गेरवानी से सराईपाली तक जर्जर सडक़ के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर ग्रामीणों ने की आॢथक नाकेबंदी

7 घंटे तक थमे रहे वाहनों के पहिए, 2 घंटे की चर्चा के बाद मिला आश्वासन, तब खत्म हुआ चक्काजाम
रायगढ़। गेरवानी से सराईपाली तक जाने वाले मुख्य मार्ग की दशा सुधारने की मांग को लेकर सोमवार की सुबह करीब 8 बजे से एक दर्जन से अधिक प्रभावित ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने चक्काजाम कर आर्थिक नाकेबंदी कर दी। आलम यह रहा कि करीब 7 घंटे तक इस मार्ग पर आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित रही और सडक़ के दोनोंं वाहनों क ी करीब 2.5 किलोमीटर लंबी जाम लग गई। इसी बीच तहसीलदार और पूंजीपथरा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और उद्योग प्रबंधन के प्रतिनिधि व ग्रामीणों के बीच चर्चा की। करीब एक घंटे से अधिक समय तक चली इस चर्चा में आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने चक्काजाम खत्म किया और दोपहर करीब 3 बजे इस मार्ग पर यातायात बहाल हो सकी।
गौरतलब है कि गेरवानी से सराईपाली जाने वाली सडक़ इस क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायतों के रहवासियों के लिए आवागमन का प्रमुख मार्ग है। इस क्षेत्र में करीब एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतें हैं और करीब डेढ़ दर्जन से अधिक छोटे-बड़े कल कारखाने हैं। इस मार्ग पर कई स्पंज आयरन के साथ के प्लांट स्थित हैं जो इस मार्ग का उपयोग अपने कारखाने में बने उत्पादों के परिवहन के लिए करते हैं। इन कल कारखानों के भारी वाहन वाहन अपने साथ करीब 50 से 55 टन वजन लेकर चलते हैं, जबकि इस सडक़ की क्षमता करीब 12 से 15 टन की है। जिसके कारण यह मार्ग अक्सर जर्जर अवस्था में ही रहता है और इस सडक़ की जर्जर अवस्था का खामियाजा इस क्षेत्र में के करीब दर्जन भर गांव में रहने वाले ग्रामीणों क ो उठाना पड़ता है। स्थिति यह है कि गांव तक एंबुलेंस भी आने में काफी वक्त लगता है। हर बार मरम्मत के नाम पर की जाने वाली खानापूर्ति के कारण ग्रामीणों में अक्सर आक्रोश बना रहता है। यही आक्रोश सोमवार को फिर एक बार देखने को मिला। दरअसल, गेरवानी से सराईपाली तक करीब 9 किलोमीटर की सडक़ बीच बीच में करीब 2 से 3 किलोमीटर तक काफी जर्जर हो चुका है। पूर्व में इन कारखाना प्रबंधन के द्वारा सडक़ की एक साइड को कुछ दूरी तक बना कर छोड़ दिया गया, जिसके बाद करीब दो से तीन माह तक काम ही नहीं हुआ। जबकि यह काम पहले ही खत्म हो जाना चाहिए था। यही वजह है कि सोमवार को प्रभावित गांव के ग्रामीणों सहित जनप्रतिनिधियों ने ग्राम देलारी के पास चक्काजाम कर दिया। सुबह करीब 8 बजे ग्रामीण व जनप्रतिनिधि सडक़ पर बैठ गए और सडक़ के जीर्णोद्धार की मांग करने लगे। इस बात की सूचना मिलने के बाद तसलीदार अनुराधा पटेल व पूंजीपथरा थाना प्रभारी राकेश मिश्रा भी अपने दल बल के साथ मौके पर पहुुंचे। जहां ग्रामीणों ने उन्हें अपनी परेशानियों से अवगत कराया। जिसके बाद इस क्षेत्र में स्थित प्लांट प्रबंधन के प्रतिनिधियों को बुलाया गया और सडक़ के जीर्णोद्धार को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में प्लांट प्रबंधन ने जर्जर सडक़ के जीर्णोद्धार को लेकर काम किए जाने का आश्वासन दिया था, लेकिन वादे के मुताबिक जमीनी स्तर पर काम आज भी आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है। प्लांट प्रबंधनों की लापरवाही व उदासीनता की वजह से इस मार्ग पर आवागमन करने वाले ग्रामीण व स्कूली बच्चे रोज दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। इसके बाद भी प्लांट प्रबंधन आंखे मंंूदे बैठा हुआ है।

तीन साल से 10 से अधिक बार दिया आवेदन
