कोल ब्लॉक की भूमि का पहले कर दिया संदिग्ध बटवारा फिर नियम विरुद्ध हुआ डायवर्सन
आरआई की रिपोर्ट पर गंभीर सवाल, कोर्ट को गुमराह कर किया कारनामा
जनकर्म न्यूज
रायगढ। राजस्व विभाग के कुछ कारिंदो की कार्यशैली बदलने का नाम नहीं ले रही है। भू माफियाओं और जमीन का धंधा करने वाले बिचौलियों को सीमा से बाहर जाकर मदद करने के कारण विभाग की छवि धूमिल हो रही है। धरमजयगढ़ कोल ब्लॉक में आ रही जमीन का पहले संदिग्ध बंटवारा कर दिया और फिर नियम विरूद्घ उसक डायवर्सन कराने की भी जानकारी सामने आ रही है।
जिले के धरमजयगढ़ में राजस्व विभाग का इतिहास हैरतअंजेग और कई अनैतिक कारनामों से भरा पड़ा है। हाल फिलहाल की कई गतिविधियों को देखने पर लगता है कि विभागीय जिम्मेदारों की कार्यशैली की स्थिति और बदतर होते जा रही है। धरमजयगढ़ तहसील क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें हल्का नंबर 33 में स्थित एक 7 एकड़ की जमीन का पहले दो असंबद्ध जाति वर्ग के व्यक्ति निर्मल और दीपक के बीच जमीन बंटवारा कर लिया गया और इस के बाद तत्काल उस जमीन का डायवर्सन भी करा लिया गया। बता दें कि जिस भूमि का बंटवारा और डायवर्सन किया गया है। वह कोल ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत आता है। इस प्रकार कोल ब्लॉक इलाके में प्रभावित भूमि का दो भिन्न जाति वर्ग के व्यक्ति के बीच संदिग्ध बंटवारा किया गया और साथ ही उस करीब 5 एकड़ की जमीन का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग के लिए डायवर्सन हाल ही में कराया गया है।
आरआई की रिपोर्ट संदिग्ध
इस पूरे मामले में आरआई की भूमिका संदिग्ध है। आरआई ने इस भूमि के डायवर्सन के केस में अपनी रिपोर्ट दी है। जिसमें उन्होंने इस जमीन को सार्वजनिक प्रयोजन हेतु अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित नहीं बताया है। जबकि यह भूमि दुर्गापुर एसईसीएल कोल ब्लॉक क्षेत्र में प्रभावित है। इसके अलावा यह भूमि शरणार्थी पुनर्वास के तहत संबंधित मूल भू स्वामी को सरकारी पट्टे पर आबंटित की गई थी। पुष्ट जानकारी के मुताबिक़ डायवर्सन के इस मामले में धरमजयगढ़ आरआई द्वारा दी गई रिपोर्ट में इसके अलावा भी कई ऐसे तथ्य हैं। जिनके बारे में रेवेन्यू कोर्ट को गुमराह करने वाली जानकारी दी गई है। जिसके आधार पर इस भूमि का डायवर्सन किया गया है।
पटवारियों ने कहा नहीं हो सकता डायवर्सन
राजस्व विभाग के ज़मीनी मामलों का आधार स्तंभ माने जाने वाले पटवारी भी इस डायवर्सन को लेकर हैरान हैं और उन्होंने इस भूमि व्यपवर्तन को नियम विपरीत बताया है। इस मामले में क्षेत्र के अलग अलग तीन हल्का पटवारी से बात की गई। तीनों ने कहा कि यदि कोई भूमि किसी सार्वजनिक उपक्रम हेतु अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित है, तो उसका डायवर्सन नहीं हो सकता है।