Monday, October 13, 2025
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खतरे के निशान के करीब केलो, मांड व महानदी, हीराकुंड डेम के नहीं खुले गेट तो बढ़ेगी परेशानी

खतरे के निशान के करीब केलो, मांड व महानदी, हीराकुंड डेम के नहीं खुले गेट तो बढ़ेगी परेशानीओडिशा सरकार के संपर्क में अफसर, प्रशासन व नगर सेना की टीम अलर्टरायगढ़। जिले के सभी बड़ी नदियां बाढ़ की वजह से खतरे के निशान के करीब हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन के कहने के बाद भी ओडिशा सरकार हीराकुंड डेम के गेट नहीं खोल रही है। इसका कारण ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच पुराने जल विवाद को बताया जा रहा है, जिसका बदला ओडिशा अब ले रही है। ऐसे में जिला प्रशासन व नगर सेना की टीम भी बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तरह से अलर्ट है।जिला प्रशासन ने बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। वहीं मांड और महानदी पर नजर रखी जा रही है। वर्तमान में लगातार हो रही बारिश से नदियों व बांधों में जल स्तर बढ़ा है। रविवार की स्थिति में केलो डेम में 201.60 मीटर, मांड में जलस्तर 226.10, महानदी चंद्रपुर ब्रिज में 197.80 मीटर, महानदी कलमा बैराज में 197.20 मीटर जल स्तर है। वहीं हीराकुंड डेम का जल स्तर 186.73 है। सभी नदियां और बांध अभी खतरे के निशान के करीब हैं। जिला प्रशासन द्वारा इसकी लगातार निगरानी की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा एडवायजरी जारी करने के बाद उन लोगों की चिंता बढ़ गई है जो महानदी और मांड नदी के किनारे रहते हैं। खासकर पुसौर और सरिया क्षेत्र के सूरजगढ़, बाराडोली, चिंघोरी, शिवपुरी, खपरापाली, परसापाली, पोरथ, सुरसी, तोरा, ठेंगागुड़ी जैसे क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। यहां लगभग हर साल मानसून में यहां आपदा आती है और लोगों का सब कुछ बह जाता है। स्थिति यह हो जाती है कि लोगों को अपना घर छोड़ कर किसी स्कूल या सामुदायिक भवन में गुजारा करना पड़ता है। इस साल भी ऐसा होने की आशंका को लेकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीर नजर आ रही है। वो प्रशासन की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। हालांकि प्रशासन इस आपदा से निपटने के लिए खुद को तैयार बता रही है।
*होमगार्ड के पास हैं इतने संसाधन व जवान*
बाढ़ से निपटने के लिए होमगार्ड के पास एक बड़ी एल्युमिनियम वोट है, जिसमें 20 से 25 लोग बैठ सकते हैं। इसी तरह एक फाइवर वोट है जिसमें 10 से 12 लोग सवार हो सकते हैं। इसके अलावा लाइफ जैकेट 75, लाइफ बाय रिंग 80, रस्सी 10 उपलब्ध हैं। ये संसाधन हुए, इसके अलावा नगर सेना के पास 30 जवान हैं, जोकि उफनती नदी में जान जोखिम में डाल कर लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने का दमखम रखते हैं। इतना ही नहीं विभाग के पास 8 मोटर वोट चालक भी हैं, इस तरह विभाग अपनी तैयारी में है।होता रहता है अभ्यास
ऐसा नहीं है कि नगर सेना का बाढ़ बचाओ दल सिर्फ बारिश के दिनों में ही सक्रिय रहता है, दल के जवान सालभर अलर्ट रहते हैं। क्योंकि आए दिन किसी न किसी के डूबने की सूचना मिलती रहती है। जिससे उनका अभ्यास भी होता रहता है। इसके अलावा बाढ़ से पूर्व भी दल द्वारा मॉकड्रील किया जाता है। इसी माह नगर सेना की टीम ने केलो डेम में मॉकड्रील किया है।इस संबंध में होमगार्ड के जिला सेनानी बी कुजूर ने बताया कि उनकी पूरी कोशिश रहती है कि बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए उनकी टीम की काफी रहे। इसके लिए उन्हें स्थानीय नाविकों का भी सहयोग मिलता है। बावजूद इसके जब महानदी में जल स्तर बढ़ते जाता है तो भी उन्हें बिलासपुर से एसडीआरएफ को बुलाना पड़ता है। इसके बाद भी स्थिति नियंत्रण न होकर और विकराल हो जाती है तो अंत में ओडिशा से एनडीआरएफ की टीम को बुलाना पड़ता है। उनकी मानें तो पिछले साल तो इन क्षेत्रो में बाढ़ ही नहीं आई थी, हालांकि नगर सेना की टीम अलर्ट थी, वहीं इस बार भी टीम के जवान लोगों जान-माल की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं।जिले में 1 जून से 28 जुलाई तक की बारिश की स्थिति
तहसील बारिश
रायगढ़ 495.4 मिमी
पुसौर 513.1 मिमी
खरसिया 374.8 मिमी
घरघोड़ा 415.2 मिमी
तमनार 332.7 मिमी
लैलूंगा 370.0 मिमी
मुकडेगा 445.8 मिमी
धरमजयगढ़ 305.3 मिमी
छाल 444.2 मिमी
कापू 442.0 मिमी
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