इस संबंध में रायगढ़ जनपद पंचायत उपाध्यक्ष रामश्याम डनसेना ने बताया कि विगत करीब 3 सालों से लगातार 10 से अधिक बार कलेक्टर सहित जिला प्रशासन के तमाम अधिकारियों को इस सडक़ के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा जा चुका है। इसके साथ ही कई बार जनदर्शन में भी इस संबंध में आवेदन दिया गया है। किंतु आज दिनांक तक इस मार्ग की दशा नहीं सुधर सकी है। जिसकी वजह से इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को हर मौसम में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र के ग्रामीण इस जर्जर पर अपनी जाम जोखिम में डाल कर रोजाना आवागमन करते हैं। इसे लेकर मांग सिर्फ एक ही है कि इस सडक़ का जीर्णोद्धार किया जाए, अब इसे प्रशासन करे तो ठीक या उद्योग प्रबंधन करे तो ठीक।
पांचवी बार किया चक्काजाम
सडक़ के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर बैठे जनप्रतिनिधियों ने बताया कि वे लगातार पंाचवी बार आर्थिक नाकेबंदी कर इस सडक़ के जीर्णाेद्धार की मांग कर रहे हैं। इस सडक़ निर्माण के बाद से अब तक इसकी मरम्मत नहीं हो सकी है और लगातार इस पर ओव्हर भारी वाहनों की आवाजाही से यह सडक़ पूरी तरह से जर्जर अवस्था में पहुंच गई है। इस संबंध में देलारी ग्राम पंचायत सरपंच बिरेन्द्र चौहान बताते हैं कि इस मार्ग पर करीब 3 किलोमीटर की सडक़ अति जर्जर अवस्था में है,जिसे इस क्षेत्र के उद्योग प्रबंधन द्वारा जीर्णोद्धार करने के लिए करीब 1 करोड 70 लाख रूपए का बजट तैयार किया गया है। इस चर्चा में सडक़ के बड़े-बड़े गड्ढों को पाटने की बात पर सहमति बनी है।
बुधवार को होगी त्रिपक्षीय बैठक
सोमवार को ग्रामीणों द्वारा की गई आर्थिक नाकेबंदी के बीच हुई चर्चा में तय किया गया कि बुधवार प्रशासनिक अधिकारी, ग्रामीण व जनप्रतिनिधि तथा उद्योग प्रबंधन के बीच त्रिपक्षीय वार्ता का निर्णय लिया गया है। इस दौरान ग्रामीण व जनप्रतिनिधियों ने मौके पर उपस्थित तहसीलदार से प्लांट के मालिकों को उपस्थित रहने का निर्देश देने की मांग भी की है, ताकि वे स्पष्ट रूप से प्लांट के मालिकों के समक्ष अपनी परेशानी व मांगों को रख सकें और बैठक में ही मालिकों की ओर से सडक़ के जीर्णोद्धार को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल सके।
पीएमजीएसवाई के तहत बनी थी सडक़
इस संबंध में श्री डनसेना ने बताया कि मूलत: यह प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनाई गई है। करीब 5 साल पहले इस सडक़ निर्माण नए सिरे से किया गया था, किंतु लगातार भारी वाहनों की आवाजाही की वजह से यह सडक़ जर्जर हो चुकी है। चुंकि यह सडक़ पीएमजीएसवाई के तहत बनी है, यही वजह है कि उद्योग प्रबंधन इसके जीर्णोद्धार को लेकर गंभीरता नहीं बरतते और कई बार वे प्रशासन के पाले में गेंद डालने प्रयास करते हैं।
सुगम आवाजाही के लिए दी निजी भूमि
शुरूआत दौर में जब गेरवानी से सराईपाली तक प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत इस मार्ग पर सडक़ बननी थी तब ग्रामीणों ने सुगम आवाजाही को ध्यान में रखते हुए कई जगहों पर अपनी निजी भूमि पर भी सडक़ निर्माण कराने पर सहमति जाहिर की थी। ताकि उनकी पहुंच मुख्य मार्ग तक आसानी से हो सके। किंतु इस क्षेत्र में कल कारखानों के स्थापना के बाद भी से लगातार सडक़ को लेकर परेशानी बनी हुई है और आज वहीं क्षेत्रवासी इस जर्जर पर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, जिन्होंने अपनी निजी भूमि भी सडक़ निर्माण के लिए दी थी।
वर्जन….
गेरवानी से सराईपाली तक जर्जर सडक़ के जीर्णोद्धार की मांग को लेकर ग्रामीणों ने चक्काजाम किया था। मौके पर पहुंच कर उन्हें समझाइश के साथ ही आश्वासन भी दिया गया है। इसके साथ ही बुधवार को त्रिपक्षीय बैठक भी रखी गई है। जिसमें इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
अनुराधा पटेल, तहसीलदार, रायगढ़