Monday, December 1, 2025
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जनमित्रम एसपीएस मेमोरियल स्कूल में शिक्षकों के लिए प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन


जनमित्रम एसपीएस मेमोरियल स्कूल में शिक्षकों के लिए प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन।

मुख्य अतिथि के रूप में श्री रविंद्र चौबे और श्रीमती मंजुला चौबे जी ने की शिरक़त, शिक्षकों को दिए गुरु मंत्र, रखा शत प्रतिशत परिणाम का लक्ष्य।

जनमित्रम एसपीएस मेमोरियल स्कूल घरघोड़ा में शिक्षकों के लिए एक दिवसीय संवादात्मक एवं प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षण के प्रभावशाली तरीकों की जानकारी देना, शिक्षक-छात्र संबंधों को सुदृढ़ करना, बाल मनोविज्ञान की समझ बढ़ाना तथा शिक्षक व्यक्तित्व के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालना था। शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता की सदा आवश्यकता रहती है, और यह कार्यशाला इसी दिशा में एक सार्थक प्रयास था।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की प्राथमिक समन्वयक श्रीमती पूर्णिमा सिंह द्वारा स्वागत भाषण से हुआ, जिसके उपरांत विद्यालय के शैक्षणिक प्रमुख अकादमिक निदेशक श्री नीरज पोद्दार ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं अतिथियों का परिचय कराया।

प्रथम सत्र की शुरुआत प्रतिभागियों के संक्षिप्त परिचय से हुई। इसके पश्चात कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक श्री रविन्द्र चौबे (सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी एवं संवेदनशील संयोजक इप्टा) ने “शिक्षक-छात्र संबंध एवं शिक्षण तकनीक” विषय पर अपना प्रेरणादायक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने शिक्षण को केवल विषय ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों और भावनात्मक जुड़ाव से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।

द्वितीय सत्र का संचालन श्रीमती मंजुला चौबे (सेवानिवृत्त पीजीटी, हिंदी, ओपी जिंदल स्कूल) द्वारा किया गया, जिन्होंने पाठ योजना निर्माण एवं समय प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की। इस सत्र में शिक्षकों ने गतिविधियों के माध्यम से “पाठ योजना निर्माण” और “कक्षा शिक्षण” जैसे व्यावहारिक पक्षों का भी अभ्यास किया।

प्रशिक्षकों द्वारा प्रस्तुत विचार न केवल जानकारीवर्धक थे, बल्कि सभी प्रतिभागियों के लिए आंखें खोलने वाले अनुभव भी रहे। कार्यशाला में भाग लेने वाले शिक्षकों ने इस अनुभव को अत्यंत लाभकारी बताया।

जनमित्रम एसपीएस मेमोरियल स्कूल में शिक्षक नियमित रूप से इस प्रकार की कौशलवर्धक कार्यशालाओं में भाग लेते हैं, जिससे न केवल उनकी पेशेवर क्षमताएं सशक्त होती हैं, बल्कि वे छात्रों के जीवन में भी सार्थक बदलाव लाने वाले शिक्षक बनते हैं।

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