Monday, December 1, 2025
Google search engine
HomeBlogयुक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन शालाओं में अब फैलेगा ज्ञान का उजियारा

युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन शालाओं में अब फैलेगा ज्ञान का उजियारा

युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन शालाओं में अब फैलेगा ज्ञान का उजियारा

धरमजयगढ़ में शिक्षक विहीन स्कूल कुम्हीचुआं के 105 विद्यार्थियों को मिले 04 शिक्षक

शिक्षक मिलने से विद्यार्थियों को मिलेगा बेहतर शैक्षणिक वातावरण

युक्तियुक्तकरण से दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की हुई पदस्थापना, पालकों में खुशी

रायगढ़, 7 जून 2025/ जिले के शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षिकीय शालाओं के लिए युक्तियुक्तकरण का कदम दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है। दूरस्थ अंचलों में शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय शाला होने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा था। वह अब युक्तियुक्तकरण से दूर होने जा रहा है। रायगढ़ जिले के 21 शिक्षक विहीन और 267 एकल शिक्षिकीय स्कूलों को अब शिक्षक मिल चुके हैं। इससे इन शालाओं में शैक्षणिक वातावरण बेहतर होगा।
राज्य शासन के दिशा-निर्देश में जिले में अतिशेष शिक्षकों के काउंसलिंग की प्रक्रिया पूर्ण होने पश्चात अब जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में मौजूद शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को नए शिक्षक मिल चुके है। इससे अब न केवल इन क्षेत्रों के स्कूलों को नए शिक्षक मिले है बल्कि विद्यार्थियों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा भी सुनिश्चित हुई है। जिले के अंतिम छोर धरमजयगढ़ विकासखंड के कुम्हीचुंआ के प्राथमिक शाला में 105 विद्यार्थी हैं, यह स्कूल शिक्षक विहीन था। लेकिन अब युक्तियुक्तकरण से यहां के विद्यार्थियों को 4 नए शिक्षक मिल गए हैं। इस बारे में सचिव श्री ईश्वर डनसेना ने बताया कि सरपंच एवं ग्रामीणों द्वारा बच्चों के भविष्य को देखते हुए शिक्षकों की मांग रखी गई थी। सुदूर क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। वर्तमान में शिक्षक नहीं होने से कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों का भविष्य अधर में था। लेकिन आज युक्तियुक्तकरण के माध्यम से शाला को शिक्षक मिलने से बच्चों के भविष्य को आशा की एक नई किरण दिखने लगी है।
जिले के विकासखण्ड तमनार के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कोलम एक एकल शिक्षकीय शाला है जहां विद्यार्थियों की दर्ज संख्या 112 है। गांव के सरपंच श्री गंगाराम पोर्ते कहते है कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला एकल शिक्षकीय होने से बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। एक शिक्षक के भरोसे पूरे स्कूल का संचालन हो रहा था। उन्होंने बताया कि यहां लगभग दस गांव से बच्चे शिक्षा प्राप्त करने आते है। शिक्षकों की कमी से यहां स्कूल में पढ़ाई-लिखाई काफी प्रभावित हो रही थी। लेकिन आज युक्तियुक्तकरण से शाला को 02 शिक्षक और मिले है। इससे बच्चों की पढ़ाई बेहतर होगी।
युक्तियुक्तकरण से पहले जिले के मैदानी इलाकों के स्कूलों में दर्ज संख्या के मान से अधिक शिक्षक कार्यरत थे और वहीं दूरस्थ ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्र के स्कूलों में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के मान से शिक्षक कार्यरत नहीं होने के कारण शिक्षक, छात्र-छात्राओं के अध्यापन कार्य में जो असंतुलन की स्थिति निर्मित थी। संसाधनों के इस असंतुलित वितरण से कई विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई पर काफी नकारात्मक असर पड़ रहा था। विषय शिक्षकों की उपलब्धता नहीं होने से छात्रों को गणित और विज्ञान जैसे विषयों पर पकड़ बनाने में दिक्कत होती थी। उच्च शिक्षा के लिए इन संकायों में प्रवेश लेने की इच्छा से रुचि होने के बाद भी वंचित होना पड़ता था। जिसे युक्तियुक्तकरण के माध्यम से दूर करने का कार्य किया गया है। जिले में 21 स्कूल जहां शिक्षक ही नहीं थे वहां अब शिक्षकों की पदस्थापना हो चुकी है। वहीं 267 एकल शिक्षकीय स्कूलों में अन्य शिक्षकों की पोस्टिंग की गई है। इससे स्कूलों का संचालन अब बेहतर तरीके से हो पाएगा।

spot_img
spot_img

JANKARM DAILY EPAPER

Recent Artical