Monday, December 1, 2025
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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ शहर में छात्राओं को छात्रावास तक नसीब नहीं

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ शहर में छात्राओं को छात्रावास तक नसीब नहीं, किराए लेकर कर रहीं गुजारा


नवनिर्मित 100 सीटर कन्या छात्रावास खंडहर में तब्दील, डिग्री कॉलेज प्रबंधन व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी एक-दूसरे पर मढ़ रहे आरोप
रायगढ़। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जिला के मुख्यालय रायगढ़ शहर में छात्राओं को बीते कई सालों से छात्रावास तक नसीब नहीं हो पा रहा है। जिससे दूर-दराज से आकर शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राएं मजबूरन मकान किराए पर लेकर गुजारा कर रही हैं। इधर डिग्री कॉलेज के पीछे में स्थित नवनिर्मित 100 सीटर कन्या छात्रावास खंडहर में तब्दील हो गया है। वहीं अपनी लापरवाही छिपाने डिग्री कॉलेज प्रबंधन व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं।
किरोड़ीमल कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ का सबसे बड़ा व अग्रणी कॉलेज है। यहां दूर-दराज से लेकर अन्य जिलों की छात्राएं भी शिक्षा ग्रहण करने आती हैं। करीब ढाई साल पहले पीडब्ल्यूडी द्वारा कॉलेज के पीछे 100 सीटर कन्या छात्रावास का निर्माण किया गया है। ताकि बाहर से आने वाली छात्राओं को इसका लाभ मिल सके, लेकिन छात्रावास बनने के बाद भी अधूरा है। पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा यहां का काम लगभग पूरा कर लिया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में यह स्थान चोरों का प्रमुख अड्डा बन गया। एक-एक करके चोर दर्जनों खिड़कियों और दरवाजों को तोड़ कर चोरी कर ले गए। इतना ही नहीं जगह-जगह हुए विद्युत वायरिंग को भी तोडफ़ोड़ कर चोर वायर को भी ले गए हैं। वर्तमान में यहां धूल-डस्ट से फर्स काले पड़ गए हैं और यहां सिर्फ दीवार ही नजर आ रहे हैं। जिससे यह छात्रावास भवन शुरू होने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गया है। पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी का कहना है कि उन्होंने भवन को पूरी तरह बना कर कॉलेज को हैंडओवर करना चाहा, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने लेने से मना कर दिया। वहीं कॉलेज प्रबंधन की मानें तो आधे-अधूरे भवन को लेकर वो क्या करते, इसलिए हैंडओवर लेने से मना कर दिया। इस तरह अपनी लापरवाही छिपाने कॉलेज प्रबंधन व पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं। जिससे इस सत्र भी छात्राओं को छात्रावास उपलब्ध नहीं हो पाया है। अगर ऐसा ही रहा तो इस छात्रावास को बनने और हैंडओवर होने में और कई साल लग सकते हैं।
छात्राओं की परेशानियों ने शासन-प्रशासन को नहीं कोई वास्ता
बताया जा रहा है कि यह छात्रावास हर वर्ग की छात्राओं के लिए है। वर्तमान परिस्थिति में दूर-दराज से रायगढ़ शिक्षा ग्रहण करने आई छात्राएं या तो अपने जान-परिचित, रिश्तेदारों के घर में रह रही हैं या फिर कहीं किराए पर रह कर गुजारा कर रही हैं। जिससे उन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। मेघावी छात्राओं को रहने में परेशानी होने से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। अगर यह छात्रावास पूरी तरह तैयार हो जाए तो 100 छात्राओं को रहने के लिए काफी सुविधा मिलेगी। इससे छात्राओं को काफी उम्मीद भी है पर शासन-प्रशासन व उच्च शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
अब फिर से फंड की पड़ेगी जरूरत
शासन से पहले जो फंड मिला था उतने में पीडब्ल्यूडी विभाग ने छात्रावास भवन बना दिया था। वहीं अब भवन खंडहर में तब्दील हो गया है तो इसे फिर से मरम्मत करने की जरूरत है। इसके लिए दोबारा फंड की आवश्यकता पड़ेगी। फंड की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी डिग्री कॉलेज प्रबंधन की है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है। इस तरह सभी अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और इसका खामियाजा छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।
कॉलेज प्रबंधन ने हैंडओवर लेने से कर दिया मना : एसडीओ
इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के एसडीओ एमएस नायक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने डेढ़ साल पहले ही छात्रावास भवन को पूरी तरह बनाने के बाद उसमें खिडक़ी-दरवाजे, बिजली कनेक्शन, पंखे लगा कर पूरा सबकुछ ओके करके कॉलेज प्रबंधन को यह बिल्डिंग हैंडओवर करना चाहा, लेकिन डिग्री कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य ने हैंडओवर लेने से मना कर दिया। उनका कहना था कि अभी उनके पास छात्राओं के लिए बेड की व्यवस्था नहीं है, आलमारी नहीं है, कई सारे सामान नहीं है, ऐसे में वो भवन को हैंडओवर लेकर क्या करेंगे। एसडीओ ने आगे कहा कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा चौकीदार की व्यवस्था नहीं करने से यह खाली भवन चोरों का अड्डा बन गया और सारे सामान चोरी हो गए, इसमें हम क्या कर सकते हैं। छात्रावास नहीं होने से दूर-दराज से पढऩे आने वाली छात्राएं 5-5 हजार रुपए देकर किराए में रह रही हैं। अगर एक बार छात्रावास का संचालन शुरू हो जाता तो वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी हो जातीं, पर कॉलेज प्रबंधन ने सीधे मना ही कर दिया। हालांकि मैनें इस बारे में कलेक्टर सर को अवगत कराया है। बात रही दोबारा निर्माण की तो इसके लिए फंड लगेगा और फंड व्यवस्था करने की जिम्मेदारी कॉलेज प्रबंधन की है। क्योंकि पीडब्ल्यूडी तो सिर्फ एक निर्माण एजेंसी है।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारी का आरोप बेबुनियाद : प्रिंसिपल
इस संबंध में डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल प्रीति बाला बैस से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। जब उनके द्वारा छात्रावास भवन को हैंडओवर किया जा रहा था तब वहां पंखे ही नहीं लगे थे, ऐसे में हम कैसे लेते। बात रही बेड, आलमारी व अन्य सामानों की तो उसे हम अपने स्तर से मंगाते। वहीं कॉलेज द्वारा आयुक्त मैडम को पत्राचार कर बावर्ची, स्वीपर, दो महिला गार्ड की मांग की गई थी, लेकिन वहां से अनुमति ही नहीं मिली। इसके कारण भी हम खाली भवन को लेकर क्या करते। वर्तमान में यह भवन खंडहर में तब्दील हो गया है और इसे सुधारने के लिए फंड की आवश्यकता है। पहले पीडब्ल्यूडी द्वारा हमें स्टीमेट बना कर दिया जाएगा कि भवन के मरम्मत कार्य में कितने खर्च आएंगे तब हम आयुक्त मैडम से फंड की मांग करेंगे। इसके बाद अगर फंड आएगा तो ठीक, वरना हम क्या कर सकते हैं।

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