*इतवारी बाजार में फैली सड़ी-गली साग-सब्जी, मांस-मछली के अवशेष और दुर्गंध से लोग परेशान*
*बाजार के बाद यहां नियमित सफाई को लेकर निगम नहीं गंभीर, डेंगू का मंडरा रहा खतरा*
*रायगढ़।* इतवारी बाजार में चारों तरफ फैले सड़े-गले साग-सब्जी, मांस-मछली के अवशेष, गंदगी व उससे आने वाली दुर्गंध से स्थानीय लोगों की जीना हराम हो गया है। बाजार परिसर में जगह-जगह जलभराव से डेंगू का भी खतरा मंडरा रहा है, लेकिन यहां नियमित साफ-सफाई को लेकर निगम प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है। जिससे तरह-तरह की बीमारी फैलने की आशंका से क्षेत्रवासी दहशत में हैं।
शहर के बीच इतवारी बाजार स्थित है। यहां हर रविवार को बाजार लगता है, लेकिन बाजार लगने के बाद यहां की स्थिति बद से बदतर हो जाती है। व्यापारी सड़े-गले साग-सब्जी, मांस-मछली, मटन के अवशेष, पानी, कचरा को बाजार में ही फेंक देते हैं। जिससे बाजार में कचरों का अंबार लग जाता है। कुछ दिनों में ये कचरे सड़ कर गंदगी में तब्दील हो जाते हैं, जिससे स्थानीय लोगों का यहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। बाजार के चारों तरफ रिहायशी इलाका है, ऐसे में यहां जगह-जगह जाम बारिश के पानी से डेंगू सहित अन्य बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां साफ-सफाई को लेकर निगम प्रशासन गंभीर नहीं है। जबकि बाजार लगने से पहले और बाजार लगने के बाद यहां नियमित सफाई होनी चाहिए।
*शहर में डेंगू के 112 मरीज एक्टिव*
शहर सहित जिले में डेंगू मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में शहर में डेंगू के 112 मरीज एक्टिव हैं। जिनका इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो प्रतिदिन औसतन डेंगू के 20-25 नए मरीजों की पहचान हो रही है। यह आंकड़ा काफी चौकाने वाला है। अगर ऐसी स्थिति रही तो इस साल कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या बीते सालों से कई गुना ज्यादा हो जाएगी।
*वार्ड पार्षद कह रहे ऑज इज वेल*
इस संबंध में वार्ड के भाजपा पार्षद महेश कंकरवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इतवारी बाजार में नियमित साफ-सफाई हो रही है। रोजाना निगम के कर्मचारी यहां की सफाई करने आते हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा बाजार परिसर में डेंगू को देखते हुए दवा का छिडक़ाव भी कराया गया है। जबकि स्थिति इसके उलट है। यहां बाजार के चारों तरफ गंदगी का आलम है। वहीं जगह-जगह पड़े कचरों के ढेर पार्षद के झूठे दावों की पोल खोल रहे हैं।
*वर्सन*
इतवारी बाजार में हजारों की संख्या में क्रेता-विक्रेता आते हैं। बाजार खत्म होने के बाद व्यापारी कचरों को वहीं फेंक देते हैं। जिससे उसकी सफाई करने में दो दिन लग जाते हैं। बात रही जाम पानी की तो अधिकांश व्यापारी वहां चबूतरे बना कर रखे हैं, जिससे कई स्थानों पर पानी रूक जाता है, जोकि एक-दो दिन में सूख भी जाता है। अगर कहीं-कहीं लंबे समय से पानी जाम है तो मैं उसका निरीक्षण कराता हूं और अस्थायी नाली बना कर पानी निकासी की व्यवस्था कराता हूं।
*सुनील कुमार चंद्रवंशी, निगम कमिश्नर*