विहिप विभाग बैठक में संगठनात्मक सुदृढ़ता और सामाजिक मूल्यों पर हुआ व्यापक मंथन


रायगढ़, केंद्रीय अधिकारी प्रवास के अंतर्गत विश्व हिंदू परिषद की विभागीय बैठक रायगढ़ विभाग के अंतर्गत “श्री रामेश्वर धाम के श्री अशोक सिंघल सभाकक्ष” में दो सत्रों में आयोजित की गई। बैठक में रायगढ़ और सारंगढ़ जिलों की समस्त कार्यकारिणी, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी एवं मातृशक्ति के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
बैठक की अध्यक्षता अजय पारिख (अखिल भारतीय सेवा प्रमुख, केंद्रीय मंत्री) ने की। उनके साथ नंदू साहू (प्रांत सह मंत्री) की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अजय पारिख जी ने अपने उद्बोधन में विहिप को सनातन धर्म, संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्यों की रक्षा हेतु समर्पित एक अजेय संस्था बताते हुए कहा कि 1964 में परम पूज्य गुरुजी के आह्वान पर सांदीपनि आश्रम (स्वामी चिन्मयानंद जी के आश्रम) में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना हुई थी। सेवा इसका मूल स्वभाव है, और संगठन की रीति-नीति को हृदय से आत्मसात करना प्रत्येक कार्यकर्ता का कर्तव्य है।
बैठक में विहिप के विभिन्न कार्य विभागों एवं आयामों की जानकारी दी गई
प्रमुख कार्य विभाग
• बजरंग दल: युवाओं की शाखा, जो राम जन्मभूमि आंदोलन से प्रेरित होकर गठित हुई।
• दुर्गा वाहिनी: युवतियों के लिए आत्मरक्षा एवं सेवा मूल्यों पर आधारित शाखा।
• मातृशक्ति: महिलाओं की भागीदारी हेतु विशेष शाखा जो सत्संग, सेवा एवं धर्म प्रसार पर केंद्रित है।
• सत्संग: संगठन की कार्य पद्धति का अनिवार्य अंग।
• विधि प्रकोष्ठ एवं विशेष संपर्क प्रमुख – विशिष्ट विषयों के संचालन हेतु।
दो मुख्य पुंज:
• सामाजिक पुंज: सेवा, गौ रक्षा, सामाजिक समरसता, धर्म प्रचार।
• धार्मिक पुंज: धर्माचार्य संपर्क, मंदिर-पुरोहित, धर्म यात्रा महासंघ, संस्कृत प्रचार।
उल्लेखनीय है कि जापान में प्राथमिक शिक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाती है और नासा में वैज्ञानिकों को संस्कृत पठन अनिवार्य किया गया है।
संगठन की संरचना
विहिप की सबसे छोटी इकाई ग्राम (ग्रामीण) या बस्ती (शहरी) होती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण इकाई जिला स्तर की होती है, जहां संगठन के उद्देश्यों की सजीव अभिव्यक्ति संभव होती है। इस दिशा में कार्यकर्ताओं का निर्माण, प्रशिक्षण और सतत संपर्क आवश्यक बताया गया।
कार्ययोजना और निष्कर्ष
बैठक में आगामी प्रवास, संपर्क, प्रशिक्षण एवं विस्तार की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई और सभी कार्यकर्ताओं से अपेक्षा की गई कि वे संगठन की मूल भावना को आत्मसात करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावी कार्य करें।