आइसीयू में रायगढ़ मेडिकल कालेज स्वास्थ्य व्यवस्था, 53 सहायक-सह प्रध्यापक, 31 जूनियर रेसीडेंस की कमी
नए सत्र की होगी सितंबर से शुरुआत, प्रध्यापको की कमी से अध्ययन अध्यापन व उपचार भी होगी प्रभावित
रायगढ़। नए सत्र की शुरुआत सितंबर से शुरू हो जाएगी। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती चिकित्सक और चिकित्सा शिक्षकों की कमी को दूर करने की है। आलम यह है कि स्व लखीराम मेमोरियल चिकित्सा महाविद्यालय में चिकित्सकों की कमी से अस्पताल आइसीयू के साथ वेंटिलेटर पर हैं, इससे अध्ययन अध्यापन कार्य भी बाधित हो रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को स्थिति खराब है, और शासन की तमाम दावों की पोल खोल कर रख रहा है।
गौरतलब हो कि रायगढ़ जिले में मेडिकल कालेज की स्वीकृति के बाद रायगढ़ वासियों को स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा होने की खुशी के साथ लालायिता थी, समय- समय शासन स्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए विभिन्न योजना तथा अध्यापन कार्यो के लिए प्रध्यापको की भर्ती की भी प्रक्रिया को अपनाया गया। लेकिन इसमे विफलता हासिल हुई है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ( एनएमसी ) की गाइडलाइन के अनुसार मेडिकल कालेज के प्रत्येक विभाग में प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक की तय संख्या होनी चाहिए, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश के सभी 10 सरकारी मेडिकल कालेजों में 48 प्रतिशत से अधिक पद लंबे समय से खाली हैं। यह स्थिति चिंताजनक हालात को दर्शाता है। चिकित्सक तथा बुनियादी आवश्यकता है, इसके बाद भी दवा और जांच उपकरणों की स्थिति भी खराब है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर संविदा के माध्यम से रिक्त पद भरने की कोशिश की गई, लेकिन प्रयास विफल रहा। इसके पीछे स्वास्थ्य सेवाओं में रीति नीति और पारदर्शिता की कमी है, दूसरी ओर कम वेतन व पदोन्नति की नीति भी अस्पष्ट है।
बहरहाल रायगढ़ मेडिकल कालेज में चिकित्सकों, प्रध्यापको व अन्य स्टाफ की कमी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहाल कर रहा है इसके अलावा भावी डाक्टरो के भविष्य पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। वही, इस कमी को लेकर स्वास्थ्य संचालनाय ने सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया जारी होना बताया है और जिसे शीघ्र पूरा करने की बात भी कह रहे है। इसके अलावा सभी कालेजों के डीन को संविदा पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं। अब देखना यह होगा कि चालू सत्र में इसे किस स्तर में पूर्ति की जाती है।
कम वेतन, अस्थिर भविष्य और पदोन्नति की नही है व्यवस्था
विशेषज्ञों के अनुसार यहां कम वेतन, अस्थिर भविष्य और पदोन्नति की व्यवस्था न होने के चलते योग्य उम्मीदवार संविदा पदों में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर एमबीबीएस व पीजी छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है और छात्रों का शोध कार्य प्रभावित हो रहा है। इससे न केवल छात्रों का भविष्य खतरे में है, बल्कि मान्यता पर भी संकट मंडरा सकता है।
प्रदेश के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों की चिकित्सा शिक्षकों/ चिकित्सकों पर एक नजर
क्र.पदनाम- स्वीकृत -भरे- रिक्त -नियमित- संविदा- एन.एम.सी.अनुसार प्रतिशत कमी
1- प्राध्यापक -241-92-32-117- 48.5%
2 सह प्राध्यापक-399-155-48-196-49.1%
3 सहायक प्राध्यापक- 644-197-115-332-51.6%
4 प्रदर्शक- 302-179-62-51-16.9%
5- सीनियर रेसीडेंट 518-54-89-375-72.3%
6 जूनियर रेसीडेंट-502-221-72-209- 41.6%
7 सीनियर रजिस्ट्रार-23-17-1-5-21.17 %
8 रजिस्ट्रार 31-25-1-6-21.7%
योग-2660-940-420-1290- 48.5%
ऐसे समझें रायगढ़ मेडिकल कालेज का हाल
प्राध्यापक – स्वीकृत पद-नियमित- संविदा – रिक्त
22- 4-7-11
सह प्राध्यापक
19-8-6-5
सहायक प्राध्यापक
40-10-13-17
सीनियर रेसीडेंस
39-6-13-20
प्रदर्शक
18-13-5-8
जूनियर रेसीडेंस
55-19-5-31