उद्योगों से फसलों पर पडऩे वाले प्रभाव की जांच करने एकत्र किए मिट्टी के 500 सैंपल
रिपोर्ट में मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी की मिलेगी जानकारी, 5 विखं सबसे अधिक प्रभावित
रायगढ़। जिले के पंाच विकासखंड जहां उद्योगों की संख्या अधिक है, वहां की मृदा की उपजाऊ शक्ति में अंतर की जांच करने के लिए कृषि विभाग ने इन प्रभावित क्षेत्रों से मृदा के करीब 500 सैंपल एकत्र कर लिए हैं। एकत्र किए गए इन सैंपल को लैब में टेस्ट किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट पूरी तरह से तैयार होने के बाद ही पता चल सकेगा कि उद्योगों से होने वाले प्रदूषण से मृदा की प्रकृति और उसके उर्वरा शक्ति में कितना अंतर आया है।
गौरतलब है कि रायगढ़ जिले में उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों की वजह से किसान अक्सर परेशान रहते हैं। पूर्व में भी कई बार प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने जिला प्रशासन को उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ठ पदार्थों की वजह से फसल पर वितरित पडऩे व उपज कम होने की शिकायत की है। किसानों की मानें तो उद्योगों के अपशिष्ठ के कारण उनकी उपज में कमी आई है। यही वजह है कि कृषि विभाग ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों के खेतों की मिट्टी का सैंपल एकत्र करने के निर्देश दिए थे। सैंपल एकत्र करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। जानकारी के अनुसार मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि प्रभावित गांव की मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कितना अंतर आया है और इसके साथ ही उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट का और किस तरह से विपरित प्रभाव मिट्टी पर पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो मिट्टी के सैंपल एकत्र करने के साथ ही इसकी जांच भी शुरू हो चुकी है, अब जांच रिपोर्ट में पता चल सकेगा कि इन प्रभावित क्षेत्र की मृदा में किस तरह से अंतर मिलता है। बताया जा रहा है कि जिले के पंाच विकासखंड में यह समस्या अधिक है, जिसमें खरसिया, रायगढ़, तमनार, घरघोड़ा और पुसौर शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले किसानों ने इस संबंध में कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं और इससे होने वाली परेशानियों को भी प्रशासन के समक्ष रखा है। वहीं यह मुद्दा पूर्व में जिला पंचायत की सामान्य सभा में काफी जोरशोर से चर्चा कर विषय बना था। किंतु इससे पहले कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। बहरहाल, अब ऐेसे प्रभावित ग्रामों से मिट्टी सैंपल लेकर इसकी जांच करने की कवायद शुरू कर दी गई है। जानकारी के अनुसार रायगढ़ विकासखंड के भातपुर, लेबड़ा, कुलबा, रानीगुड़ा, झारगुड़ा, जामपाली, मुरालीपाली, विजयपुर, लामीदरहा, कारीछापर, बंगुरसिंया, उर्दना, सियारपाली, बनोरा, बेलरिया, कोतरलिया, पतरापाली पूर्व, बालमगोड़ा, खैरपुर और पंडरीपानी पश्चिम गांव से सैंपल एकत्र किए गए हैं।
हर गांव से 20-20 सैंपल एकत्र
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले के खरसिया, रायगढ़, तमनार, घरघोड़ा और पुसौर के सैकड़ों गांव उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट से प्रभावित हैं। यहां कई जगहों पर फ्लाईऐश डंप कर दिया जाता है, इसके साथ ही उद्योगों का प्रदूषित और केमिकलयुक्त पानी भी खेतों में जाकर खेतों सहित फसलों को को बर्बाद करता है। इसकी शिकायत भी किसानों ने पूर्व में कलेक्टर जनदर्शन में की है। कृषि विभाग ने इस प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरा शक्ति की कमी को जानने के लिए प्रत्येक विकासखंड से 20-20 गांव से मिट्टी के सैंपल एकत्र किए हैं। हर गांव से 5-5 किसानों का मिट्टी का सेंपल लेकर जांच की गई है। जिसमें इन किसानों से भी चर्चा की गई है।
शासन ने भी मांगी थी जानकारी
जानकारी के अनुसार शासन ने भी बीते साल फ्लाईऐश से प्रभावित खेतों की जानकारी मांगी थी। कृषि विभाग ने इस संबंध में जानकारी भी बना कर भेजा था, जिसमें इस समस्या से मुख्य से प्रभावित तमनार, रायगढ़, खरसिया और पुसौर के दर्जनों गांव को बताया गया था। किंतु अहम बात यह है कि पूर्व में मांगी गई रिपोर्ट पर अब तक क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी नहीं है।
वर्जन….
उद्योगों से प्रभावित गांव क ी मिट्टी के सैंपल एकत्र कर लिए गए हैं। जहां-जहां के सैंपल प्राप्त हो हुए हैं, उसकी लैब में जांच भी चल रही है। हालांकि रिपोर्ट आने पर ही पता चल सकेगा कि प्रभावित क्षेत्रों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति व उसकी प्र$कृति में किस तरह का अंतर आया है।
अनिल वर्मा