डॉग हाऊस हुआ सपना 8 माह में 886 बने शिकार
आवारा कुत्तों को पकडऩे निगम के पास नहीं कोई प्लानिंग
जनकर्म न्यूज
रायगढ़। शहर में डॉग हाऊस सपना बन कर ही रह गया है। 8 माह में आवारा कुत्तों ने 886 लोगों को अपना शिकार बनाया है। इन कुत्तों को पकडऩे के लिए निगम के पास कोई प्लानिंग नहीं है। इधर दिनोंदिन इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है।
दरअसल शहर के सभी गली-मोहल्लों में आवारा कुत्तों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। आवारा कुत्तों को पकड़ कर शहर से बाहर करने व उनकी नसबंदी करने में नगर निगम कोई ध्यान नहीं दे रहा है। बुजुर्ग, महिलाएं, स्कूली बच्चे कुत्तों के आतंक से परेशान हैं। सुबह-शाम वॉक पर जाने वाले लोग भी कुत्तों से डरने लगे हैं। वर्तमान में कुत्तों की संख्या भी बढ़ रही है। जिन लोगों पर कुत्तों ने हमला किया है या दौड़ाया है उनके जेहन में एक डर सा बैठ गया है। वो कुत्तों के डर से घर से निकलने में कतराते हैं। कई मोहल्लों में आवारा कुत्ते छोटे बच्चों को काट कर घायल कर चुके हैं। आवारा कुत्तों के हमले के भय से छोटे बच्चों का बाहर खेलना भी कम हो गया है। केजीएच, मेडिकल कॉलेज के अलावा शहर के निजी हॉस्पिटल डॉग बाइट के मामले रोजाना आ रहे हैं। वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो डॉग बाइट पर झाड़-फूंक का सहारा ले रहे हैं। जिनका अस्पतालों में कोई रिकार्ड ही नहीं है। दिन के समय कुत्तों से लोग परेशान तो हैं ही, लेकिन रात में इनका खतरा बढ़ जाता है और वो आक्रामक हो जाते हैं। रात होते ही सभी मोहल्लों, मुख्य मार्गों व चौक-चौराहों में ये कुत्ते झुंड में रहते हैं। वहीं आने-जाने वाले लोगों को दौड़ाते हैं। कई बार लोग इनके डर से वाहन को तेजी से भगाते हैं और दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं। रिकार्ड के अनुसार इस साल जनवरी से अगस्त तक 886 लोगों को कुत्तों ने शिकार बनाया है, इसके बाद भी शहर सरकार व निगम प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
इसलिए भी निगम प्रशासन नहीं हो रहा गंभीर
दरअसल नगर निगम के पास शहर से बाहर डॉग हाऊस ही नहीं है। ऐसे में अगर निगम द्वारा कुत्तों को पकड़ भी लिया जाता है तो उन्हें छोड़ा कहां जाएगा यह सबसे बड़ा सवाल है। कई बार शहर सरकार ने बजट में डॉग का प्रस्ताव पेश कर शहरवासियों को सपना तो दिखाया है, लेकिन किसी भी साल यह सपना साकार नहीं हुआ है। शहर द्वारा जमीन नहीं मिलने की बात कहते हुए मामले को टाल दिया जाता है और सालों से यह समस्या जस की तस बनी हुई है।
कोई संस्था इच्छुक हो तो जगह देने के लिए तैयार
इस संबंध में महापौर जानकी काटजू ने कहा कि हाल ही में रायपुर में नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ कर एक स्थान पर रखा जा रहा था, जिस पर कार्रवाई हुई और केस भी दर्ज हुआ। इसके बाद निगम द्वारा डॉग हाऊस पर विचार नहीं किया जा रहा है। पूर्व में मैंने एक संस्था को कमिश्नर से मिलवाया था, लेकिन अधिकारी ने इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई। इस केस के बाद कोई भी अपनी कलम फंसाना नहीं चाह रहा है। बात रही नसबंदी की तो हमारे द्वारा हर साल कुत्तों का नसबंदी कराया जाता है। अगर फिर भी कोई संस्था कुत्तों की सेवा करना चाहता है तो हमारे पास बहुत सी जगह है। यह काम अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ही संभव है।
