जिंदल अस्पताल का कारनामा, मरीज के पेशाब नली की पथरी के बजाए निकाले गॉल ब्लेडर
पथरी निकालने पर नहीं दे पाए संतोषप्रद जवाब, मरीज के स्वजनों ने एसपी को रिपोर्ट दर्ज कराने सौंपा ज्ञापन


रायगढ़। निजी हो या फिर सरकारी स्वास्थ्य सुविधा सभी का मानो बंटाधार हो गया है। मरीज जिस मर्ज का इलाज कराने आ रहे है उसके बजाए चिकित्सक दूसरे का कर रहे है। ऐसा ही वाक्या जिंदल अस्पताल में वृद्ध मरीज पहले पीलिया से ग्रसित था जिसमें पेशाब नली की पथरी (स्टोन) होना उपचार में बताया गया और उसे निकालने के बजाए गॉल ब्लेडर ही निकाल लिए। यह परिस्थिति मानो जाना था दिल्ली पहुंच गए पटना वाली कहावत को चितार्थ कर रहा है।विडंबना यह है कि जब मरीज के स्वजन पूछताछ किए तो दोहरे मापदंड से जवाब देने लगे। ऐसे में स्वजनों ने एसपी से शिकायत कर प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिए है।
प्रार्थी ने मृत्युंजय सिंह पिता दानी सिंह, उम-46 वर्ष निवासी प्रियदशी नगर, फटाहाका रायगढ़ तहसील व जिला रायगढ़ (छ.ग.) का है। मृत्युंजय ने आवेदन के माध्यम से बताया कि सतेन्द्र सिंह पिता वासुदेव सिंह मेरे ससुर है, जिनकी उम्र वर्तमान में 65 वर्ष पूर्ण हो चुकी है। जिनका स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण मैं सतेन्द्र सिंह को 22/07/2025 को प्रथम बार जिंदल अस्पताल, रायगढ़ में इलाज कराने भर्ती कराया। वहीं ,विशेषज्ञ डाक्टर अमेश कुमार रजक के द्वारा उनका ईलाज किया जा रहा था। इलाज के दौरान डाक्टर अमेश कुमार रजक के द्वारा यह रिपोर्ट तैयार कर दी गई कि सत्येन्द्र सिंह के पेशाब नली में 13 एमएम का एक पथरी हो गया है, जिसके कारण सत्येन्द्र सिंह का पिलिया की बीमारी ठीक नहीं हो पा रहा है। उक्त पीलिया की बीमारी से सतेन्द्र सिंह को राहत दिलाने के लिए पेशाब नली से 13 एम.एम. के पथरी को आपरेशन के जरिए निकालना पड़ेगा, उसके बाद मरीज को राहत हो जाएगा। जिस पर मैंने उक्त विशेषज्ञ डाक्टर अमेश कुमार रजक पर सदभाविक रूप से विश्वास कर लिया और सत्येन्द्र सिंह का पथरी का आपरेशन कराने हेतु पुनः 04/08/2025 को जिंदल अस्पताल, रायगढ़ में भर्ती कराया। यहां तीन दिन रखने के पश्चात 7 अगस्त सुबह 09 बजे से 12 बजे तक आपरेशन थिरेटर में रखकर सत्येन्द्र सिंह का आपरेशन किया गया। मरीज का आपरेशन पूर्ण होने के पश्चात नर्स से ऑपरेशन सेम्पल की मांग की गई। तब उक्त नर्स एक छोटे से प्लास्टिक के डब्बे में गाल ब्लेडर को लेकर आयी। इन परिस्थितियों को देखकर उनके होश उड़ गए। इस ओर उन्होंने पूछा कि आपरेशन के दौरान जो स्टोन निकला है, वह कहां है, तब उक्त नर्स के द्वारा मुझसे यह कहा गया कि उका डब्बे के निचले भाग में गाल ब्लेजर के नीचे स्टोन है। तब मेरे द्वारा उक्त नर्स से यह कहा गया कि उक्त स्टोन को ट्रे में फैलाकर दिखाओ। इस पर पल्ला झाड़ने लगे और डाक्टर से बात करने की नसीहत दिए। तत्पश्चात उपचार करने वाले चिकित्सक अमेश रजक से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि सतेन्द्र सिंह के पेशाब नली में पथरी था अब निकल गया है की नहीं यह मुझे पता नही और उनके द्वारा हमें यह भी बताया गया कि गॉल ब्लेडर से जो स्टोन बनता है। बमैंने उसको काट कर निकाल दिया। ऐसे में स्वजनों ने पूछा कि जब पथरी निकला ही नहीं तो पीलिया कैसे कम होगा। तब डाक्टर ने कहां उक्त बीमारी का इलाज ही नहीं हुआ हैं। बहरहाल मरीज के दामाद प्रार्थी ने आवेदन के माध्यम से उचित कार्रवाई की मांग किए है।
जबरन निकालने का आरोप, मरीज की सेहत नाजुक
प्रार्थी मृत्युंजय ने आवेदन में यह भी बताया कि इस तरह डाक्टर ने बैगेर अनुमति एवं जबरन पथरी के बजाए गाल ब्लेडर को निकाल लिए हैं। ऐसे में उन्होंने अपने सुसर की सेहत की चिंता सताने लगी है। वे वर्तमान में आईसीयू में है और ऑक्सीजन स्पोर्ट के जरिए जी रहे है।
वहीं, मरीज सत्येन्द्र सिंह की पत्नी एवं उनके बच्चें मानसिक तनाव में आ गए है उन्हें अनहोनी का डर सताने लगा है।
निजी एवं सरकारी अस्पताल की मनमानी मरीज की जान से खिलवाड़
कलयुग के भगवान के तौर पर चिकित्सक को संबोधन किया गया है, अनमोल जीवन को लेकर मरीज डाक्टर पर बंद आंखों से भरोसा करते है। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नामचीन अस्पताल प्रबंधन मरीज से भारीभरकम रकम लेकर उनका उपचार करते है परंतु उपचार के बजाए चिकित्सक काफी लापरवाही बरत रहे है। इसमें निजी व सरकारी दोनों स्तर में हो रहा है। इससे मरीज की जान से मानो एक तरह से खिलवाड़ हो। इससे मरीजों का भरोसा टूट रहा है और वे कई प्रकरण में आजीवन अपंगता तथा मृत्यु लोक तक पहुंच रहे है।