एनटीपीसी-लारा स्थापना के लिए किए वायदों की समीक्षा करवाएं कलेक्टर
तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया और उद्योग विभाग के मध्य हुए एम.ओ.यू का पालन करवाए प्रशासन
एनटीपीसी-लारा योजना की स्थापना “चिराग तले अंधेरा” के समान
एनटीपीसी ने 9 गांवों के भूविस्थापित ओर बेरोजगारी पैदा की?
रायगढ़। उद्योगों की स्थापना के समय बड़े-बड़े सपने दिखाने के झूठे छलावे ने रायगढ़ जिले को निरंतर धोखे में रखा है और इसी के नक्शे कदम में केंद्र सरकार की ऊर्जा उत्पादन करने वाली एनटीपीसी लारा योजना भी है,इसमें आज भी भी भूविस्थापितों और प्रभावितों को छत्तीसगढ़ शासन के पुनर्वास नीति का लाभ नहीं मिला और इससे हुए इन बीते 13 वर्षों में हुए इनको नुकसान के लिए इन्होंने वर्तमान सामाजिक, आर्थिक और स्थाई रूप से दिए जाने वाले रोजगार के समीक्षा करवाने हेतु पत्र लिखा है।
रायगढ़ बचाओ-लड़ेंगे रायगढ़ के विनय शुक्ला,सुरेश साहू,सोनू पटेल,शमशाद अहमद,अक्षय निषाद,संजय साव,ऋषि कुमार,नम्रता शुक्ला,हरि मिश्रा,अतुल,दीपक,अजीत, हेमकुमार,विद्याधर,परमेश्वर,पप्पू थवाईत,कौशिक गुप्ता, हरि पटेल,जयप्रकाश साहू और अनिल अग्रवाल (चीकू)
आदि,प्रभावितों और भूस्थापितों ने रायगढ़ के कलेक्टर कार्तिकेय गोयल को पत्र प्रेषित कर आग्रह किया कि रायगढ़ विधानसभा के अंतर्गत पुसौर ब्लॉक के 9 गांवों के मध्य स्थित हुआ एनटीपीसी-लारा योजना की स्थापना में जमीन मालिको ने अपनी जमीनों को उद्योग विभाग छत्तीसगढ़ शासन की लैंड बैंक योजना के तहत तुरंत सौंप दिया जिस पर तत्कालीन जिला भू-अर्जन अधिकारी और कलेक्टर अमित कटारिया ने स्थानीय स्तर पर 17अप्रैल 2012को उद्योग विभाग, रायगढ़ से अनुबंध भी किया था में स्पष्ट था कि एनटीपीसी-लारा योजना में छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ही लागू होगी पर भूविस्थापितों और प्रभावितों की नौकरी और रोजगार के प्राथमिकता से लागू किया जाएगा जिसके तहत 1600 लोगों के पद सृजित होंगे में 536 एग्जीक्यूटिव और 1064 नॉन एक्जीक्यूटिव पद होगा कि उद्घोषणा एनटीपीसी- लारा योजना के अधिकारियों के द्वारा राज्य प्रोत्साहन निवेश बोर्ड,छत्तीसगढ़ शासन के समक्ष हस्ताक्षर करके की थी।
रायगढ़ बचाओ-लड़ेंगे रायगढ़,लारा संघर्ष,भूविस्थापितों और प्रभावितों ने संयुक्त रूप से कहा कि बीते 13 वर्षों में संयुक्त रूप से विस्थापितों और प्रभावितों ने वृहद स्तर पर आंदोलन किया और सैकड़ों महिला और पुरुष जेल भी गए पर कुल 57 पदों पर भूविस्थापितों को नौकरी दी गई पर उसके बाद नए पदों को सृजित करने की बातों को एनटीपीसी का प्रबंधन टालने लगा है जो कि छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति की अनदेखी है ऊपर से एनटीपीसी लारा के प्रांगण में स्थापित स्कूल में भारी फीस की मांग की जाती है जबकि प्रभावितों और भूविस्थापितों के बच्चों को प्रवेश नहीं देना नियम विरुद्ध है जबकि पुनर्वास के तहत मुफ्त शिक्षा छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति का हिस्सा है और ये एनटीपीसी- लारा योजना के मनमानी है।इस उद्योग का दूसरा फेस का कार्य प्रारंभ होने वाला है उससे पहले जिला प्रशासन, रायगढ़ से हमारी मांग है कि त्वरित भूविस्थापितों और प्रभावितों को 13 वर्ष बीत जाने के कारण हुए नुकसान की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की बदहाली और नौकरी नहीं देने पर बेरोजगारी सी खराब स्थिति की समीक्षा जिला प्रशासन अपने विभागों की बैठक कर स्वयं समीक्षा करवाए तदोपरांत टीम बनाकर इसकी समीक्षा भूविस्थापितों और प्रभावितों के मध्य करवा कर हुए नुकसान का आंकलन करवाया जाय।
“”चिराग तले अंधेरा”” ऐसा है एनटीपीसी-लारा का प्रयास चूंकि छत्तीसगढ़ में इन्होंने उद्योग लगाने के लिए सस्ती जमीन मिली इनके उद्योग के लिए सस्ता कोयला और सस्ते दर में महानदी से पानी अब उसके बाद भी यह उद्योग छत्तीसगढ़ शासन के पुनर्वास नीति मानने के लिए तैयार नहीं है और इसके प्रभावितों और विस्थापितों की जमीन में लगे इस उद्योग का नाम आसमान छू रहा पर इस उद्योग से पनपी बेरोजगारी और गरीबी के लिए जिम्मेदारी अब एनटीपीसी कंपनी को लेनी पड़ेगी चुकी इन प्रभावितों का गांव के लोग अपने हक के लिए बैठक करके लिखना-पढ़ना चालू करके इस पत्र की छाया प्रति राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ और मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन के भी कार्यवाही के लिए भेज दिया है।