ग्रामीणों के आक्रोश के आगे झुके उद्योगपति, दलदल सडक़ को संवारने का काम शुरू
दूसरे दिन भी जारी रही आर्थिक नाकेबंदी, ग्रामीणों ने कहा जब तक सडक़ नहीं बनती तब तक करेंगे आन्दोलन

रायगढ़। ग्रामीणों के आक्रोश के सामने आखिरकार उद्योगपति झुक गए हैं। हुंकराडीपा-मिलुपारा की दलदल सडक़ को संवारने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके बाद भी दूसरे दिन ग्रामीणों की आर्थिक नाकेबंदी जारी रही। ग्रामीणों की मानें तो जब तक सडक़ नहीं बनती तब तक आन्दोलन जारी रहेगा।
दरअसल हुंराडीपा-मिलुपारा की 14 किमी की सडक़ चलने लायक भी नहीं है। शुक्रवार को स्थानीय ग्रामीणों ने सडक़ निर्माण की मांग को लेकर गारे गांव में आर्थिक नाकेबंदी कर दी। देखते ही देखते आसपास के महिला-पुरूष व स्कूली बच्चे भी इस आन्दोलन में शामिल हो गए। इतना ही नहीं स्थानीय विधायक विद्यावती सिदार भी उनका समर्थन करने पहुंची थी। शाम तक प्रदर्शनकारियों की संख्या 1 हजार के आसपास हो गई थी। खास बात यह है कि तमनार क्षेत्र के अधिकतर माइंस हिंडाल्को, सारडा एनर्जी, अदानी, अंबुजा सहित अन्य कोल माइंस मिलुपारा के आसपास स्थित हैं। जहां कोयला खदान से कोयला निकाल कर भारी वाहनों से परिवहन किया जाता है। प्रदर्शनकारियों द्वारा शुक्रवार से इस मार्ग में गुजरने वाली भारी वाहनों की आवाजाही को रोक दिया गया है। जिससे कोयला परिवहन का कार्य पूरी तरह ठप्प पड़ गया है। सडक़ पर सैकड़ों वाहनों की लंबी कतार लगी हुई है। जिससे उद्योगों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि शुक्रवार को प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा जिंदल व सारडा एनर्जी के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और ग्रामीणों को समझाइश देने का प्रयास किए, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हैं। इसी क्रम में शनिवार की सुबह से जिंदल और सारडा एनर्जी द्वारा इस मार्ग से कीचड़ को हटवा कर उसमें गिट्टी, सीमेंट का लेप लगा कर उसे चलने लायक बनाया जा रहा है। वहीं उद्योग प्रबंधनों द्वारा कहा जा रहा है कि बरसात के बाद इस सडक़ को स्थायी तौर पर बनाया जाएगा। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि जब तक स्थायी तौर पर सडक़ नहीं बन जाता उनका आन्दोलन जारी रहेगा। इधर प्रशासनिक अधिकारी कह रहे हैं कि कम से कम चलने लायक सडक़ बन जाए तो ग्रामीणों को किसी तरह मान-मनौव्वल कर मना लिया जाएगा।




