4 लाख क्विंटल चावल खा गए मिलर, बीजी जप्त नहीं होगी, नान व एफसीआई में तलाश रहे विकल्प
मार्कफेड का धान लेकर बाजार में बेचा चावल, 14 महीने बाद भी मिलिंग अधूरी

जनकर्म न्यूज
रायगढ़। नवंबर 2023 में शुरू हुई कस्टम मिलिंग का करीब 4 लाख क्विंटल चावल एफसीआई में 14 महीने बाद भी जमा नहीं हो सका है। दोषी मिलरों की बैंक गारंटी जप्त कर कड़ी कार्रवाई करने की जगह खाद्य विभाग अब इसके लिए दूसरे विकल्प ढूंढ रहा है और नान में कोटा कन्वर्ट करने और एफसीआई में ओवरलैपिंग कर चावल जमा कराने का रास्ता निकलवा रहा है।
जिले के राइस मिलर करीब 4 लाख 10 हजार सरकारी चावल हजम कर गए हैं। बीते साल मार्कफेड से धान लेकर कस्टम मिलिंग करने की जगह इन्होंने बाजार में सरकारी चावल बेच दिया। अब बार-बार मोहलत बढ़ाने के बाद भी एफसीआई में चावल जमा करने की अंतिम मियाद पूरी हो गई तो अभी भी करीब 4 लाख 10 हजार क्विंटल चावल जमा किया जाना शेष है। नियमानुसार समय पर चावल जमा नहीं किए जाने पर संबंधित राइस मिलर की बैंक गारंटी जप्त कर उसे आगामी वर्ष में कस्टम मिलिंग का काम नहीं करने की व्यवस्था है लेकिन धान खरीदी, परिवहन और फिर कस्टम मिलिंग में इतने लूप होल हैं कि अफसरों व राइस मिलरों का दोस्ताना कार्रवाई में आड़े आ जाता है।
अब नए साल का जनवरी महीना भी आ गया है लेकिन नवंबर 2023 से शुरू हुई कस्टम मिलिंग का चावल एफसीआई में बैलेंस दिखा रहा है। ऐसे में सरकार के पास भी ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। चावल जमा नहीं करने वाले मिलरों की बैंक गारंटी जप्त होगी, इसकी आशंका कम ही है। ऐसी दंडात्मक कार्रवाई कर कड़ा संदेश देने की जगह नान व एफसीआई में ही इसकी कोई गुंजाइश निकालने की कोशिश की जा रही है।
तो फिर नान में जमा होगा पुराना चावल
एफसीआई में जितना पुराना चावल जमा होना बाकी है। उसे नान के कोटे में कन्वर्ट कर दिया जाए तो चावल जल्द जमा हो सकता है लेकिन इस पर सहमति नहीं बन रही है। वहीं एफसीआई में बीते साल का चावल जमा करने के लिए मिलरों को एक बार और मोहलत दें तो इस साल का चावल और बीते साल का चावल एक साथ जमा होता रहेगा लेकिन एफसीआई इस तरह से ओव्हरलैपिंग को परमिशन नहीं देता है। इसी मुद्दे को लेकर शनिवार को वीसी होनी थी लेकिन वह भी आखिरी समय में टल गई।




