कृषि भूमि में शेड लगा रहे,भू अर्जन में वसूलेंगे अवैध मुआवजा
धरमजयगढ में भारतमाला प्रोजेक्ट का स्वागत करने तैयार हुए भू माफिया
जनकर्म न्यूज
रायगढ। शहर के बाद तमनार घरघोडा और अब धरमजयगढ़ जैसे वनांचल में भी जिले के भू माफियाओं का मुआजवा सिंडीकेट सक्रिय हो गया है। भारत माला प्रोजेक्ट की आहट सुनते ही धरमजयगढ के वीरान व सूनसान खेतों में भी रातो रात टिन के शेड व दीवार बनाकर पक्का निर्माण दिखाने का काम शुरू हो गया है। ताकि भू अर्जन के वक्त ज्यादा से ज्यादा सरकारी मुआवजा वसूला जा सके। इसके लिए कमजोर आय वाले किसानों के खेतों में भू माफियाओं की बेनामी संपत्ति का भी निवेश होने लगा है।
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक के बजरमुड़ा, मिलुपारा में भी ग्रामीणों द्वारा यही तरीका अपनाया गया था। जिसके बाद मुआवजा का बड़ा खेल खेला गया। वहीं शिकायत जांच के बाद छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई तो हुई पर बड़े अधिकारियों पर अब तक कार्यवाही नहीं हो सकी, जिस वजह से धरमजयगढ़ में भी ऐसा करने वाले लोगों के हौसले बुलंद है। दरअसल भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बिलासपुर से पंतोरा होते हुए उरगा-धरमजयगढ़ तक फोरलेन सड़क निर्माण कार्य प्रगति पर है। पहले चरण में बिलासपुर से उरगा तक 70 किलोमीटर सड़क लगभग 1500 करोड़ रुपए में बनेगी। वही दूसरे चरण में उरगा से पत्थलगांव, कुनकुरी तक 105 किलोमीटर की सड़क लगभग 1275 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी। धरमजयगढ़ ब्लॉक के बायसी कॉलोनी के आश्रित ग्राम मेढ़रमार में भारतमाला परियोजना का सर्वे कई बार हो चुका था पर कंपनी द्वारा किस जगह से मार्ग को लेकर जाना है । जगह फाइनल नहीं हो पा रहा थी। वही अचानक एक बार फिर सर्वे होने के बाद ग्रामीणों ने उसे फाइनल सर्वे मानकर जिस जगह सर्वे किया गया। उसके अंतर्गत आने वाले किसानों के जमीन में अब रातों रात शेड निर्माण कार्य शुरू हो गया ।
अवैध मुआवजे के लालच में लग रही बेनामी संपत्ति
जानकारी अनुसार जिन किसानों के जमीन के पास सर्वे किया गया था और जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है। रसखुदार लोग उनकी जानकारी निकालकर उनके कृषि भूमि में अपना धन निवेश करने में लग गए हैं। जिससे कि अगर प्रोजेक्ट अंतर्गत किसानों की जमीन जाती है तो किसान को मोटी रकम मुआवजा के तौर पर मिलेगी। जिससे किसानों के साथ साथ रसूखदारों को भी फायदा होगा। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि सर्वे के बाद किसानों की कृषि भूमि पर लगातार शेड का निर्माण किया जा रहा है अगर वाकई इन किसानों के जमीन प्रोजेक्ट अंतर्गत जाती है तो शासन को कितने भाड़ी भरकम रकम मुआवजे के तौर पर देना पड़ेगा।