Tuesday, October 14, 2025
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जिन्होंने ये हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी

जिन्होंने ये हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी

पहलगाम में आतंकी हमले की घटना के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार से आतंकियों को सख्त संदेश दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में इस हमले की साजिश रचने वालों और इसे अंजाम देने वालों को चेताते हुए कहा कि उन्हें सजा मिलकर रहेगी। अब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। आज बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में निर्दोष देशवासियों की निर्मम हत्या को लेकर स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है और उन्होंने हमला करने वाले और इस हमले के साजिशकर्ताओं को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी कहा है।

आज बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में निर्दोष देशवासियों की निर्मम हत्या को लेकर स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है और उन्होंने हमला करने वाले और इस हमले के साजिशकर्ताओं को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी कहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज बिहार की सरजमीं से मैं पूरी दुनिया से यह कहना चाहता हूं कि भारत इन लोगों की पहचान करेगा, उन्हें ढूंढेगा और हर आतंकी तथा उनकी मदद करने वालों को सजा देगा। हम उन्हें पृथ्वी के अंतिम छोर तक खदेड़ देंगे। भारत की आत्मा को आतंकवाद कभी नहीं तोड़ सकता। इंसाफ मिले, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इस दुनिया में जो भी इंसानियत के पक्ष में है, वह हमारे साथ है। इस वक्त दुनिया में जो हमारे साथ खड़ा है, हम उनके शुक्रगुजार हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने मासूम देशवासियों को जिस बेरहमी से मारा है, उससे पूरा देश व्यथित है। कोटि-कोटि देशवासी दुखी हैं। सभी पीड़ित परिवारों के इस दुख में पूरा देश उनके साथ खड़ा है। इन परिवारजनों का अभी इलाज चल रहा है। वे जल्द स्वस्थ हों, इसके लिए भी सरकार हर प्रयास कर रही है। इस आतंकी हमले में किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने अपना भाई खोया, किसी ने अपना जीवनसाथी खोया। इनमें से कोई बांग्ला बोलता था, कोई कन्नड़ बोलता था, कोई मराठी, कोई गुजराती था, कोई यहां बिहार का लाल था। आज उन सभी की मृत्यु पर करगिल से कन्याकुमारी तक हमारा दुख और आक्रोश एक जैसा है।

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