गोवर्धनपुर पुलिया जीर्णोद्धार में फंसा पेंच,6 वें निविदा के बाद भी नही मिला कोई ठेकेदार, इस वर्ष नही होगा यातायात

आरंभतमनार और ओड़िशा के लिए भारी वाहनों का प्रमुख मार्ग, जर्जरता के चलते साल भर से है आवागमन बंद
रायगढ़। गोवर्धनपुर पुलिया गुणवत्ताहीन होने के चलते निर्माण के दसवें साल से ही जर्जरता की मार झेल रहा था। स्लैब जांच में इसकी पुष्टि होने पर आवागमन को स्थाई तौर पर प्रतिबंधित किया गया और नए सिरे से बनवाने का शासन ने निर्णय लिया गया। चूंकि शर्तो के साथ कार्य जटिल होने से 6 निविदाएं आमंत्रित होने के बाद भी कोई सक्षम ठेकेदार अब तक नही मिला है ऐसे में 7 वें की तैयारी सेतु विभाग कर रहा है। इस तरह इस साल भी यह पुल का निर्माण तथा आवाजाही होना संभव नही है।
गौरतलब हो कि रिंग रोड की तर्ज पर गोवर्धनपुर पुल से सीधे भारी वाहन शहर के ढिमरापुर पूर से दूसरे छोर बैगेर शहर प्रवेश कर आवागमन करती है। पुल की गुणवत्ता खराब होने की प्रमाणिकता साबित होने पर शासन ने ढाई करोड़ की राशि तक स्वीकृत की है। जिस पर स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी सेतु विभाग को प्राकल्लन तथा टेंडर की प्रक्रिया को पुरा की। टेंडर में कुछ कंपनी ने दिलचस्पी दिखाई थी। ततपश्चात एक निविदा छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के एक ठेकेदार को ठेका मिला था। जब पीडब्ल्यूडी ने उक्त ठेका कंपनी की पूरी कुंडली ठीक को खंगाला तो उक्त स्लैब निर्माण का उसके पास अनुभव नही होना पाया गया। जिस पर ठेका को विभाग ने निरस्त कर दिया । इस तरह टेंडर की प्रक्रिया को अपनाया गया जिसमे फिर से री- टेंडर की प्रक्रिया में विभाग आगे बढ़ी और बढ़ते-बढ़ते छह बार होने के बाद भी कोई ठेकेदार अब तक नही मिला है। बताया जा रहा है कि कार्य काफी संवेदनशील है, मशीनरी उपकरण ज्यादा लगना है, और कार्य स्टेप बाई स्टेप करवाना होगा। इसमे लगात भी ज्यादा आएगी और खर्च भी बढ़ेगा। यही वजह है कि ठेकेदार पुराने कार्य मे दिलचस्पी नही ले रहे है। इस तरह इस पुल के जीर्णोद्धार में पेंच फंस गया है। इस लिहाज से वर्ष 2025 के बजाए 2026 में पुल निर्माण होने की बात कही जा रही है। यहां यह बताया जाना लाजमी होगा कि मिट्टी से एप्रोच मार्ग बनाया गया था, लेकिन बरसात में यह डूब गया। वर्तमान में बारिश का पानी उतरते ही मिट्टी का मार्ग जीर्णशीर्ण हो गया है। जिससे आसपास के गांव और एक छोर से दूसरे छोर जाने अब घूमकर जाना पड़ रहा है। बहरहाल पुल के जीर्णोद्धार नही होने से यह आवागमन में परेशानी का सबब बन गया। लेकिन इस वर्ष भी आवागमन की समस्या का निदान नही हो सकता है। इसका सीधा असर भारी वाहन के मालिकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा हैं।
अनुभवहीनता के चलते बलरामपुर के ठेका कंपनी को नही मिला काम
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक एक ठेकेदार 4 माह पहले शुरुआत के टेण्डर में मिला था, लेकिन यह कार्य का उस ठेकेदार के पास किसी तरह की कोई भी अनुभव नही थी, यही वजह रहा कि विभाग गुणवत्ता तथा तय समय सीमा में कोई भी कोताही नही बरतना चाह रही थी, जिसके चलते अब तक यह कार्य रूका हैं।
14 वर्ष पहले बना था पुल 10 साल में ही जर्जर
चूंकि 14 वर्ष पहले बनाये गए पुल के रख रखाव में उदासीनता बरती गई, यही वजह रहा कि 50 साल चलने वाली पुल महज 10 साल में ही जर्जरता का दंश झेलना आरंभ कर दिया। वर्तमान में पुल क्षतिग्रस्त होने पर हादसे की आशंका को लेकर आवागमन को प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। स्लैब की गुणवत्ता जांच में नदारद मिला है।
वर्जन
गोवर्धनपुर पुलिया के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है।टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण होते ही निर्माण कार्य आरंभ होगा। फिलहाल इस वर्ष संभव होता नजर नही आ रहा है।
संतोष भगत, ईई सेतु विभाग




