गर्मी का कहर केलो का घटा जलस्तर, पचधारी की रौनक खत्म, पेयजल संकट भी दे रहा है दस्तक

45 फीसद पानी केलो में शेष, शहर के तालाब के साथ बोर हेंडपंप भी तोड़ने लगें दम
रायगढ़।
जिले में मार्च माह में सूरज की तपीश बढ़ने लगीं थी, अप्रेल माह में यह लोगों को गर्मी से जद्दोजहद करने पर मजबूर कर दी।आलम यह है कि गर्मी से पहले ही भूजल जलस्तर गर्त में जा रहा है, जीवन रेखा कहीं जाने वाली केलो नदी का जलस्तर घट गया। 45 फीसद पानी शेष है। शहर समेत ग्रामीण अंचल की तालाब झील सूखने लगी हैं। इसका असर यह है कि मेला जैसे माहौल को समेटने वाली पचधारी बेरौनक नजर आ रही, नदी नाले के स्वरुप में नजर आ रहा है।
अप्रेल माह में गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। लगातार बढ़ते पारा के कारण भूजल स्तर भी गिरते जा रहा है। अब इसका असर जलाशयों,बांध नदी तालाब में भी देखने को मिल रहा है। जिससे जन-जीवन तो बेहाल है कि नदी में रहने वाले जीव-जंतुओं पर पर भी गहरा असर पड़ रहा है। इन जलाशयों पर क्षेत्र के किसान व ग्रामीण आश्रित रहते हैं। चूंकि गर्मी में वैसे ही ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत बढ़ गई है उपर से जलाशयों के माह के भीतर इन जलाशयों में भी काफी सूखने से लोगों की हालत आने वाले दिनों मस विकराल हो सकती है। इन सभी के बीच शहर की जीवन रेखा केलो नदी का जलस्तर भी तेजी से घट गया है। बांध में शेष केवल 45 फीसद पानी है। इससे नदी में बांध से कम स्तर में पानी छोड़ा जा रहा है। इसका असर अब नदी में पड़ने लगा है। जिसमे एक समय तक मार्च माह में पचधारी एनीकट में लोगो की भीड़ नदी के पानी मे अटखेलियां करते हुए नजर आते थे मौजूदा दौर में यहां वीरानी छाई हुई है। कभी मेले से गुलज़ार रहने वाला लोगो की राह देख रहा है चूंकि एनीकट से पानी का जल स्तर कम होने से वह बहने के बजाए स्थिर हैं। विभागीय जानकारी के मुताबिक इससे आने वाले दिनों में शहर में पेयजल संकट भी गहराएगा। बहरहाल केलो नदी का जलस्तर कम पानी होने से उद्योग से लेकर मानवजीवन के अलावा खेती किसानी में भी पड़ेगा।

तालाब झील का जलस्तर गिरते ही सूखने लगी
शहर की लाइफ लाइन जीवनदायिनी केलो नदी को कहां जाता है। जिसमें बांध बनने की वजह से यहां पानी नाले की तरह बहाव हो रही है जो एक दौर में अविरलता से बहकर लोग और खेत की प्यास बुझाती थी। अब यह नदी नाले की तर्ज पर दिखाई देती है। वही ग्रामीण अंचल में गर्मी से पहले तालाबों ,झील ,डबरी ,तक को अपने गिरफ्त में ले लिया है । इन जलस्त्रोंतों के सूखने के कारण आसपास के गांवों का भू-जल स्तर नीचे गिर रहा है, अगर यही हाल रहा तो अप्रैल के अंतिम व मई माह में जलसंकट की भयावह स्थिति हो सकती है ।
भू-जल दोहन और बोर खनन पर नही है लगाम
उद्योगों द्वारा धड़ल्ले से भू-जल का दोहन किया जा रहा है।बिना अनुमति के 6 से 12 इंच तक का बोर खोदकर भूमिगत जल का दोहन किया जाता है।गाहे बगाहे इसकी शिकायत भी मिलती है। वर्तमान में कई मोहल्ले मे धड़ल्ले से बोर खनन करवाया गया है इसकी वजह केवल अमृत मिशन योजना के तहत पानी सुचारू रूप से नही मिल पाना है इस करण जलस्तर गिर रहा है। मगर जिला प्रशासन व संबंधित विभाग कभी भी जल स्तर नियंत्रित करने औद्योगिक परिसरों की जांच नहीं करता, इसके चलते जल संकट समस्या हर साल बढ़ रही है।
फेक्ट फाइल
केलो बांध लागत 598.91 करोड़ ( तत्कालीन दौर में)
पूर्ण जल भराव स्तर 233 मीटर
अधिकतम जल स्तर 236 मीटर
बांध से जल निकास द्वार 8 नग गेट
शीर्ष पर मिट्टी बांध की ऊंचाई 8 मीटर
नहर तल स्तर 227 मीटर
वितरक नहर की लंबाई 28.31 किमी मीटर ( तत्कालीन दौर में)
लघु नहरों की लंबाई 215 किमी
मुख्य नहर की प्रवाह क्षमता 24.58 क्यूमेक्स
लाभान्वित गांव 175
सिंचाई क्षमता 22810 हेक्टेयर
जांजगीर जिला 8 गांव 1214 हेक्टेयर
रायगढ़ जिला 21996 हेक्टेयर 167 गांव
वर्तमान जल स्तर 45 फीसद