और वहीं दूसरी ओर जागरूकता अभियान भी कोई काम की नजर नहीं आ रही है। शहर में गौठानों में कचरा डंप किया जा रहा है और जीरो डंपिंग प्वाइंट का अब तक अता-पता भी नहीं है। यही वजह है कि कचरा प्रबंधन की रैंकिंग में रायगढ़ शहर का प्रदर्शन खराब होता जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में स्वच्छता के लिए पहल का जिक्र किया और अंबिकापुर नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे गार्बेज कैफे की तारीफ की। गार्बेज कैफे में लोग जब प्लास्टिक कचरा जमा करते हैं, तो बदले में उन्हें खाना और नाश्ता दिया जाता है। साल 2019 से संचालित इस गार्बेज कैफे के संचालन के लिए अंबिकापुर नगर निगम द्वारा टेंडर के माध्यम से होटल संचालक से एग्रीमेंट किया गया है। प्लास्टिक कचरा लेकर पहुंचने वाले लोग पास के एसएलआरएम सेंटर में प्लास्टिक जमा करते हैं। वहां प्लास्टिक तौलकर टोकन दिया जाता है। टोकन जमा करने पर कैफे में खाना और नाश्ता मिलता है। वहीं रायगढ नगर निगम की बात करें तो यहां सीएसआर से लेकर डीएमएफ होने के बावजूद भी आज तक सफाई के मामले में रायगढ नगर निगम कोई लैंडमार्क नहीं बना सका है। पूर्ववर्ती व वर्तमान सरकार में भी जिले से कद्दावर मंत्री होने के बाद भी इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा सामने है। आज गली मोहल्ले से लेकर शहर के मुख्य चौराहे और हास्पिटल के सामने की जगह भी गार्बेज प्वाइंट बन चुकी है। जिस कचरे से अंबिकापुर कमाई कर रहा है और सफाई के नए आयाम गढ रहा है। उसी कचरे की गंदगी व बदबू से रायगढ वासी परेशान हैं। निगम के अफसर से लेकर जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन की भी उदासीनता से शहर कचरे का ढेर बनता जा रहा है।
जीरो डंपिंग प्वाइंट अब तक विकसित नहीं
बता दें कि शहर से निकलने वाले कचरे को व्यवस्थित करने के लिए जीरो डंपिंग प्वांइट विकसित करने की योजना चल रही है, लेकिन यह कभी भी नगर निगम की फाइलों से निकल कर धरातल पर नहीं उतर सकी। करीब दो साल पहले नगर निगम प्रबंधन को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने निर्देशित करते हुए जीरो डंपिंग प्वाइंट विकसित करने को कहा था, लेकिन एनजीटी के निर्देश को भी कूड़ेदान में डाल दिया गया और आज तक जीरो डंपिंग प्वाइंट का विकास नहंी किया जा सका।
बढ़ते प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की रणनीति नहीं
शहर में बीते कुछ वर्षों की तुलना में प्लास्टिक कचरों की मात्रा बढ़ती जा रही है। किंतु इसके प्रभावी प्रबंधन को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं। अंबिकापुर में कम संसाधन के साथ इस पहल की शुरूआत करने के बाद भी इससे सीख नहीं लिया जा सका है। स्थिति यह है कि ट्रांसपोर्ट नगर में कूड़े में प्लास्टिक कचरे को जलाया जा रहा है, जिसकी वजह से पर्यावरण और भी अधिक प्रदूषित हो रहा है। जबकि केन्द्र सरकार और एनजीटी ने प्लास्टिक से निर्मित कचरे को खुले में जलाने के लिए सख्त रूप में मना किया है।
स्वच्छता पर राजनीति से नहीं उभर पा रहे जनप्रनिधि

शहर में सफाई के नाम पर हर माह लाखों रूपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन निकलने वाले कचरे के प्रबंधन को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता। यही वजह है कि स्वच्छता रैंङ्क्षकंग में भी शहर की स्थिति कुछ खास बेहतर नहंी है। जनप्रतिनिधि भी इसे लेकर सिर्फ राजनीति ही करते नजर आते हैं, किंतु बैठक से निकलने के बाद इस तरह के जनहित मुद्दे उसी बैठक कक्ष तक ही सिमट कर रह जाते हैं और अंत में शहर की सडक़ों पर फिर से वही हाल दिखाई देता है। यही हाल नगर निगम के अधिकारियों का है, जो अपने कक्ष में बैठ ही शहर केा स्वच्छ रखने का दावा करते हैं।


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