नगरीय निकाय चुनाव की हलचल तेज, महापौर के लिए भाजपा-कांग्रेस के दर्जनों दावेदार हो गए सक्रिय
महापौर चुनाव के पैटर्न को कांग्रेस ने बदला,भाजपा नियमों में बदलाव की कर रही है तैयारी
कांग्रेस से वर्तमान महापौर जानकी काटजू तो संभावित दावेदारों में रानी चौहान, अमृत काटजू, लखेश्वर मिरी, संजय चौहान, विनोद महेश, जेठूराम मनहर, मनोज सागर
भाजपा से बिना चौहथा, सुशीला चौहान ,त्रिवेणी डेहरी, नरेश चौहान, परदेशी मिरी, रंजू संजय, सावन चौहान, जीवर्धन चौहान, अभिलाष कछवाहा, प्रदीप श्रींगी


रायगढ़।
लोकसभा चुनाव होने के बाद अब नगरीय निकाय चुनाव की हलचल शुरू हो गई है। शासन स्तर पर वार्डों के परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया को लेकर तैयारी तेज हो गई है। वहीं, राजनीतिक गलियारों में महापौर और पार्षदों के दावेदारों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। आलम है यह कि भाजपा कांग्रेस दोनो ही राजनीतिक दल में दर्जनों पुरूष दावेदारी यह सोचकर रहे है कि हो न हो कही महिला से बदलकर महापौर सीट पुरूष हो जाए।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह है। दूसरी ओर, कांग्रेस के सामने अपने प्रदर्शन को दोहराने की बड़ी चुनौती है। इन सब के बीच कार्यकर्ता अपना बायोडाटा तैयार कर वरिष्ठ नेताओं के यहां जाकर लाबिंग शुरू कर दी है। यहां तक की पार्टी के कार्यक्रमों में प्रमुखता से शामिल हो रहे हैं। यह परिस्थितियां दोनों ही दल में कमोबेश नजर आ रहा है।
महापौर बनने के लिए कांग्रेस ने 10 तो भाजपा से फिलहाल से दर्जन भर नाम सामने आ रहे है। जबकि उससे अधिक दावेदारों के नामों की चर्चा है। ऐसे में दोनों दलों के लिए सभी दावेदारों को एकजुट कर किसी एक के नाम पर मुहर लगाना चुनौती भरा साबित होगा।
दोनों प्रमुख दलों से संभावित दावेदारों ने स्थानीय स्तर पर तैयारी भी शुरू कर दी है। जमीनी स्तर में जनता जनार्दन के बीच पैठ बनाने की जुगत में जुट चुके है। वही संभावित दावेदार महापौर बनने का सपना भी देख रहे है। चर्चा है कि समर्थक भी अपने नेता को मेयर की कुर्सी तक पहुंचाने के लिए टिकट का दबाव बनाने में जुट गए हैं। जबकि बड़े नेताओं के सिपहसलार भी यही स्थिति में है ताकि दबदबा बरकरार रहे। बहरहाल दोनों ही दलों में किसे पार्टी मैदान में उतारेगी और कौन टिकट पाने की दौड़ हारेगा यह समय बताएगा। हालांकि दोनों ही दल एकजुट होकर अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने का दावा कर रहे हैं
नियमों में बदलाव होने के आसार
पिछली बार कांग्रेस सरकार ने निकाय चुनाव के नियमों में दो महत्वपूर्ण बदलाव किए थे। इसके बाद प्रदेश के सभी 14 नगर निगमों में कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा लिया था। इस बार प्रदेश की सत्ता में बदलाव हुआ है। प्रदेश में भाजपा का कब्जा है और भाजपा नियमों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। ऐसे में इस बार का चुनाव रोचक होगा। महापौर पद के लिए अलग से मतदान होने की उमीद में, बड़े दावेदार सक्रिय हो गए हैं।
सर्वे का होगा अहम योगदान
महापौर चुनाव में जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशियों का चयन सबसे महत्वपूर्ण साबित हो गया है। यही वजह है कि कांग्रेस-भाजपा दोनों टिकट वितरण करने से पहले सर्वे भी करवाने की तैयारी में है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगेगी।
नए चेहरों की उमीद बढ़ी
प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने के बाद कई चौंकाने वाले फैसले हुए हैं। मतलब मंत्रिमंडल ने अनुभवी चेहरों से ज्यादा नए और युवा चेहरों को महत्व दिया गया है। यही स्थिति लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में भी दिखाई दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी छत्तीसगढ़ को जगह दिए जाने के मामले में पहली बार के सांसद तोखन साहू को महत्व दिया गया है। ऐसे में भाजपा में नए चेहरों की उमीदें बढ़ गई है। भाजपा यदि इस फार्मूले पर काम करती है, तो कांग्रेस को बहुत हद तक इसके साथ चलने के आसार नजर आ रहे है।
जबकि कांग्रेस दिग्गजों के भरोसे चुनाव मैदान में थी or निराशा हाथ लगी ।
पिछले चुनाव का परिणाम
नगर निगम चुनाव 2019 के परिणाम 24 दिसंबर 2019 को घोषित किए गए थे। कांग्रेस पार्टी ने इन चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए अधिकांश नगर निगमों में जीत हासिल की थी। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, और भिलाई रायगढ़ जैसे प्रमुख नगर निगमों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।