युक्तियुक्तकरण पर रोक से भगवान भरोसे हुए एकल शिक्षक और शिक्षक विहीन स्कूल
शिक्षकों के आगे झुका शासन-प्रशासन, स्कूलों में बच्चें का भविष्य दांव पर
जनकर्म न्यूज
रायगढ़। शिक्षकों के आगे शासन-प्रशासन ने घुटना टेक दिया है। राज्य शासन ने फिलहाल युक्तियुक्तकरण पर रोक लगा दी है। जिससे सरप्लस स्कूल वाले शिक्षकों की आज भी मौज है। वहीं एकल शिक्षकीय स्कूल व शिक्षक विहीन स्कूलों में बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
दरअसल आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अभाव है। यहां के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। बिना शिक्षक और एक शिक्षक के भरोसे बच्चे कैसे पढ़े यह भी शासन-प्रशासन नहीं सोच रहा है। जिले में 8 स्कूल ऐसे हैं जोकि शिक्षक विहीन हैं। जबकि 275 स्कूलों में मात्र एक-एक शिक्षक ही हैं। खास बात यह है कि जिले में कुल 7980 शिक्षक कार्यरत हैं। जिले में कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां पर्याप्त से भी अधिक शिक्षक हैं। इन शिक्षकों को शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय स्कूल में भेजना अनिवार्य हो गया है। इसी को देखते हुए कुछ सप्ताह पूर्व शासन ने जिले के स्कूलों में युक्तियुक्तकरण के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद शिक्षक संघ ने जिला सहित प्रदेश स्तर पर आन्दोलन शुरू कर दिया। क्योंकि जब भी शिक्षकों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की बात आती है तो सांठगांठ शुरू हो जाती है। हर शिक्षक शहर में या आसपास ही रहना चाहते हैं। कोई भी धरमजयगढ़ और लैलूंगा व दूरस्थ्य ग्रामीण इलाके में पोस्टिंग नहीं चाहता। यही कारण है कि शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण की बात आई तो आन्दोलन शुरू कर दिया। ऐसे में शिक्षकों के आगे शासन-प्रशासन ने घुटने टेक दिए। वहीं राज्य शासन ने इस पर रोक लगा दी है। हालांकि अभी तक शासन से कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग को फिलहाल युक्तियुक्त करण मामले को ठंडे बस्ते में डालने कहा गया है।
शिक्षा विभाग के अनुसार नहीं है अतिशेष शिक्षक
जिले के सभी 7 विकासखंडों के बीईओ कार्यालयों से जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में एक भी अतिशेष शिक्षक नहीं है। सभी स्कूलों में स्वीकृत पद से कम शिक्षक हैं। शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जिले के प्राथमिक, माध्यमिक, हाई व हायर सेकण्डरी स्कूलों में शिक्षकों के लिए 10 हजार 632 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में इन स्कूलों में सिर्फ 7 हजार 980 शिक्षक ही कार्यरत हैं। जबकि आज भी 2 हजार 570 पद रिक्त हैं। ऐसे में जिले में एक भी अतिशेष शिक्षक नहीं है। जबकि सूत्रों की मानें तो स्कूलों द्वारा कार्यरत पद की जानकारी छिपाई गई है।
धरमजयगढ़ व लैलूंगा में शिक्षा का हाल बेहाल
जिले के धरमजयगढ़ व लैलूंगा विकासखंड में शिक्षा का हाल बेहाल है। धरमजयगढ़ के 88 प्राथमिक व 2 माध्यमिक शाला में सिर्फ एक-एक शिक्षक हैं। जबकि 3 प्राथमिक शाला में तो शिक्षक ही नहीं है। इसी तरह लैलूंगा के 82 प्राथमिक व 11 माध्यमिक शाला में एकल शिक्षकीय व 1 माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन है। इस तरह यहां शिक्षा का हाल बेहाल है। शिक्षक आदिवासी बेल्ट में जाना ही नहीं चाह रहे हैं, जिससे यहां के बच्चे पढ़ाई कमजोर होते जा रहे हैं। क्योंकि उनके पास कोई और चारा ही नहीं है। आदिवासियों के लिए तरह-तरह की योजनाएं निकालने वाली सरकार उनके बच्चों को शिक्षा दिलाने में नाकाम नजर आ रही है।

शासन स्तर से अभी युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने कहा गया है। संभवत: उसके नियम में कुछ बदलाव हो सकता है। जिन विकासखंडों में शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय स्कूल है वहां शिक्षकों की भर्ती के लिए सभी बीईओ को निर्देशित किया गया है। मेरे द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी।
- डॉ. केवी राव, डीईओ




