निगम प्रशासन की रोक के बावजूद बेतरतीब सड़क किनारे लग रही कच्चे और पक्के नानवेज की दुकान
कार्रवाई नही होने से दुकानदारों के हौसले बुलंद, सड़क को बना दिए होटल, आपिष्ट फेंक रहे है खुले में
रायगढ़।।निगम प्रशासन ने मांस-मटन बिक्री तथा निर्धारित स्थल के बजाए कही भी दुकान खोलने पर रोक लगाते हुए कार्रवाई का आदेश पारित किए थे।आलम यह है लगभग ढाई माह बीतने के बाद भी आदेश के परिपालन में कोई पहल नही हुई है। जिससे बेतरतीब तरीके से दुकान खुल रहे है और दुकान से निकलने वाले आपिष्ट को भी खुले में फेंक कर गंदगी फैला रहे है।
दरअसल शहर के सभी चौक- चौराहे मे मांस मटन की दुकान व्यपाक रूप से खुल चुका है। यह दुकान कच्चे पक्के दोनो स्वरूप के संचालित हो रहे है। इससे शहर की सुंदरता से लेकर स्वानो के आक्रमणकारी रूख की गाहे- बगाहे शिकायत निगम तथा जिला प्रशासन के समक्ष आ रही थी।
चिन्हांकित स्थलों के अलावा शहर के विभिन्न जगह पर नॉनवेज बेचने की बातें सामने आई थी। राहगीरों में इसे लेकर रोष जता रहे थे। स्थानीय रहवासी बदबू से परेशान हो रहे थे। ऐसे में नगर निगम शहर सरकार ने 26 मार्च को आयोजित एमआईसी बैठक में इस पर महत्वपूर्ण निर्णय आदेश जारी की थी। जिसमे कही भी दुकान खोलने व कच्चे पक्के दुकान लगाने पर प्रतिबंधित करते हुए कार्रवाई का निर्देश दिए थे। इस परअब तक कार्रवाई नही होने से शहर के सभी रोड में दुकान बाजार स्वरूप के खुल चुका हैं। दुकानदार बेखोफ होकर दुकान खोल रहे है। सड़क में बेजा कब्जा भी बड़े पैमाने पर कर रहे है। बहरहाल इसका असर सीधे राहगीरों से लेकर शहर की स्वच्छता अभियान में पड़ रहा है एक तरह से मानो यह केंद्र सरकार को महत्वकांक्षी योजना का बंटाधार कर रही है।
नियमो के विपरीत आपिष्ट खुले में, बदबू से राहगीर परेशान
कच्चे- पक्के मांस मटन दुकान व होटल संचालक दुकान से निकलने वाले आपिष्ट को 100 फीसदी खुले में फेंक रहे है। चक्रधर नगर में रेलवे पटरी के किनारे फेंका का जा रहा है। केवड़ा बाड़ी में नाले में डाला जा रहा है, जूटमिल में भी यही हाल है। इसके अलावा दुकानदार तो सड़क में ही आपिष्ट को एकत्रित कर रख रहे है। इसका असर स्वच्छता से लेकर लोगों को सड़ांध की बदबू से परेशान होना पड़ रहा हैं।
स्वान भी हो रहे है खूंखार
शहर व ग्रामीण अंचल में बेतरतीब कच्चे-पक्के मांस -मटन की दुकान खुल चुकी है, सुबह से लेकरदेर शाम तक विभिन्न उत्पाद-पकवान के रूप में बनाकर लोगों को परोसा जाता है। दुकानदार व ग्राहक कच्चे व पक्के मांस के विभिन्न टुकड़े को यत्र-तत्र फेंक देते है। ऐसे में आवारा कुत्तों का झुंड उक्त समान को खाने के लिए आपस में आक्रामकता अपना लेते है। रूप से । यही आक्रामक का दंश आम जन भी उठाते है।





