तमनार के मुड़ागांव वनसंहार के लिए भूपेश सरकार ने दी थी स्वीकृति

महाजनको के लिए पेड़ कटाई और कोल खनन का रास्ता किया था साफ

जनकर्म न्यूज
रायगढ़। मुड़ागांव में वनसंहार देखने पहुंचे पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने जहां अडाणी ग्रुप पर आरोप लगाकर सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग की बाते कही थी। उसी कांग्रेस सरकार ने ही अपने कार्यकाल में गारे पेलमा के इस कोल ब्लॉक के लिए सैकडों हेक्टेयर में पेड़ कटाई की अनुमति दी थी। सोशल मीडिया में बीते दो दिनों से वह सरकारी लेटर तेजी से वायरल हो रहा है और भाजपा कांग्रेस समर्थक भी इसका राजनैतिक फायदा उठाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने रायगढ़ प्रवास के दौरान महाजेनको प्रोजेक्ट को लेकर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन अब सोशल मीडिया मे दस्तावेज तेजी से वायरल हो रहे हैं उससे स्पष्ट होता है कि कुछ मामलों में कांग्रेस सफेद झूठ बोल रही है तथा महाजेनको प्रोजेक्ट को स्वीकृति दिलाने में भूपेश सरकार भी बराबर की भागीदार रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया द्वारा पूछे गये प्रश्न के जवाब में कहा था कि उनकी सरकार की कोई भूमिका नहीं रही है। वरन कोल ब्लॉक आबंटन और उद्योग स्थापना की स्वीकृत हेतु केंद्र सरकार जिम्मेदार है। मुड़ागांव में उन्होंने बीस से अधिक कांग्रेस विधायकों के साथ एक जंगी सभा की। सभा में कांग्रेस नेताओं ने मीडिया व आम जनता के समक्ष ऐलान किया कि भूपेश सरकार ने जनसुनवाई को रद्द कर दिया था। जबकि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा 16 अक्टूबर 2019 को भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को जो पत्र भेजा गया था। उससे स्पष्ट होता है कि भूपेश बघेल सहित प्रदेश कांग्रेस के नेतागण सरासर
झूठ बोल रहे हैं। इस पत्र क्रमांक 6246 / टीएस / सीईसीबी/2019 में यह साफ उल्लेखित है कि 27 सितम्बर 2019 को जनसुनवाई पूर्ण की गयी। जिसमें जनता की ओर से 48 लोगों ने अपना पक्ष रखा तथा जनसुनवाई में सब कुछ नियमानुसार संपन्न किया गया। इस प्रतिवेदन में सचिव, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल सहित तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी आर के शर्मा व अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के रूप में आर ए कुरुवंशी ने बाकायदा हस्ताक्षर किया है। इसी तरह 28 दिसम्बर 2022 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख, छत्तीसगढ़ के कार्यालय से पत्र क्रमांक क्र/भू-प्रबन्ध खनिज/331-245/3063 जारी किया गया। इसमें तत्कालीन अधिकारी सुनील मिश्रा के हस्ताक्षर से बाकायदा फारेस्ट क्लियरेंस की अनुशंसा की गयी है। इन दस्तावेजों के सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस के जिम्मेदार नेताओं के बयानों की पोल खुल गयी है।




