बंदे अली फातमी नगर कॉलोनी का गंदा पानी केलो में मिल कर नदी के पानी को कर रहा है प्रदूषित..!
निगम प्रशासन बना है अंजान, केलो की चिंता करने वाले लोग भी बैठे हैं शांत
जनकर्म न्यूज
रायगढ़। बंदे अली फातमी नगर कॉलोनी का गंदा पानी बीते कई सालों से निरंतर केलो नदी में आकर मिल रहा है। जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है और आसपास के लोगों को दुर्गंध के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस ओर कार्रवाई करने के बजाय निगम प्रशासन अंजान बना हुआ है। वहीं केलो की चिंता कर दुहाई देने वाले लोग भी शांत बैठे हुए हैं।
दरअसल एक ओर शासन-प्रशासन, समाजसेवी, केलो उद्धार समिति द्वारा केलो को स्वच्छ रखने तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। वहीं कुछ लोगों द्वारा डंके की चोट पर केलो नदी को प्रदूषित करने का काम किया जा रहा है। ऐसे लोगों पर शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का भी नियंत्रण नहीं है। दरअसल खर्राघाट सावित्री जिंदल पुल के उस पार हाऊसिंग बोर्ड द्वारा बंदे अली फातमी नगर कॉलोनी बनाया गया है। यहां पानी निकासी की व्यवस्था ही है या नहीं यह तो कॉलोनाइजर ही जानें, लेकिन बीते कई सालों से कॉलोनी का गंदा पानी सडक़ पर बह कर रपटा पुल होते हुए केलो नदी में आकर मिल रहा है। जिससे यहां नहाने वाले लोग अब घाट बदलने को मजबूर हो गए हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो आम दिनों में भी कॉलोनी का गंदा पानी रपटा पुल के उपर भरा रहता है और केलो नदी में गिरते रहता है। उक्त गंदे पानी के बदबू से पुल से गुजरने वाले लोगों को नाक-मुंह सिकोडऩा पड़ जाता है। कॉलोनी का पानी लगातार बहने से रपटा पुल का एप्रोच मार्ग भी जर्जर हो गया है। वहीं सडक़ कई जगह से कट कर नाली की तरह बन गया है। इस तरह नदी को प्रदूषित करने वाले पर न तो निगम कोई कार्रवाई कर रही है और न केलो की चिंता करने वाले लोग इस ओर आवाज उठा रहे हैं।
निगम कमिश्नर के आदेश की उड़ रही धज्ज्यिां
वैसे तो लोग किसी न किसी तरीके से केलो नदी को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चाहे घर का कूड़ा-करकट हो या कचरा, या फिर पूजन सामग्री लोग जान बूझ कर उसे नदी में फेंक रहे हैं। साथ ही नालों का पानी भी इसी नदी में आकर मिल रहा है। जिससे केलो नदी प्रदूषित हो रही है। इन सब के बावजूद चारपहिया व बस चालक भी केलो नदी को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चारपहिया वाहन से लेकर बड़ी गाडिय़ों के चालक आए दिन दर्जनों की संख्या में खर्राघाट स्थित केलो नदी अपनी वाहन धोने पहुंचते हैं। इनके द्वारा लोगों के नहाने वाले घाट पर कब्जा कर लिया गया है। जिस स्थान पर वाहन धोने का कार्य चलता है वहां बकायदा निगम आयुक्त द्वारा बोर्ड भी लगवाया गया है, जिसमें वाहन धोने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की बात लिखी गई है। इसके बाद भी लोग आयुक्त के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए लगातार उसी स्थान पर वाहन धो रहे हैं। इतना ही नहीं कमिश्नर द्वारा हाल ही में केलो नदी में स्वच्छता अभियान चलाया गया है और निगम की स्वच्छता दीदीयां भी खर्राघाट नदी में कचरा ढोने वाला रिक्शा धोती हैं।
नहाने लायक नहीं रह गया है पानी
केलो डेम, एनीकट बन जाने से खर्राघाट तक पहुंचने वाली पानी की मात्रा काफी कम हो जाती है। ऐसे में वाहन चालकों द्वारा वाहन धोने से उसके ऑयल, डस्ट, कूड़ा-करकट सब पानी में मिलते हैं, जिससे उक्त क्षेत्र का पानी खराब हो जाता है। इस वजह से यहां का पानी नहाने लायक नहीं रह गया है। इसके अलावा केलो नदी को प्रदूषित करने में मांस-मटन बेचने वालों का भी बड़ा योगदान है। ये रात होते ही मांस-मटन के अवशेष को लाकर पुल ऊपर से खर्राघाट नदी में फेंक देते हैं। ऐसे में यह अवशेष कम पानी होने की वजह से बह नहीं पाते और उसी स्थान पर रह जाते हंै। इससे भी केलो नदी काफी हद तक प्रदूषित हो रही है।
बंदे अली फातमी नगर कॉलोनी का गंदा पानी अगर केलो नदी में मिल रहा है तो यह चिंतनीय विषय है। मुझे आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है। मैं इस बारे में निगम कमिश्नर को अवगत कराउंगा और इस पर रोक लगाने की मांग करूंगा।

- मो. नवाब खान
वार्ड पार्षद




