
एक करोड़ की लागत से बना प्रयोगशाला भवन खंडहर में हो रहा है तब्दील, जांच के लिए बिलासपुर के भरोसे

4 साल पहले बोईरदादर में उर्वरक लैब का लोकार्पण, सेटअप नही होने से लटका भवन में ताला

मिट्टी उर्वरक परीक्षण प्रयोगशाला में खर्च एक करोड़ रुपए मिट्टी में मिली तीन साल से लटका है ताला

एक करोड़ रुपए से निर्मित मिट्टी प्रयोगशाल में तीन साल से ताला लटका, उर्वरक परीक्षण योजना मिट्टी में मिली, बोईरदादर में फसल चक्र उत्पादन बढ़ाने किसानों की सुविधा
रायगढ़। मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच के लिए 2 जनवरी 2021 को पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने एक करोड़ की लागत से निर्मित फर्टिलाइजर लेब का उद्घाटन किया था, लेकिन अब तक इसके लिए सेटअप ही तैयार नहीं हो सका है। आलम यह है कि इस प्रयोगशाला भवन में ताला लटका है। जिससे किसानों को मिट्टी परीक्षण के लिए बिलासपुर के भरोसे मजबूरी वश रहना पड़ रहा है।
मिट्टी की गुणवत्ता जांचने के लिए एक करोड़ की सर्व सुविधायुक्त बिल्डिंग बोईरदादर बीज निगम के बगल में बनाया है। जिसका तामझाम के साथ बाकायदा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकार्पण किया था। इसमें कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, उमेश पटेल शामिल हुए थे। उद्घाटन के बाद शुरुआत में जैविक खाद गोठान से लाकर उनकी गुणवत्ता की जांच -परख की गई। यह कुछ ही दिन बाद बंद हो गया। ऐसे में अब यह भवन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। और ताला लटका हुआ है।इससे भवन एक तरफ जर्जर हो रहा है जबकि असामाजिक और आपराधिक तत्वों द्वारा तोड़फोड़ भी कर रहे है।
दिलचस्प बात यह है कि एक और लेब की स्वीकृति बीते मार्च 2023 के बजट में पूर्ववर्ती सरकार ने दिया था। हालांकि अब तक इसके लिए न तो राशि मिली है और न ही आगे किसी तरह की कार्रवाई बढ़ी है। यही वजह है कि भवन में ताला लगा है और भवन जर्जर होने लगा है। असमाजिक तत्वो द्वारा कांच को तोड़ दिए है। रात होते ही शराबियों का अड्डा भी बना है। बहरहाल किसानों के सुविधाओं और फसल चक्र के लिए महत्वपूर्ण भवन अपने बदहाली की दशा में है।
बजट नही होने से सेटअप नदारद यही वजह भवन पड़ा है बंद
शासन ने इसे पूर्व में संचालित करने के लिए कृषि विभाग के अधीन किया है। मिट्टी की जांच के लिए पर्याप्त सेटअप तथा अन्य उपकरणों की व्यवस्था नही होने यहां जांच नही हो पा रही है, जिसके चलते यह भवन में होने वाले क्रियाकलापों पर विराम लग गया। वर्तमान में भवन बंद पड़ गया। बताया गया कि उक्त विभाग को संचालित करने के लिए करीब 20 से अधिक अधिकारी कर्मचारी तथा लैब टेक्निशियन, की दरकार है।
सरकार बदलने के बाद भी पुराने कार्यो मे नही है दिलचस्पी
देखा जाए तो तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा जिला प्रशासन के दिशा निर्देश पर कई कार्यो को स्वीकृति प्रदान किए थे। परंतु कही बजट व अन्य कार्यो के चलते यह विकास तथा जनहित कर कार्य जनता जनार्दन के लिए समर्पित नही हो पाया है।वर्तमान परिस्थितियों में सरकार बदलने के बाद भी जनप्रतिनिधियों के साथ साथ जिला प्रशासन भी इस दिशा में कोई पहल नही कर रहा है। इससे पुराने कार्य व अधोसंरचना खन्डहर में बदल रहे है।
सीधा मिलता किसानों को लाभ
जिले में कहीं ऐसे किस है जो खेती किसानी करने के बाद भी उपज उन्हें उत्पादन के हिसाब से नहीं मिल पाता है इसकी प्रथम वजह मिट्टी परीक्षण उर्वरक तत्व की जानकारी नहीं होती है। इस लाइफ के बन जाने से मिट्टी परीक्षण का कार्य आसानी से हो सकता था और मिट्टी परीक्षा होने के बाद उर्वरकों की सही मात्रा से मानक के हिसाब से वह दे सकते थे, परंतु इसमें अनभिज्ञ और मिट्टी परीक्षण का लाभ नहीं ले पाने की वजह से इसका असर उनके आर्थिक स्थिति पर पड़ती है। देखा जाए तो यह लैब अगर स्थापित हो जाए तो इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा।




