Monday, December 1, 2025
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हाइड्रोलिक सिस्टम के वॉल्व को अज्ञात शख्स ने किया बंद, गार्डों ने तीन श्रमिकों को बंधक बना कर पीटा..!

हाइड्रोलिक सिस्टम के वॉल्व को अज्ञात शख्स ने किया बंद, गार्डों ने तीन श्रमिकों को बंधक बना कर पीटा..!


घटना के बाद फ्रंट फुट पर आए स्थानीय लोग, श्रमिकों के साथ मिल कर प्रबंधन के खिलाफ खोला मोर्चा और पुरानी मांगें भी दिलाई याद
जनकर्म न्यूज
रायगढ़। जिंदल प्लांट में लगे हाइड्रोलिक सिस्टम के वॉल्व को किसी अज्ञात शख्स ने बंद कर दिया। तब प्लांट के अधिकारियों के निर्देश पर जिंदल के सिक्यूरिटी गार्डों ने तीन श्रमिकों को सेंटर बैरियर में बंधक बना कर जमकर लाठी-डंडों से पीटा। जिससे उसकी हालत बहुत गंभीर है। इधर श्रमिकों से मारपीट की घटना के बाद स्थानीय लोग भी फ्रंट फुट पर आ गए और श्रमिकों के साथ प्लांट प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वहीं जिंदल गेट के सामने प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी करते हुए जिंदल प्रबंधन को पुरानी मांगें भी याद दिलाई।
पतरापाली स्थित जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड में रविवार को उस वक्त नाराज मजदूरों ने मोर्चा खोल दिया जब उन्हें अपने तीन साथियों की बंधक बनाकर पिटाई होने की जानकारी मिली। दरअसल शनिवार की रात जिंदल के ही सिक्यूरिटी गार्डों द्वारा तीन मजदूरों को लाठियों से न केवल जमकर मारा गया बल्कि सुबह 5 बजे तक उन्हें बंधक बना कर अमानवीय यातनाएं दी गई। जिसके चलते जिंदल के गेट के सामने सैकड़ों मजदूरों ने मोर्चा खोल दिया। वहीं प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दोषी सुरक्षा गार्डों के उपर कार्रवाई की मांग की। मारपीट के शिकार श्रमिक निखिल कुमार गुप्ता ने बताया कि वह बीते 13 साल से जिंदल कंपनी में जीडब्ल्यू ठेका कंपनी के अंदर काम कर रहा है। उसने बताया कि प्लांट के अंदर एसएमएस 2 में हाइड्रोलिक सिस्टम लगा हुआ है। शनिवार को उस सिस्टम के वॉल्व को किसी ने बंद कर दिया था। तब एसएमएस 2 के अधिकारियों ने इसका इल्जाम निखिल सहित दो अन्य श्रमिकों राजकुमार गुप्ता व श्रीनिवास पर डाल दिया। वहीं सिक्यूरिटी गार्डों को निर्देश देकर इन्हें मार खिलाया। गार्डों द्वारा उन्हें सेंटर बेरियर में ले जाकर जमकर मारपीट की गई और बंधक बना लिया गया। इस घटना में तीनों मजदूरों को गंभीर चोट आई है। सूत्रों की मानें तो एसएमएस 2 में किसी के द्वारा बार-बार वॉल्व को बंद कर दिया जा रहा है। उक्त अज्ञात शख्स तक कंपनी के अधिकारी नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में उनके द्वारा शक के आधार पर 10 श्रमिकों को चिन्हांकित किया गया है, उसमें से इन तीनों श्रमिकों को पूछताछ के लिए ले जाया गया। जहां उनके साथ किसी मुजरिम की तरह पूछताछ और मारपीट की गई।
पहले भी गार्डों की सामने आ चुकी है दादागिरी
जेएसपीएल के सुरक्षाकर्मियों की दादागिरी कम होने का नाम नहीं ले रही है। खुद को वर्दीधारी समझने वाले सिक्यूरिटी गार्ड कंपनी के अधिकारियों के इशारे पर न सिर्फ मजदूरों के साथ मारपीट कर रहें है बल्कि उन्हें अमानवीय यातनाएं देने से भी बाज नही आ रहे हैं। मानव अधिकार की सारी मर्यादाओं को लांघकर लगातार कानून को अपने जूतों तले रौंद रहे हैं। इससे पहले भी गार्डों द्वारा श्रमिकों को बेरहमी से पीटने का मामला सामने आ चुका है। जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। ताज्जुब तो यह है कि लॉ एंड ऑर्डर को बरकरार रखने वाली पुलिस के कानों में में जू तक नहीं रेंग रही है। जिससे गार्डों की दबंगई का सिलसिला जारी है। प्रशासन की इसी उदासीनता के चलते सुरक्षा गार्डों ने कंपनी के एसएमएस 2 में वॉल्व बंद करने के संदेह में जीडब्ल्यू ठेका कंपनी के तीन श्रमिकों को कमरे में बंद कर लगातार 5 घंटो तक अमानवीय यातनाएं दी। यातनाएं भी ऐसी की रूह कांप जाए। घायल तीनों मजदूरों में से दो की हालत बेहद खराब है उन्हें अपने पैरों में खड़े होने की दिक्कतें हो रही है। सिक्यूरिटी गार्ड के लगातार हमले से जिंदल के कर्मचारी व श्रमिक भयभीत हैं। नौकरी जाने के भय से श्रमिकों ने चुप्पी साध रखी थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने श्रमिकों का साथ देते हुए उनकी आवाज बुलंद की।
स्थानीय लोगों ने दिया श्रमिकों का साथ
मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने कहा कि जिंदल के सिक्यूरिटी गार्डों द्वारा श्रमिकों से मारपीट की जानकारी मिलते ही यहां के लोग आक्रोशित हो गए। उसी के साथ-साथ पहले के कुछ बिन्दुओं को लेकर भी आन्दोलन किया गया, जिसका जिंदल पालन नहीं कर रहा था। उनकी 5 सूत्रीय मांगों से मुख्य मांग यह है कि श्रमिकों के साथ मारपीट करने वाले सिक्यूरिटी गार्ड के उपर कानूनी कार्रवाई हो और घायलों को मुआवजा दिया जाए। पिछले साल हुए आन्दोलन के बाद से सैकड़ों श्रमिकों को जिंदल द्वारा ब्लैक लिस्ट कर दिया गया उनकी पुन: बहाली की जाए। तब मौके पर पहुंचे जिंदल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मारपीट करने वाले सिक्यूरिटी गार्डों को अन्यत्र स्थानान्तरण व निलंबित करने जैसी बातों पर गंभीरता से विचार करने की बात कही गई। साथ ही ब्लैक लिस्टेड किए गए श्रमिकों के संबंध में ठोस निर्णय लेने के लिए तीन दिन का समय मांगा गया।

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