भाजपा-कांग्रेस के दिगज्ज पार्षद चुनाव में आने की सुगबुगाहट, सभापति पद पर दोनो दलों में होगी महामंथन और माथापच्ची

2024 निकाय चुनाव में लिए जल्द ही होगा ऐलान, महापौर के लिए भी मतदाता कर सकेंगे मतदान
रायगढ़।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद विधानसभा उप चुनाव के साथ नगरीय निकाय चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। सुगबुगाहट के साथ दोनो राजनीतिक दल प्रतिकूल माहौल बना रहे है। सरकार भी विकास कार्यो का लोकार्पण कर रही है। ऐसे में शहर सरकार से जुड़े चुनाव के बाद सभापति चयन प्रक्रिया को लेकर दोनों दल में महामंथन के साथ माथापच्ची जमकर होगी। क्रास वोटिंग की संभावना के साथ दल के निर्देश का भी उलंघन होगा। दरअसल दोनो राजनीतिक प्रमुख दल में मौजूदा दौर में कई दिगज्ज चुनाव लड़ने के लिए कतार में है। इसके अलावा कई नेता वर्तमान में भी वरिष्ठता के आधार पर मजबूती से अपनी दावेदारी दबे पैर कर रहे है।
ज़मीनी स्तर में खुद को चुनाव के माहौल में त्यौहार के सीजन में झोंक भी दिए है। नए, युवा वर्ग जिन्हें दोनो ही दलों भाजपा – कांग्रेस ने बड़ी संख्या में 2019 में टिकट दिए थे।चुकी कोई बड़ा कमाल वे कर नही पाए। हालांकि दोनो ही पार्टी से एक एक युवा वर्ग से पार्षद है। जिसमे सोमेष साहू भाजपा तथा कांग्रेस से आरिफ हुसैन शामिल है। वर्तमान निकाय चुनाव में जिस तरह दिगज्ज नेता चुनाव में आने के लिए लायलिय है इस लिहाज से सभापति के लिए सीधे तौर पर पेंच फ़सेगा। और विवाद पार्टी की मार्यदा के साथ पसंद नापसंद भी सामने आएगी यह बड़े स्तर में उभरेगा। गुटबाजी हावी जो जाएगी। बहरहाल नगर निगम से लेकर पार्टी के दफ्तर के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अगर दिग्गज व वरिष्ठ नेता पार्षद चुनाव मैदान में उतरते हैं और जीतकर फिर से पार्षद बनते हैं तो सभापति चुनाव के लिए दोनों ही दल के लिए काफी कठिन परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है। हालांकि पार्षदो की संख्या भी इस पर मुहर लगाएगी। ऐसे में दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को माथापच्ची के साथ महामंथन के लिए एक नाम सुझाने कड़ी मशक्कत करना पड़ सकता है।
निर्दलीय पर रहेगी सबकी नजर,बिगाड़ेंगे समीकरण
इस बार सभापति के साथ-साथ महापौर चुनावी रोचक हो सकता है। दरअसल सभापति चुनाव के लिए सीधे तौर पर मतदान कर पार्षदो द्वारा चुना जाता हैं। इसी बीच दोनों ही पार्टी अपने-अपने दल के नेता पार्षद को सभापति बनने के लिए एड़ी चोटी का दमखम लगते हैं। वैसे कई ऑपरेशन भी होते है। पार्षदो को अलग स्थान में नजरबंद की तरह रखा जाता है। ताकि क्रॉस वोटिंग न हो और पार्टी के व्हिप में ही सभी चले। इन परिस्थितियों के मध्य महापौर के लिए पूर्व की भांति जनता मतदान कर चुनाव कर सकती है इस दिशा में राज्य निर्वाचन तथा सरकार कवायद कर रही है। इस लिहाज से दोनों चुनाव रोचक हो सकता है।
ये संभाल चुके है सभापति का पद
जेठूराम के कार्यकाल में सुरेश गोयल सभापति थे। यह नगर निगम आस्तित्व में आने के बाद पहला चुनाव था। इसके बाद महापौर महेन्द्र भाजपा से जीतकर महापौर बने। उनके कार्यकाल में सुभाष पांडेय भाजपा के कद्दावर नेता तथा वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष है। इसी तरह 2015 के चुनाव में मधु बाई महापौर ( किन्नर ) ने निर्दलीय जीत हासिल की और उनके कार्यकाल में कांग्रेस के कद्दावर नेता सलीम नियारिया थे। इसी तरह कांग्रेस की वर्तमान जानकी काटजू के कार्यकाल 2019 से अब तक 5 बार के पार्षद जयंत ठेठवार है।
कांग्रेस से जीत के बाद इन संभावित नामों पर होगी चर्चा
कांग्रेस
सलीम नियारिया वार्ड 17
जयंत ठेठवार वार्ड 12
शाखा यादव 14
संजय देवांगन 06
विकास ठेठवार 15
दयाराम धुर्वे 05
प्रभात साहू 20
रत्थु जायसवाल 33
भाजपा से जीत के बाद इन संभावित नाम पर होगी चर्चा
सुरेश गोयल 19
पंकज कंकरवाल 22
सुभाष पांडेय 16
सीनू राव 39
कौशलेश मिश्रा 23
पूनम/ दिबेश सोलंकी 18
अशोक यादव 02
मुक्ति नाथ 30
अनूप रतेरिया 19




