अंजनी स्टील, सुनील इस्पात, बीएस स्पंज व सिंघल एनर्जी डाल रहे केलो नदी में गंदा पानी
उद्योगों को नोटिस देकर भूला जल संसाधन विभाग
जनकर्म न्यूज
रायगढ़। उद्योगों की कालिख और अपशिष्ट से केलो नदी मैली और प्रदूषित होती जा रही है। शुरुआत से ही उद्योगों द्वारा केलो के स्वच्छ पानी में जहर घोलने का काम किया जा रहा है। सालों बाद जल संसाधन विभाग ने ऐसे 5 उद्योगों की पहचान की थी और अंजनी स्टील,सुनील इस्पात, बीएस स्पंज व सिंघल एनर्जी व सिंघल इंटरप्राइजेज को नोटिस भी दिया था लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। उद्योग नगरी में अब केलो नदी में प्रदूषण को लेकर सामाजिक संगठन व कुछ जनप्रतिनिधियों ने सक्रियता दिखाई तो आखिरकार सालों बाद जल संसाधन विभाग ने भी स्वीकार किया है कि जिले में संचालित उद्योग केलो नदी में गंदा पानी डाल रहे हैं। यही कारण है कि जल संसाधन के ईई ने ऐसे उद्योगों को नोटिस जारी किया था। दरअसल उद्योगों के फ्लाईऐश, खराब ऑयल, डस्ट जैसे अपशिष्ट केलो नदी में छोडऩे से आम दिनों में भी पानी का रंग मटमैला नजर आता है। जिससे वर्तमान में शहर से गुजरने वाली केलो नदी नाले में तब्दील हो रखी है और इसका पानी पीने लायक को दूर नहाने के लायक भी नहीं बचा है लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने नोटिस देकर खानापूर्ति कर ली। उनके द्वारा नदी को प्रदूषित करने वाले मेसर्स अंजनी स्टील प्राइवेट लिमिटेड उज्जवलपुर, मेसर्स सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड सराईपाली, मेसर्स सिंघल इंटरप्राइजेस प्राइवेट लिमिटेड तराईमाल, मेसर्स सिंघल इनर्जी प्राइवेट लिमिटेड तराईमाल व मेसर्स बीएस स्पंज प्राइवेट लिमिटेड तराईमाल को नोटिस जारी किया गया था लेकिन इसके बाद उद्योगों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
कंपनियों को ट्रीटमेंट करना था गंदा पानी
विभाग द्वारा जारी नोटिस में कहा गया था कि उद्योगों से उत्सर्जित होने वाले तरल अपशिष्ट आस-पास के नदी-नालों में बहकर पानी को प्रदूषित करते हुए केलो नदी में आकर मिल रहा है। जिससे केलो नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। चूंकि केलो नदी का पानी रायगढ़ शहर के नागरिकों के पेयजल एवं निस्तार के रूप में उपयोग किया जाता है, ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की आंशका बनी रहती है। अत: आपको निर्देशित किया जाता है कि आपके उद्योग से निकलने वाले तरल अपशिष्ट को उपचारित कर पुनर्उपयोग किया जाना सुनिश्चित करें। निरीक्षण के दौरान आपके उद्योग से उत्सर्जित होने वाले अपशिष्ट नदी-नालों में प्रवाहित होते पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
